आखिरकार सीएम ने दिखा दिया वहीं सुप्रीम:  विज से लिया  सीआईडी विभाग   

दा न्यूज इनसाइडर ब्यूरो, चंडीगढ़ 
आखिरकार सीएम मनोहर लाल ने दिखा ही  दिया कि वहीं सुप्रीम है। गृह मंत्री अनिल विज के तमाम तर्कों को साइड लाइन करते हुए उन्होंने सीआईडी विभाग अपने अंडर ले लिया है। ऐसे में सियासी हलकों में यहीं माना जा रहा है कि कुछ वक्त के लिए ही सही एक बार फिर से सीएम ने विज को बैकफुट पर कर दिया है। सियासी हलकों में अब इस बात को लेकर भी चर्चा है कि विज का अगला कदम क्या होगा? कुछ लोग मान कर चल रहे हैं कि विज गृह मंत्री का पद छोड़ सकते है।लेकिन सियासी गतिविधियों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ इससे इंकार करते हैं। उनका कहना है कि विज ऐसा नहीं करेंगे। क्योंकि तब यह सीधे सीधे पार्टी के खिलाफ बगावत माना जाएगा।
दूसरी ओर न्यूज एजेंसियों के मुताबिक विज थोड़ा झुक गए हैं। उन्होंने कहा है कि सीएम का अधिकार है कि वह किस मंत्री को क्या और कितने पद थे। तो क्या यह मान लिया जाए अब सरकार में सब सही है? इसके जवाब में प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर सुरेंद्र सिंह ने बताया कि नहीं...। विज चुप बैठने वालों में से नहीं है। वह अब बोलने का कोई दूसरा मौका तलाश करेंगे। सिंह का यह भी मानना है कि जो इस सियासी जंग में भले ही जीत मनोहर लाल की नजर आ रही हो, लेकिन ऐसा है नहीं। जीत विज की हुई है। क्योंकि वह जो चाहते थे वहीं हुआ। यह मामला केंद्रीय आलाकमान तक पहुंचा। विज वहां अपनी बात रखना चाहते थे। अब यदि कानून व्यवस्था या राजनीति तौर पर कोई घटना होती है तो विज बहुत ही आसानी से इसके लिए सीएम को जिम्मेदार ठहरा देंगे। तब उनकी बात सुनी भी जाएगी। गृह मंत्री बस इतना ही चाह रहे थे। वह जानते थे कि इस विवाद में फौरीतौर पर भारी सीएम ही पड़ेंगे।
तो फिर इतना विवाद था ही क्यों?
इसके जवाब में जानकार बातते हैं कि अब गृह मंत्री उचित मौके की तलाश करेंगे। इस विवाद में सीएम कमजोर हुए हैं। क्योंकि  एक बार फिर से उनमें राजनीतिक दूरदर्शिता की कमी नजर आ रही है। इसका अहसास उन्हें कुछ समय बाद होगा। क्योंकि ऐसा नहीं होगा कि अब सरकार में सारे विवाद खत्म हो गए हैं। जैसे ही कोई नया विवाद पैदा होगा तो पिछले सारे मामले फिर से खड़े हो सकते हैं। इसमें सीआईडी विवाद भी शामिल रहेगा। विज ऐसे ही किसी मौके की तलाश में रहेंगे। जब भी उन्हें ऐसा मौका मिल गया वह चूकने वालों में नहीं है। इसका पूरा सियासी फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोडे़ंगे। यूं भी उन्होंने जहां अपनी मुखर छवि को और ज्यादा आक्रामक बनाने की कोशिश की, वहीं यह भी जताने की कोशिश की कि वह दबने वाले नहीं है। 
चुप क्यों होना पड़ेगा गृह मंत्री को 


