वेदांता के खिलाफ हुए ओडिसा के आदिवासी
ओडिसा आदिवासियों के दमन की दास्तां: रायगड़ा सिजिमाली में खनन विरोधीआंदोलन के युवा नेता कर्तिक नाइक की गिरफ्तारी
ओडिसा में आदिवासी सीएम होने के बाद भी अभी तक आदिवासियों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। वह अपने प्राकृतिक संशाधन बचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्हें झूठे मामले दर्ज कर जेल में डाला जा रहा है।
इसी तरह की एक गिरफ्तारी कार्तिक नाइक की है। कार्तिक दक्षिण ओडिशा में वेदांता बॉक्साइट खनन के खिलाफ संघर्ष के सबसे मुखर और प्रतिबद्ध नेताओं में से एक है।
19 सितंबर, 2024 को सुबह करीब 11:30 बजे काशीपुर पुलिस ने 30 वर्षीय कार्तिक को उठाया । कुछ देर के लिए काशीपुर थाने में रखा, बाद में, उन्हें काशीपुर जेएमएफसी अदालत में पेश किया गया। कुछ ही घंटों के भीतर उन्हें रायगढ़ उप-जेल भेज दिया गया।
बाद में सिजिमाली क्षेत्र के 1,000 से अधिक ग्रामीणों ने उनकी रिहाई की मांग को लेकर थाने तक जुलूस निकाला । देर शाम तक विरोध प्रदर्शन चलता रहा। ग्रामीणों के गुस्से को काबू करने के लिए प्रशासन और पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
अंततः वे कार्तिक नायक को जल्द ही रिहा करने पर सहमत हुए और तिजिमाली के लोगों के खिलाफ कोई और झूठा और धोखाधड़ी का आरोप नहीं लगाने का वादा किया। लेकिन उस रात पुलिस और प्रशासन ने थाने में दंगा करने के आरोप में 2000 ग्रामीणों के खिलाफ वारंट जारी कर दिया.
जेल से, कार्तिक नायक ने अपने लोगों के लिए चिंता व्यक्त की और कहा कि वह पहाड़ों और जंगलों को खनन से बचाने के लिए जेल का सामना करने और यहां तक कि अपने जीवन का बलिदान देने के लिए भी तैयार हैं। कार्तिक ने कहा, चूंकि लोग अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, इसलिए संविधान लागू होने तक संघर्ष जारी रहेगा।
12 जनवरी, 2024 को एक घटना को आधार बना कर कार्तिक को गिरफ्तार किया गया है। वेदांता की सहायक कंपनी मैत्री के कर्मचारियों ने एक रिपोर्ट दी थी कि कार्तिक ने 40 लोगों ने उनके साथ कंपनी के कर्मचारियों के साथ मारपीट की। सभी 40 आरोपी या तो स्थानीय नेता हैं या खनन विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठन मां माटी माली सुरक्षा फोरम के सदस्य हैं।
सबसे पहले, 29 अगस्त, 2024 को रायगड़ा पुलिस ने अदालत से उनकी गिरफ्तारी का वारंट लिया। जिसमें कहा गया कि आरोपी 'फरार' थे। कार्तिक, जिसने मुख्य सड़क पर एक छोटी किराने की दुकान खोलने के लिए ऋण के लिए आवेदन किया था, को बैंक से बाहर निकलने के बाद पुलिस ने उठा लिया। तब से वह अभी तक जेल में हैं।
सिजिमाली, कुटरुमाली और मझिंगमाली क्षेत्र रायगड़ा जिले के काशीपुर और कालाहांडी जिले के थुआमल रामपुर ब्लॉक में फैले हुए हैं। यह एक आदिवासी क्षेत्र है।
भारतीय संविधान के तहत पांचवीं अनुसूची का क्षेत्र है। जब तिजिमाली और कुट्रुमाली के बॉक्साइट भंडार वेदांत और अदानी समूहों को पट्टे पर दिए गए थे, तो लोगों की कोई सलाह या सहमति नहीं थी। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा ग्राम सभा या ग्राम सभा का आयोजन नहीं किया जाता था। बल्कि कंपनी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए वेदांता की मैत्री नाम की संस्था ने पिछले साल की शुरुआत में सिजिमाली के गांवों का दौरा शुरू करना शुरू कर दिया।
सितंबर 2023 में पर्यावरण मंजूरी के लिए दो सार्वजनिक सुनवाई में, क्षेत्र के निवासियों ने वेदांत की खनन योजना को खारिज कर दिया। बताया कि खनन कैसे उनके जीवन, आजीविका, जलस्रोतों और संपूर्ण आवासों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उनके पवित्र देवता का निवास स्थान है। गणतंत्र दिवस पर लोगों ने अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने के लिए राष्ट्रपति को याचिका भेजी।
लोगों की मजबूत एकता ने प्रशासन को चिंतित कर दिया होगा और इसलिए सरकार का उपयोग करके दमन का एक और दौर शुरू किया गया है। हाल ही में, 30 अगस्त से 4 सितंबर तक, काशीपुर ब्लॉक के 8 गांवों और थुआमल रामपुर ब्लॉक के 2 गांवों ने वन अधिकार अधिनियम और पेसा अधिनियम के तहत अपने अधिकारों का दावा करने के लिए एक ग्राम बैठक की।
