- धान घोटाला 7: करनाल मंडी में इंस्पेक्टर समीर की मिलर्स पर दरियादिली, तय मात्रा से ज्यादा दिया धान
कई राइसमिलर्स को क्षमता से डबल धान दिया गया, द न्यूज इंसाइडर ब्यूरो लगातार उठा रहा मामलाद न्यूज इंसाइडर रिसर्च टीम , चंडीगढ़
क्योंकि कागजों में उगा धान, इसलिए किसान हो रहे बदहाल, सरकार नहीं कर रही सुनवाई
करनाल अनाज मंडी में कम से कम 20 राइस मिलर्स पर खाद्यआपूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर समीर की दरियादिली खूब रही। द न्यूज इंसाइडर रिसर्च टीम की पड़ताल में सामने आया कि कुछ राइस मिलर्स को उनकी तय क्षमता से डबल धान दे दिया गया है। यह धान सिर्फ कागजों में दिया गया। यहीं वजह रही कि मंडी में धान की रिकार्ड पैदावार दिखायी जा रही है। टीम ने आरटीआई और अपनी छानबीन के बाद पाया कि करनाल अनाज मंडी में यह अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। केंद्र सरकार से धान खरीद के लिए बजट में गड़बड़ी की है। केंद्र से यह रकम इसलिए प्रदेश सरकार को मिली थी कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद कर राइस मिलर्स को दिया जाए। राइस मिलर्स इसका चावल बना कर एफसीआई को देंगे। इस तरह से यह चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटा जाना था।
हुआ यह
लेकिन हुआ यह है कि जब मंडियों में धान पहुंचा भी नहीं था, तभी इंस्पेक्टर ने मिलर्स के साथ मिल कर धान की फर्जी खरीद दिखा दी। इस तरह से बड़ी मात्रा में धान की फर्जी खरीद हुई। इस काम में मंडी प्रशासन, आढ़ती, मिलर्स और खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर की सीधी मिलीभगत नजर आ रही है। अब जब वास्तविक किसान मंडी में धान लेकर पहुंचा तब तक कागजों में धान की रिकार्ड खरीद हो गयी। इस वजह से सरकार ने धान की खरीद बंद कर दी। यहीं वजह है कि इन दिनों किसानों का धान मंडियों में नहीं बिक रहा है।
जो पैसा जाना चाहिए था किसानों की जेब में पहुंच गया मिलर्स के गल्ले में
केंद्र से जो पैसा धान खरीद के लिए आया था, यदि इससे धान खरीदी जाती तो किसान की जेब में यह पैसा जाता। लेकिन हुआ यह कि धान की फर्जी खरीद दिखा कर पैसा मिलर्स के पास पहुंच गया। इस पैसे से अब मिलर्स यूपी और बिहार से चावल खरीद कर एफसीआई को सप्लाई कर देगा। इस तरह से बिना कुछ खर्च किए मिलर्स जहां करोड़ों के व्यारे न्यारे करेंगे वहीं इस घोटाले में संलिप्त अधिकारियों ने भी भ्रष्टाचार से खूब पैसा कमाया है।
तुरंत होनी चाहिए फिजिकल वैरिफिकेशन
अब जिन मिलर्स को ज्यादा धान दिया गया है, उनकी तुरंत फिजिकल वैरिफिकेशन होनी चाहिए। तभी सच सामने आ सकता है। यह काम भी स्थानीय कमेटी की बजाय राज्य कमेटी से कराया जाना चाहिए। यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल का कहना है कि होना तो यह चाहिए कि इसकी विजिलेंस से तुरंत जांच हो। जिससे सच सामने आ सके। एडवोकेट ढुल ने बताया कि इतना बड़ा स्कैम सिर्फ इंस्पेक्टर लेवल का अधिकारी नहीं कर सकता, इसमें कुछसीनियर की भी मिलीभगत हो सकती है। उनकी भी जांच होनी चाहिए। इसके लिए विजिलेंस से जांच जरूरी है। तभी सच सामने आ सकता है।
विधानसभा में उठेगा मामला
