पर्यावरण के मुद्​दे पर दांव पर सरकार की साख 

 पड़ोसी बनाए मुखबिर,सूचना पर मिलेंगे एक हजार 



  फजीहत से बचने को  सरकार का एक और विवादस्पद निर्णय,       विशेषज्ञों की राय, संजीदा नहीं नीतिनिर्धारक 

द इंसाइडर न्यूज ब्यूरो, चंडीगढ़ 

स्मॉग पर लगातार निशाने पर आ रही सरकार एक के बाद एक ऐसे अव्यवहारिक निर्णय ले रही है, जिससे प्रदूषण तो कम होगा नहीं, बल्कि आम आदमी परेशान जरूर हो रहा है। पुराली जलाने को लेकर शुरूआत में तो कोई कदम उठाया नहीं। अब जब हर जगह सरकार की फजीहत हो रही है तो एक ओर निर्णय लिया गया है। अब यदि कोई भी व्यक्ति प्रशासन के किसी भी अधिकारी को पुराली जलाने की जानकारी देता है तो उसे एक हजार रुपए नकद इनाम दिया जाएगा। डायरेक्टर जनरल एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेल्फेयर डिपार्टमेंट पंचकुला की ओर से  इस संबंध में  एक पत्र जारी किया गया है। इसमें दावा किया कि जानकारी देने वाले का नाम भी पूरी तरह से गुप्त रखा जाएगा। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य ने बताया कि यह किसान को किसान से लड़ाने की कृषि विभाग की कोशिश है। आकृति संस्था के अध्यक्ष अनुज सैनी ने बताया कि सरकार, कृषि विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसके लिए पहले कोई कदम नहीं उठाया। अब जब उन्हें जवाब देना पड़ रहा है तो वह एक तरफा कार्यवाही कर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदूषण पर किसान को अपराधी बनाना गलत परंपरा है। इसके लिए सरकारों को पहले से पुख्ता कदम उठाने चाहिए।


किसानों का यह कैसा वेल्फेयर कर रहा कृषि विभाग 

युवा किसान संघ के प्रधान प्रमोद चौहान ने बताया कि एक ओर तो कृषि विभाग के नाम के साथ किसान वेल्फेयर जोड़ा गया है। यानी यह माना जाए कि विभाग किसानों के कल्याण के लिए काम करेगा। लेकिन इस तरह के पत्र जारी कर विभाग के अधिकारी साबित क्या करना चाह रहे हैं। यह तो विभाग के अधिकारियों का सीधा सीधा तानाशाही रवैया है। यह सही है कि प्रदूषण को रोकने की दिशा में काम होना चाहिए। इसका यह मतलब नहीं कि इसकी सारी जिम्मेदारी किसानों के सिर पर थोप दी जाए।क्या अकेला किसान इसके लिए जिम्मेदार है।





डायरेक्टर ने किस रिसर्च के आधार पर जारी किया पत्र 

इधर आकृति संस्था के अनुज सैनी ने बताया कि आखिर कृषि विभाग के डायरेक्टर के पास ऐसी कौन सी रिसर्च है जिसे आधार बना कर वह किसानों को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सिर्फ सुनी सुनायी बातों को आधार बनाकर काम हो रहा है। ब्यूरोक्रेट्स कर यहीं रहे हैं। उन्हें समस्या को उलझाना आता है। प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर जो भी हो रहा यह भी इसी तरह का एक प्रयास भर है। उन्होंने बताया कि डायरेक्टर ने पहले इस दिशा में क्यों नहीं कदम उठाए? क्या वह भूल रहे हैं, किसानों को पुराली न जलाने के प्रति जागरूक अभियान के लिए आए फंड में कितनी गड़बड़ी हुई है। क्यों नहीं इसकी जांच की, क्यों नहीं इसके जिम्मेदार जिला अधिकारियो ंके खिलाफ कदम उठाया।

सरकार क्या कर रही है? चौहान 

प्रमोद चौहान ने बताया कि ऐसा लग रहा है कि खट्टर सरकार को अभी भी विधायक और सीएम नहीं ब्यूरोक्रेट्स चला रहे हैं, तभी तो इस तरह के निर्णय लागू हो रहे हैं। क्या सीएम को पहले अधिकारियों से जवाब मांगना चाहिए कि पुराली न जले इसके लिए क्या कदम उठाए गए। इसके लिए कितना पैसा खर्च हुआ। क्यों इसके लिए पहले योजना नहीं बनी। चौहान ने बताया कि ऐसा लग रहा हैकि सीएम को किसानों की चिंता ही नहीं है। ऐसा लग रहा है कि बस किसानों को लाठी के सहारे हांकने की कोशिश हो रही है।



विरोध होगा 
इधर किसानों ने कहा कि वह इस पत्र और प्रदेश सरकार का विरोध करेंगे, इसके लिए वह प्रतिकात्मक तरीके से पुराल जलाएंगे। भाकियू ने चेतावनी दी कि यदि एक भी किसान के खिलाफ कार्यवाही हुई तो वह इसका डट कर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ सरकार ज्यादती कर ही है। इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।




भवन निर्माण और तोड़ने पर लगेगा एक लाख रुपए जुर्माना 




इधर करनाल के  डीसी  विनय प्रताप सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के लिए  जिला में वायु प्रदूषण  को लेकर पराली जलाने ,भवन निर्माण व भवन को धवस्त करने के कार्य पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने के संबधित विभागों के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए ।
उन्होंने स्पष्ट किया है कि पराली जलाने जैसी घटना के लिए कृषि अधिकारियों के साथ -साथ सम्बन्धित एरिया के एस.एच.ओ., पटवारी, ग्राम सचिव , तहसीलदार, बीडीपीओ व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सम्बन्धित के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाएंगे। उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि वे फायर ब्रिगेड की गाड़ी समय पर उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करेंगे तथा अपने एरिया में भवन निर्माण व भवन धवस्त करने के कार्य पर आगामी आदेशों तक रोक लगाएगें । आदेशों की उल्लंघना पर 1लाख रूपए जुर्माना का प्रावधान है। इसके अलावा कूड़ा-कचरा के जलाने पर प्रतिबन्ध लगाएगें। आदेशों की अवहेलना करने पर संबंधित पर 5 हजार रुपए जुर्माना लगाया जाए । उन्होंने प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी को निर्देश दिए कि वे जरनेटर के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना सुनिश्चित करेंगे ।






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