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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
धान घोटाला: मार्केट कमेटी के अधिकारियों ने एक होटल में बैठ कर काटे खरीद के फर्जी पर्चे  दा न्यूज इनसाइडर को अज्ञात व्यक्ति ने कोरियर से भेजे साक्ष्य, जो भारी गड़बड़ी की ओर कर रहे इशारा  दा न्यूज इनसाइडर, करनाल  सरकार की दो दो फिजिकल वैरिफिकेशन में भले ही करनाल में सरकारी धान खरीद में घोटाला सामने न आया हो, लेकिन अज्ञात व्यक्ति ने दा न्यूज इनसाइडर को जो साक्ष्य भेजे हैं, वह इशारा कर रहे हैं कि यह गड़बड़ी किस लेवल पर है।  करनाल के एक निजी होटल में मार्केट कमेटी के लेखाकर  पंकज तुली  ने फर्जी खरीद के पर्चे काटे है। इन फर्जी पर्चों में कुछ मिलर्स को नवाजा किया है। इस बार हरियाणा में सरकारी धान खरीद में बड़ा घोटाला हुआ है। कुछ मिलर्स, खाद्य आपूर्ति विभाग के कुछ अधिकारी, मार्केट कमेटी के अधिकारियों ने इस घोटाले को अंजाम दिया। दा न्यूज इनसाइडर को कोरियर से जो साक्ष्य मिले हैं, इसके मुताबिक करनाल के ... में पंकज तुली और एक प्राइवेट व्यक्ति बैठ कर फर्जी पर्चे तैयार कर रहे थे। इसी बीच उनके कारनामे की भनक सरकारी अधिकारियों को लग गए। बताया जा रहा है कि मौके से प...
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आखिरकार सीएम ने दिखा दिया वहीं सुप्रीम:  विज से लिया  सीआईडी विभाग    दा न्यूज इनसाइडर ब्यूरो, चंडीगढ़  आखिरकार सीएम मनोहर लाल ने दिखा ही  दिया कि वहीं सुप्रीम है। गृह मंत्री अनिल विज के तमाम तर्कों को साइड लाइन करते हुए उन्होंने सीआईडी विभाग अपने अंडर ले लिया है। ऐसे में सियासी हलकों में यहीं माना जा रहा है कि कुछ वक्त के लिए ही सही एक बार फिर से सीएम ने विज को बैकफुट पर कर दिया है। सियासी हलकों में अब इस बात को लेकर भी चर्चा है कि विज का अगला कदम क्या होगा? कुछ लोग मान कर चल रहे हैं कि विज गृह मंत्री का पद छोड़ सकते है।लेकिन सियासी गतिविधियों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ इससे इंकार करते हैं। उनका कहना है कि विज ऐसा नहीं करेंगे। क्योंकि तब यह सीधे सीधे पार्टी के खिलाफ बगावत माना जाएगा। दूसरी ओर न्यूज एजेंसियों के मुताबिक विज थोड़ा झुक गए हैं। उन्होंने कहा है कि सीएम का अधिकार है कि वह किस मंत्री को क्या और कितने पद थे। तो क्या यह मान लिया जाए अब सरकार में सब सही है? इसके जवाब में प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर सुरें...