इधर विपक्ष के नेता चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि निश्चित ही यह किसानों के साथ सीधी धोखाधड़ी है। इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वह इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि एमएसपी का जो लाभ किसानों को मिलना चाहिए था, उसका फायदा कुछ भ्रष्ट अधिकारी मिलर्स को पहुंचा रहे हैं। दूसरी ओर किसानों का धान नहीं बिक रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले को विधानसभा में उठा कर जांच की मांग करेंगे। यदि सरकार ने इस पर जांच नहीं करायी तो यहीं माना जाएगा कि इस गड़बड़ी का सरकार को पता है, लेकिन वह इसकी जांच नहीं कराना चाह रही है।
इंस्पेक्टर की सफाई, क्योंकि धान ज्यादा आ गई थी, इसलिए तय मात्रा से ज्यादा धान दिया गया
इस मामले में इंपेक्टर समीर ने तर्क दिया कि क्योंकि इस बार धान ज्यादा पैदा हो गई थी। इसलिए मिलर्स को धान देने की जो मात्रा तय की थी, इससे ज्यादा धान देना पड़ा। उन्होंने बताया कि इसमें किसी तरह की अनियमितता नहीं है। लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं था कि क्या इसके लिए मिलिंग कमेटी से इजाजत ली गयी थी। अलबत्ता उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन डीएफएससी कुशल बुरा को इसकी जानकारी दी। उनके संज्ञान में लाने के बाद ही यह निर्णय लिया गया था।
नहीं मेरे संज्ञान में ऐसा मामला नहीं है: कुशल बुरा
इस मामले में जब रिसर्च टीम ने तत्कालीन डीएफएससी कुशल से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि नहीं ऐसा कोई मामला उनकी जानकारी में नहीं है। उन्होंने बताया कि किसी को भी यदि तय मात्रा से ज्यादा धान दिया जाता है तो इसके लिए एक प्रक्रिया होती है। मिलिंग कमेटी से इसकी इजाजत लेनी पड़ती है। इसके बाद ही धान का कोटा बढ़ाया जा सकता है।
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रिसर्च टीम को आरअटीआई से धान के कोटे की जो लिस्ट मिली है, जिले की सभी अनाज मंडी से खरीदे गए धान की 70 पेज की इस लिस्ट में करनाल मंडी के कुछ ऐसे नाम सामने आए हैं, जिन्हें तय मात्रा से बहुत ज्यादा धान दिया गया है। इसमें
आत्माराम जगदीश चंद यह सी कैटागिरी की मिलर्स है। इन्हें 40 हजार क्विंटल धान दिया जाना चाहिए था। लेकिन दस्तावेज में इन्हें80 हजार दिया गय है। यानी सीधे सीधे डबल।
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एमएम ओवरसीज को 70 हजार दिया जाना चाहिए था दिया गया 100 हजार क्विंटल।
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श्रीश्याम यह लीज का मिल है, इन्हें 40 हजा दिया जाना चाहिए था दिया गया है डबल से भी ज्यादा 90 हजार क्विंटल।
4
रिदी सिद्धी को 40 हजार की जगह 70 हजार क्विंटल
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एसएस ओवरसीज को 70 की जगह 100 हजार क्विंटल
इसी तरह से रामा इंडस्ट्रीज को 56 की जगह 86 क्विंटल, शिव राइस मिल को डीएमसी ने 49 क्विंटल धान देना तय किया था, दिया गया 85 हजार क्विंटल। श्री कृष्णम को 40 की जगह 65, सोना फूड को 70 की जगह 80, हजार क्विंटल दिया गया है। इसके अलावा कम से कम 15 ऐसे राइस मिलर्स है,जिन्हें उनके तय कोटे से ज्यादा धान दिया गया है।
एडिटर नोट: धान घोटाला हरियाणा का सबसे बड़ा घोटाला है। क्योंकि यह सरकारी फंड में हेरोफरी कर किसानों के हक पर सीधा डाका डाला जा रहा है। द न्यूज इंसाइडर टीम इस घोटाले की तह में गयी है। इसी को लेकर लगातार एक सीरिज चलाई जा रही है।
धान घोटाला 1
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धान घोटाला 2
धान घोटाला 3
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