बुढ़ा खेड़ा की अवैध कालोनी में डीटीपी विभाग और नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों का लैंड माफिया को खुला समर्थन



बुढ़ा खेड़ा में कट रही अवैध कालोनी में डीटीपी विभाग ने 24 नवंबर को कई निर्माण तोड़े। इसके साथ ही यह भी चेतावनी दी कि यहां निर्माण नहीं होना चाहिए। लेकिन डीटीपी विभाग की कार्यवाही के कुछ समय बाद ही यहां निर्माण कार्य दोगुणा गति से शुरू हो गया। यहां दिन रात निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में सवाल यह पैदा हो रहा है कि क्या डीटीपी विभाग की मिलीभगत से यह निर्माण हो रहा है या फिर उन्हें पता ही नहीं।





  • सवाल 1

डीटीपी विभाग और नगर निगम के जिम्मेदार चुप क्यों?

यह अवैध कालोनी है। इस तरह की कालोनी विकसित न हो, इसके लिए डीटीपी विभाग और नगर निगम की जिम्मेदारी है। लेकिन इस कालोनी में चल रहा निर्माण साबित करता है कि किसी ने किसी स्तर पर भारी गड़बड़ी हो रही है।


  1. सवाल 2

कैसे चल गया निर्माण

सवाल यह भी पैदा हो रहा है कि आखिर इस अवैध कालोनी में निर्माण कैसे चल रहा है। वह भी दिन के वक्त। यहां इस तरह से निर्माण हो रहा है कि जैसे डीटीपी विभाग और नगर निगम का लैंड माफिया को खुला संरक्षण है।


  1. सवाल 3

जवाब क्यों नहीं

जब डीटीपी विक्रम सिंह को न्यूज इनसाइडर ने इस अवैध कालोनी में चल रहे निर्माण की फोटो और वीडियो भेजी। उनसे इस पर उनका वर्जन मांगा गया। लेकिन उन्होंने इस बाबत कोई जवाब नहीं दिया।


  • इसलिए डीटीपी विभाग पर उठ रहे सवाल

क्योंकि डीटीपी विभाग से न्यूज इनसाइटर ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी। इसमें जो जवाब दिया गया, वहीं साबित कर रहा है कि इस अवैध कालोनी को लेकर विभाग का रवैया बहुत ही लापरवाह रहा है। ऐसा लग रहा है कि डीटीपी विभाग का कोई जिम्मेदार अधिकारी लैंड माफिया से सीधे तौर पर मिला हुआ है।


आरटीआई के सवाल नंबर दो में जानकारी मांगी कि निर्माण

गिराने की प्रक्रिया की जानकारी दी जाए

इसके जवाब मे दो पत्र दिए गए। एक पत्र 2013 में लिखा गया।




इसके बाद दूसरा पत्र लिखा गया 2014 में।

लेकिन अवैध निर्माण गिराया गया पिछले साल 24 नवंबर को।

छह साल तक डीटीपी विभाग और नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी चुप क्यों थे?

इस सवाल का जवाब डीटीपी विक्रम सिंह के पास नहीं है।


करनाल में यह अकेली कालोनी नहीं है।

जिम्मेदार अधिकारियों का करनाल के लैंड माफिया का खुला समर्थन है।

तभी सरेआम अवैध कालोनी काटी जाती है। वहां निर्माण होता है।

अधिकारी कागजों में अपनी औपचारिकता पूरी कर अवैध कालोनी

को विकसित होने में मदद करते हैं।



बुढ़ा खेड़ा कालोनी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

कैसे जिम्मेदार अधिकारी लैंड माफिया का सरेआम साथ दे रहे हैं।





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