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 क्यों ,मनोहर सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है ? विज के साथ सीएम का शीत युद्ध जारी, महम विधायक बलराज कुंडू भी लगातार सरकार पर जड़ रहे आरोप   इस बार आखिर ऐसा हुआ क्या कि सीएम इतने लाचार से साबित हो रहे हैं। दा न्यूज इनसाइडर .चंडीगढ़ दूसरे कार्यकाल में सीएम मनोहर लाल की मुश्किल लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसा उनके साथ क्यों हो रहा है। गृह मंत्री अनिल विज जहां लगातार एक के बाद एक बयान दाग कर सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं। दूसरी ओर महम के विधायक बलराज कुंडू भी लगातार मुखर है। दोनों ही मामलों में निपटने में सीएम मनोहर लाल खुद को असहाय मान रहे हैं। हालात यह है कि सीएम न तो विज को चुप करा पा रहे हैं न कुंडू को। यदि मनोहर लाल का पहला कार्यकाल देखे तो हम पाएंगे कि सरकार में उनकी चलती थी। उनका एक एक शब्द न सिर्फ कार्यकर्ता बल्कि विधायक और मंत्री भी मानते थे।  इस बार आखिर ऐसा हुआ क्या कि सीएम इतने लाचार से साबित हो रहे हैं। प्रदेश में दस लोकसभा सीट जीतने के बाद बीजेपी विधानसभा चुनाव में बहुमत से चुक गयी। इस स्थिति के लिए पार्टी के कई नेता मनोहर लाल की नीतियों...
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क्या सरकार अपने ही गृह मंत्री अनिल विज का फोन टैप करा रही है? इस तरह की आशंका व्यक्त की जा रही है, सीएम और मंत्री के बीच नया विवाद सीआईडी को गृह विभाग से अलग करने पर बढ़ी तकरार, विज पीछे हटने को तैयार नहीं  दा न्यूज इनसाइडर ब्यूरो, चंडीगढ़  क्य गृह मंत्री अनिल विज का फोन टैप हो रहा है। विज ने इस तरह की आशंका  व्यक्त की है। उन्होंने एक रिपोर्ट भी मांगी है कि प्रदेश में किस किस के फोन टैप हो रहे हैं। यह विवाद उस वक्त सामने आया, जब सीएम और विज के बीच  तनातनी बढ़ती जा रही है। दूसरी ओर यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने कहा कि जिस प्रदेश का गृह मंत्री का ही फोन टैप हो रहा है तो आम आदमी का क्या होगा? ढुल ने बताया कि यह बहुत ही चिंता की बात है। सरकार को इस पर स्प्ष्टीकरण देना चाहिए। फोन टैपिंग का क्या है नियम  फोन टैपिंग करने से पहले एक  प्रपोजल तैयार होगा। इसमें स्पष्ट करना होगा कि क्यों और किस कारण से यह कदम उठाना प़ रहा है। वह व्यक्ति कौन है? उसके फोन को टेप करने की जरूरत क्यों है? इससे कानून को क्या मदद मिल सकती है। यह प्रस्ता...
धान खरीद घोटाला : तय कोटे से ज्यादा धान लेने वाले मिलर्स पर मेहरबान क्यों मनोहर सरकार   दिखावा भर रही फिजिकल वैरिफिकेशन , फूड माफिया को बचाने की हर स्तर पर की गयी कोशिश   दा न्यूज इनसाइडर चंडीगढ़   फिजिकल वैरिफिकेशन दिखावा भर रही। सरकारी धान में घोटाले की तह तक टीम नहीं पहुंची। धान की जो कमी दिखायी गयी , वह घोटालेबाज मिलर्स को बचाने की एक कोशिश भर है। दूसरी ओर जो गड़बड़ी सरेआम हुई , सरकारी दस्तावेज में भी दर्ज है। इस पर विभाग चुप क्यों है ? यह सवाल बड़ा है। क्योंकि यदि विभाग वास्तव में घोटाले की तह तक जाना चाहता है तो ज्यादा कुछ करने की जरुरत ही नहीं है। बस उन मिलर्स के खिलाफ ठोस कदम उठाए जिन्हें जिला मिलिंग कमेटी की ओर से तय किए धान के कोटे से ज्यादा धान दिया गया है। अकेले करनाल में ऐसे मिलर्स की संख्या बहुत ज्यादा है। इस बार प्रदेश में सरकारी धान खरीद में रिकार्ड तोड़ घोटाला हुआ। धान की गोस्ट प्रचेज हुई। भ्रष...