छत्तीसगढ़ के श्रममंत्री के घर में बालको की यह कैसी रणनीति
भारतीय मजदूर संघ से संबंद्ध बीएमएस को तोड़ने की कोशिश के पीछे असली क्या ?
कोरबा से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार है। श्रम मंत्री कोरबा से लखन लाल देवांगन है। फिर भी उनके शहर कोरबा में भारतीय मजूदर संघ से संबंद्ध बालको मजदूर संघ को कमजोर करने की साजिश हो रही है। कौन कर रहा है यह ? इस सवाल से ज्यादा यह बात अहम है, यह कोशिश आखिर हो क्यों रही है। और इससे भी बड़ी बात तो यह है कि यह सब होता देख कर मंत्री चुप क्यों है?
इधर भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय मंत्री राधेश्याम जायसवाल ने वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कंपनी के कुछ अधिकारियों पर अपने पद का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि भारतीय मजदूर संघ के सदस्यों व पदाधिकारियों को नियमों के विरूद्ध जाकर उनका तबादला व सस्पेंड किया जा रह है। संघ ने अपने पत्र में इस बात पर भी आपत्ति जताई कि कि ठेका श्रमिकों एवं नियमित कामगारों के लिए प्रत्येक पांच साल में होने वाले वेतन समझौते में सिर्फ कांग्रेस समर्थित संघ इंटक से वेतन समझौता निष्पादित किया जा रह है।
समझौते की कुछ शर्तों पर जब संघ के पदाधिकारियों ने आपत्ति की तो उनका गलत तरीके से तबादला कर दिया।
मंत्री चुप क्यों है?
सवाल यह पैदा हो रहा है कि संघ के पदाधिकारियों के जब यह सब हो रहा है तो फिर भी मंत्री चुप क्यों हैं। क्यों नहीं अभी तक इस पर कोई एक्शन ले रहे हैं। जब अपने संगठन की समान विचारधारा के संघ के पदाधिकारियों के हक के लिए मंत्री खडे़ नहीं हो पा रहे हैं तो फिर किसके हक महफूज करेंगे? ऐसे कई सवाल इन दिनों कोरबा व बालको में उठाए जा रहे हैं।
समझौते पर विरोध जताने वाले बालको कर्मचारी संघ के कई पदाधिकारियों को तबादला भी कर दिया गया।
भारती मजदूर संघ कोरबा ने एक पत्र बालको कर्मचारी संघ के समर्थन में बालको नगर थाना प्रभारी को भी दिया है। इसमें आरोप लगायाकि तात्कालीन उपाध्यक्ष वरूण पांडेय व कार्यकारी अध्यक्ष अनिल दुबे ने गलत तरीक से हस्ताक्षर करा कर दस्तावेज तैयार किए हैं। संघ ने इसकी पूरी जांच की मांग की है। आरोप लगाया गया कि दस्तावेजों पर कई फर्जी हस्ताक्षर है। संघ की ओर से पुलिस से आग्रह किया गया कि मामला दर्ज कर उचित कार्यवाही की जाए।
संघ के जुड़े सूत्रों ने बताया कि बालको कर्मचारी संघ को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। इतना सब कुछ होने के बाद भी श्रम मंत्री कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा रहे हैं, यह सवाल अपने आप में बड़ा है।
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