विज अनुशासनहीनता का आरोप अपने उपर नहीं लेना चाहेंगे। तभी तो वह तमाम विवादों के बीच यह बात भी कहने से नहीं बचते कि सीएम ही सुप्रीम है। क्योंकि मनोहर लाल को सीएम पद पर पार्टी ने बिठाया है। इसलिए विज सीएम पद के खिलाफ खुल्लमखुल्ला नहीं बोलेंगे। क्योंकि तब वह पार्टी के खिलाफ माना जाएगा। यहीं वजह है कि वह अपनी बात रख भी रहे हैं, लेकिन अनुशासन की लाइन में रहते हुए। इस वजह से अब वह इस मसले पर फिलहाल कुछ नहीं बोलेंगे। यह भी हो सकता है इस विवाद पर केंद्रीय नेतृत्व ने दोनो नेताओं को शांत करते हुए सीआईडी विभाग तो सीएम के अंडर करने दिया, लेकिन अंदरखाने यह व्यवस्था भी कर दी कि सीआईडी विज को भी ब्रीफ करते रहे। मंत्री की पहली प्रतिक्रिया भी सामने आयी इसमें उन्होंन कहा कि मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि सीएम सुप्रीम हैं, वे जिसे मर्जी चाहे विभाग दे सकते हैं। मेरी तो इतनी सी बात थी कि जब तक मैं गृहमंत्री हूं, सीआईडी मुझे ब्रीफिंग करे। सीआईडी ने मुझे ब्रीफिंग शुरू कर दी है। मैं सतुष्ट हूं।
उस आर्डर का क्या होगा जो विज ने सीआईडी चीफ के खिलाफ दिया 
यह माना जाता रहा है कि चुनाव से पहले सीआईडी ने एक राजनीतिक सर्वे किया। इसमें बीजेपी को 75 सीट दिखायी गयी। लेकिन चुनाव परिणाम में बीजेपी बहुमत भी हासिल नहीं कर पायी। विज ने 11 दिसंबर को यह रिपोर्ट मांग की। इस पर सीआईडी की ओर से कोई रिस्पांस नहीं दिया गया। 14 दिन बाद 25 दिसंबर को उन्होंने रिमांडर भेजा। फिर भी जानकारी नहीं मिली। इस पर विज ने सीआईडी चीफ स्पष्टीकरण मांग लिया। हालांकि बाद में सीआईडी कि ओर से गृह मंत्री को बताया गया कि उन्होंने कोई सर्वे नहीं किया। इस पर वह संतुष्ट तो हो गए। पर अब उन्होंने इस बात पर आब्जेक्शन उठाया कि उन्हें सीआईडी की ओर से ब्रीफ क्यों नहीं किया जा रहा है। इसी को लेकर उन्होंने पिछले सप्ताह  एसीएस होम को आदेश दिए कि सीआईडी चीफ को चार्जशीट कर बदला जाए। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या चीफ चार्जशीट होंगे। इसकी संभावना बेहद कम नजर आ रही है। विज भी शायद ही ऐसी कोई मांग अब उठाएंगे। 

करनाल नगर निगम में भी अधिकारियों की सस्पेंशन पर भी मनोहर से मात खा गए विज 

सीआईडी विभाग गृह मंत्री अनिल विज से लेने में सीएम मनोहर लाल ने खूब तेजी दिखायी। लेकिन अभी तक करनाल नगर निगम में पांच में से उन दो  अधिकारियों को अभी तक नहीं हटाया गया, जिन्हें अनिल विज ने पांच दिसंबर को सस्पेंड करने के आदेश दिए थे। डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी अभी तक विज के आदेश को अमल में नहीं लाया गया है।   पांच दिसंबर को मंत्री अनिल विज ने सीएम मनोहर लाल के विधानसभा क्षेत्र के निगम का औचक निरीक्षण कर चपऱासी समेत पांच को  सस्पेंड किए थे, चपरासी दीपक कुमार  और एमई लख्मीचंद को तो कुछ समय बाद हटा दिया गया। लेकिन बाकी तीन को हटाने में खूब दांव पेंच चले। फिर भी डीटीपी मोहन लाल और   डिप्टी डायरेक्टर ऑडिट  रामकुमार, के सीट से हटाने के आर्डर आ गए हैं। लेकिन वह भी तकनीक कारणों में फंसे हुए हैं। अभी तक कार्यकारी अभियंता एलसी चौहान पर कोई कार्यवाही अब तक  नहीं हुई। चर्चा है कि सीएम के दखल से ही इन अधिकारियों का सस्पेंशन रुक रहे हैं। क्योंकि करनाल विधानसभा से सीएम विधायक है। इसलिए विज की कार्यवाही पर वह विटो कर यह संदेश देना चाहते हैं कि सत्ता में वहीं सुप्रीम है। हालांकि अनिल विज बार बार कह रहे हैं कि सीएम ही सुप्रीम है। लेकिन उनके मुखर तेजर सीएम को परेशानी में भी डाल रहे हैं। ऐसे में जब विज ने सीएम के विधानसभा क्षेत्र में दखलअंदाजी की तो उन्हें संदेश देने के लिए ही शायद अभी  सस्पेंशन की कार्यवाही की चाल काफी सुस्त है। 

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