प्रदेश की मंडियों में बड़ा घोटाला, उत्पादन से ज्यादा धान की खरीद
खेतों में धान, सरकार ने बंद की खरीद, किसान परेशान
चंडीगढ़
इस बार किसानों की दीवाली काली रही। वजह, सरकार ने धान की खरीद बंद कर दी। समय से पहले खरीद बंद होने से अब किसानों के सामने धान की बिक्री का संकट आ गया है। राइस मिल संचालक किसानों की फसल को अब सस्ते दाम में खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में यदि जल्दी ही धान की सरकारी खरीद शुरू नहीं होती तो किसानों को प्रति क्विंटल दो से तीन सौ रुपए का नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर सरकार किसानों की बात सुन नहीं रही है। हालात यह है कि करनाल मंडी में प्रशासन ने गेट पर ही पुलिस बल तैनात कर दिया है। जिससे किसान मंडी में धान लेकर ही न आ सके। हरियाणा के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि मंडी में किसानों को अाने से रोका जा रहा है।
करनाल में शुरू हुआ घोटाला
यहां राइस मिलर्स ने मंडी कमेटी के साथ मिल कर धान की फर्जी खरीद दिखा दी। पिछले साल करनाल मंडी में 42लाख क्विंटल धान खरीदी गयी थी। इस बार अभी तक इससे भी ज्यादा धान खरीदी जा चुकी है। अब कागजों में तो धान पिछले साल से भी ज्यादा आ चुकी है। सरकार की ओर से बताया जा रहा है कि जितना धान इस बार खरीदा जाना था खरीद लिया गया।
यूं हुआ मंडियों में खेल
हुआ यह है कि धान की फर्जी खरीद हुई। क्योंकि मोटी धान को सरकार समर्थन मूल्य 1835 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदती है। यह धान राइस मिलर्स को मिलिंग के लिए दिया जाता है। अब हुआ यह है कि मिलर्स ने धान नहीं लिया। इसके पर्चे कटवा लिए।
ऐसे चलता है यह खेल
सबसे पहले मंडी कमेटी के अधिकारी आढ़तियों के साथ मिल कर धान की फर्जी अावक दर्ज करते हैं। मंडी कमेटी के भ्रष्ट अधिकारी को इसकी एवज में पांच से लेकर दस रुपए तक मिलते हैं। इसके बाद आढ़ती धान की फर्जी बिक्री दिखाते हुए जे फार्म काटता है। आढ़ती को आढ़त के साथ साथ दो से तीन रुपए प्रति क्विंटल मिलता है। अब यहां से धान की डिलिवरी राइस मिलर्स को दिखा दी जाती है। अब क्योंकि पैसा आढ़ती के एकाउंट में सरकार की ओर से आता है। आढ़ती इस पैसे को राइस मिलर्स को दे देता है।
बिहार से सस्ता चावल लोकर दे देते हैं सरकार को
अब राइस मिलर्स इस पैसे से बिहार आदि से सस्ता चावल खरीद कर सरकार को वापस कर देते हैं। यह खेल देखने में जितना छोटा सा लगता है हकीकत में यह करोड़ों का खेल है। इसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली में जुड़े अधिकारी भी मिले हुए हैं।
और किसान का हो गया भारी नुकसान
अब किसान जिसके पास धान है, उसकी धान यदि नहीं बिकती तो उसे भारी नुकसान होता है। लेकिन इतना होने के बाद भी सरकार बजाय इस घोटाले की जांच के किसानों को ही तंग कर ही है। किसानों ने बताया कि इस गड़बड़ी की जांच होनी चाहिए। यह खेल प्रदेश की लगभग हर मंडी में चल रहा है।
टिप्पणियाँ