8 दिसंबर, 2023 को, लोगों ने कंपनी और प्रशासन की ओर से आयोजित ग्राम सभा बैठक की निंदा की। आरोप लगाया गया कि प्रशासन ने बड़ी संख्या में पुलिस बल और कंपनी कर्मियों की उपस्थिति में यह ग्राम सभा आयोजित की थी। इसमें ग्रामीणों के फर्जी हस्ताक्षर भी किए थे।
अब कार्तिक नाइक और अन्य आदिवासी मिल कर ग्राम सभा आयोजित कर प्रशासन व कंपनी की ग्राम सभाओं का विरोध कर रहे थे।
जो वेदांता कंपनी ओडिसा प्रशासन व सरकार के लिए जी का जंजाल बनती जा रही थी। आदिवासी आगे ग्राम सभा न कर सके,जिससे प्रशासन और कंपनी की ग्राम सभाअों की वैधता बनी रहे। इसलिए कार्तिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
मानवाधिकार संगठन, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता जैसे अवनी गया, अनंत, अशोक प्रधान, इवेंजेलिना कुल्लू, विचित्र पान, विश्वप्रिय कानूनगो, चंद्रनाथ दानी, दंडपाणि मोहंती, देवरंजन, डॉ. रान्डेल सिकुरा, टूना मलिक, गोपीनाथ नायक, सिमेगर दास, मीना भोई, राधारानी महराना, राधाकांत सेठी। पी। पार्वती, रामचन्द्र बड़त्या, लेनिन कुमार, लिंगराज आज़ाद, मधुसूदन, महेंद्र परिदा, मिन्टी भोई, नरेंद्र मोहंती, निगमानंद सदांगी,
प्रमोद मोहंती, प्रमोदिनी प्रधान, प्रशांत पाइकराय, प्रताप चंद्र प्रधान, प्रताप नायक, राजा रमन, रंजना पारधी, रुमिता कुंडू, संदीप पटनायक, शंकर साहू, शशिरेखा, सरोज मोहंती, सरुह्या, सुधीर पटनायक, श्रीकांत मोहंती, श्रीमंत मोहंती,
प्रेस विज्ञप्ति पर सुरेश चंद्र मणिगढ़ी, स्वाति आज़ाद, हीना बारिक, लक्ष्मीनरसिंह रथ और प्रफुल्ल सामंतरा मेजर ने हस्ताक्षर किए। विभिन्न संगठन जैसे मानवाधिकार संरक्षण मंच, ब्रह्मपुर, लोकमुक्ति संगठन, झारसुगुड़ा, पश्चिम ओडिशा किसान संगठन समन्वय समिति, ट्रेड यूनियन सेंटर, ओडिशा, मानवाधिकार रक्षक अलर्ट इंडिया, लोकतांत्रिक अधिकार संरक्षण संगठन, ओडिशा, भारतीय जनजातीय परिषद, बस्ती संरक्षण मंच , अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन, एआईसीसीटीयू, नियामगिरि सुरक्षा समिति, कालाहांडी/रायगढ़ा, मूल निवासी समाजसेवक संघ, बेरहामपुर, झूठे मुकदमेबाजी विरोधी अभियान,
ओडिशा, एआईटीयूसी, पीयूसीएल, जिंदल विरोधी आंदोलन, आदिवासी छात्र आंदोलन, सर्ब भारतीय किशन मजदूर सभा, आईएफटीयू, अखिल भारतीय कंटकारी किशन सभा, देसी बिहान सूक्ति मंच, किसान मुलिया एसोसिएशन (एआईकेएमकेएस), ओडिशा किसान सभा, लोक शक्ति अभियान, ओडिशा आदि संगठनों ने कार्तिक नाइक की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की है।
समाजसेवी संगठनों ने मुखियाओं ने कहा कि जहां लोग अपने संवैधानिक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें प्रशासन कानून विरोधी मान रहा है।
सामाजिक कार्यकर्तओं ने इस पर गहरी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासियों और उत्पीड़ित लोगों को उनके अधिकार देने के लिए लोकतांत्रिक मानदंडों और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बजाय, ओडिशा सरकार खनन कंपनियों के इशारे पर काम कर रही है। आज भारत का राष्ट्रपति एक आदिवासी, है, फिर भी आदिवासियों की आवाज को दबाया जा रहा है।
यहां के मुख्यमंत्री भी आदिवासी हैं. फिर भी विडंबना यह है कि प्राकृतिक संसाधनों के जबरन दोहन के लिए, विशेष रूप से पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में, आदिवासी और उत्पीड़ित समुदायों को उनकी आजीविका, पहचान और आवास से काटा जा रहा है। उनकी रक्षा के अदम्य साहस को कुचलने के लिए गिरफ्तारी और दमन किया जा रहा है।
सामाजिक संगठनों ने
इस संबंध में, ओडिशा सरकार से अनुरोध किया कि बॉक्साइट खनन परियोजना का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ लंबित सभी मामले वापस लें, (2.) कार्तिक नाइक को तुरंत रिहा करें और (3.) द्वारा आयोजित ग्राम सभा के प्रस्ताव को स्वीकार करें। 30 अगस्त से 4 सितंबर तक लोगों ने काशीपुर और थुआमाल रामपुर पुलिस स्टेशन में लोगों की शिकायतों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की।
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