पीवी के लिए बनी कमेटियां, पहले चरण की जांच के लिए मिल किए चिंहित
द न्यूज इनसाइडर के पास सबसे पहले पहुंची लिस्ट
द न्यूज इनसाइडर ब्यूरो, चंडीगढ़
फिजिकल वैरिफिकेशन के लिए आखिरकार टीमों का गठन कर दिया गया है। पहले चरण में काैन कौन से राइस मिल की पीवी होगी, इसकी भी लिस्ट तैयार हो गयी है। यह लिस्ट संबंधित अधिकारियों तक भेज दी गयी है। अब से कुछ देर में पीवी का काम शुरू हो जाएगा। यह स्पेशल पीवी तब हो रही है, जब इस बार धान की सरकारी खरीद में घोटाले के आरोप लगे हैं। इन आरोपों के बाद ही सरकार ने यह निर्णय लिया था। बताया गया कि पीवी के लिए इस बार वीडियोग्राफी भी होगी। विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पीके दास ने बताया कि पीवी के दौरान किसी भी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने मिल संचालकों को यह भी यकीन दिलाया कि पीवी के दौरान उन्हें किसी भी तरह से तंग नहीं किया जाएगा। यदि कोई अधिकारी उन्हें तंग करता है तो इसकी शिकायत वह विभाग को करें, निश्चित ही ऐसा करने वाले अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ उचित कार्यवाही होगी। दूसरी ओर पीवी के लिए अब मिल संचालक भी तैयार होना शुरू हो गए हैं। अपने अपने स्टाक की जांच कर रहे हैं। जिससे पीवी के दौरान किसी तरह की दिक्कत न आए।पीवी को लेकर द न्यूज इनसाइडर ने अपने स्तर पर एक टीम तैयार की है। वह हर गतिविधियों पर नजर रखेगी। यदि टीम किसी भी मिल संचालक को नाजायज तरीके से तंग करती है तो इसकी शिकायत हमारी टीम को कर सकते हैं। आपका नाम भी गुप्त रखा जाएगा। इसके लिए हमारे वाट्सअप पर मैसेज भेज सकते हैं। आप हमें इस बाबत मेल भी कर सकते हैं। हमारा मेल आईडी thenewsinsider1@gmail.com पर भी शिकायत दी जा सकती है।
पहली लिस्ट में कई ऐसे नाम छोड़ दिए, जिन पर गड़बड़ी का संदेह है। यह नाम बहुत ज्यादा नहीं है। न्यूज पोर्टल ने पहले ही ऐसे राइस मिलर्स की एक लिस्ट जारी की थी, जिन्होंने बड़ी मात्रा में सरकारी धान लिया है। उनकी जांच की दिशा में ज्यादा कुछ स्पष्ट नहीं है। हालांकि निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिकि जरूरत हुई तो पीवी के लिए कुछ और नाम भी चिंहित किए जा सकते हैं। फिलहाल पहली लिस्ट पर ही काम होगा। लेकिन जिस तरह से कुछ नाम लिस्ट से गायब है, वह कुछ अलग ही संकेत देते नजर आ रहे हैं। यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने कहा कि इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं। एक तो यह कि मिलर्स और सरकार के बीच कोई समझौता तो नहीं हो गया। जिससे सरकार की बात भी रह जाए, मिलर्स की बात भी खराब न हो। दूसरी वजह यह भी हो सकती कि सरकारी धान में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों ने ही घोटालेबाज मिलर्स को बचाने का काम किया हो। क्योंकि यदि पीवी में रिकार्ड में हेराफेरी मिलती है तो उनकी भी जवाबदेही सुनिश्चित होगी। इस वजह से उन्होंने बीच का रास्ता निकाल लिया हो। जिससे पीवी भी हो जाए, गड़बड़ी करने वाले भी बचे रहे।
यह वजह जो पीवी पर सवाल खड़े कर रही है
जिला मिलिंग कमेटी ने धान की जो मात्रा तय की थी, सरकारी खरीद में कुछ राइस मिलर्स को इससे बहुत ज्यादा धान दिया गया।
क्या इसके लिए सरकार ने निर्देश दिए थे। यदि नहीं तो फिर खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने अपने स्तर पर ऐसा क्यों किया?
ज्यादा धान देने वाले अधिकारियों की अभी तक जांच क्यों नहीं हुई।
जिन राइस मिलर्स ने बहुत ज्यादा मात्रा में चावल एफसीआई में दे दिया, उनकी मिलिंग क्षमता की जांच क्यों नहीं?
जो चावल एफसीआई के पास आ रहा है, वह पूराना चावल तो नहीं, इसकी जांच के लिए अलग से अभी तक कुछ नहीं किया गया।
पीवी के विरोध से मिलर्स पीछे हटे
दूसरी ओर पीवी का विरोध कर रहे मिलर्स अब पीछे हट गए हैं। उन्होंने काम शुरू करने का ऐलान भी कर दिया है। इससे यहीं लग रहा है कि अब मिलर्स व सरकार के बीच जो टकराव के हालात थे, वह फिलहाल टलते नजर आ रहे हैं। निदेशालय ने अधिकारियों को विशेष तौर पर हिदायत दी कि वह इमानदारी से इस काम को करेंगे। किसी भी तरह की अनियमितता की शिकायत मिलने पर तुरंत कार्यवाही होगी। पीवी पर निदेशालय के आला अधिकारी लगातार नजर बनाए हुए हैं। जिससे इस काम को सही तरह से अंजाम दिया जा सके।
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