बेइमान अफसरों को नजर नहीं आया राइस मिल में जमा हो रहा गरीबों का निवाला  

सरकारी धान घोटाला: पारदर्शी सरकार के घूसखोर अफसरों ने यूं पूरा किया स्टॉक
द न्यूज इनसाइडर टीम का स्टिंग: यूपी से पीडीसी का माल दिन रात आ रहा मिलों में 



द न्यूज इनसाइडर, चंडीगढ़ 
सरकारी धान खरीद में हुए घोटाले  को फिजिकल वैरिफिकेशन करने वाले कुछ अफसर भी घोटालेबाज मिल संचालकों से मिल गए। यहीं वजह रही कि मिलों के परिसर में यूपी और बिहार से आ रहा पीडीएस चावल के ट्रक नजर नहीं अा रहे हैं। तभी तो उन्होंने सरकार को रिपोर्ट भेजी, इसमें सब कुछ सही दिखा दिया गया। जबकि हकीकत इससे बहुत अलग है। द न्यूज इनसाइडर की टीम के स्टिंग ने मिलों में यूपी बिहार से पीडीएस के आ रहे चावल को पकड़ा है। यहीं वजह घोटाला है, जिसे टीम बार बार उठा रही है। लेकिन सरकार की तमाम मुस्तैदी के बाद भी यह घोटाला सामने नहीं आ पाया है। हालांकि यह पहला मौका है, जब पीवी दो बार हुई, इसके बाद स्पेशल पीवी और रैंडम पीवी भी हुई।



मिल के बाहर खडे़ चावल के ट्रक 

पिंगली रोड पर यूपी अौर बिहार के पीडीएस के चावल से लदे ट्रक रविवार को खड़े मिले। यह ट्रक उन राइस मिल में जा रहे हैं, जिनकी फिजिकल वैरिफिकेशन अभी कुछ दिन पहले ही हुई। इस रोड पर .. मिल है। ज्यादातर के सामने 20 से लेकर 50 तक चावल से लदे ट्रक खड़े थे। इनमें यूपी का चावल भरा हुआ था। बोरियों पर बकायदा से उत्तर प्रदेश सरकार का खाद्य एवं रसद विभाग अंकित है। टीम ने ट्रक पर चढ़ कर जब चावल का जायजा लिया तो यह मोटा चावल था। सील बंद बोरियों में बंद यह चावल मिल के गोदाम से होता हुआ फिर से फूड कारपोरेशन आॅफ इंडिया के पास पहुंच जाता है।


यहीं है वह घोटाला, जिसका पर्दाफाश होना जरूरी

यहीं खेल है। इस बार धान की सरकारी खरीद करने वाले राइस मिलर्स ने धान तो खरीदा नहीं, बस कागजों में उनके नाम धान की बिक्री दिखा दी। बाद में धान की रकम मिल संचालकों के पास पहुंच गयी। इस घोटाले में मंडी कमेटी, खाद्य आपूर्ति विभाग के खरीद इंस्पेक्टर आढ़तियों की सीधी मिलीभगत रही। हालात यह रहे कि कुछ राइस मिल को खाद्य आपूर्ति विभाग के इंस्पेटरों ने जिला कमेटी द्वारा तय कोटे से भी ज्यादा का धान दिया है। अब खेल यह हुआ कि राइस मिलर्स  के पास रकम पहुंची। इस रकम से उन्होंने यूपी और बिहार से पीडीएस का सस्ता चावल खरीद लिया। यह चावल अब वह अपने गोदामों में लेकर आ रहे हैं।


स्पेशल पीवी में कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने यूं किया घोटाला 
मामला पोर्टल पर उठा तो विपक्ष ने विधानसभा में मामला उठाया। इस पर सरकार ने पीवी कराने का आश्वासन दिया। दो बार पीवी हुई। इसमें यह देखा जाना था कि जितना धान मिलर्स ने खरीदा है, क्या उतना माल गोदाम में हैं। अब हुआ यह कि पीवी करने वाले अधिकारी ने गोदाम के कम माल को रिश्वत लेकर पूरा दिखा दिया। यहीं वजह रही कि पीवी में गड़बड़ी सामने नहीं आयी। इसके लिए पीवी करने वाली टीम ने एक लाख रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक रिश्वत ली। हालात यह रही कि रैंडम पीवी का भी पहले से करनाल में मिलर्स को पता था। इस टीम को भी गोदामों में कम माल नजर नहीं आया।

बड़ा सवाल यदि मिलर्स के पास पूरा माल है तो बाहर से चावल क्यों 
पीवी करने वाले अधिकारियों से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि यदि मिल के गोदाम में माल पूरा है तो फिर यूपी बिहार से पीडीएस का चावल क्यों आ रहा है? कौन इस चावल को लेकर आ रहा है। किसके लिए यह चावल आ रहा है। क्या चावल का आना अपने आप में घोटाला नहीं है। आैर यदि है तो फिर अधिकारियों की नजर इस पर क्यों नहीं पड़ी। कैसे पिंगली रोड के मिलों का स्टॉक पूरा हो गया। यह सवाल उठाया जाना चाहिए।

गरीबों का निवाला और किसान की मेहनत पर डाका 
अब यह दो तरफा घोटाला है। एक ओर तो राइस मिलर्स ने फर्जी धान खरीद दिखा कर जो रकम किसानों के पास जानी चाहिए थी, इस पर डाका डाला। दूसरा जब किसान मंडी में धान लेकर आया तो सरकारी खरीद में इस धान को लिया नहीं गया। मजबूरी में किसान को कम दाम पर अपना धान दलाों को बेचना पड़ा। दूसरा जो चावल पीडीएस के माध्मय से गरीब के लिए जाना था, वह रास्ते में ही गोल कर दिया। इस चावल को फिर से फूड माफिया सस्ते दाम पर खरीद कर दोबारा से उन मिलर्स के पास ले आया, जिन्होंने सरकारी धान में घोटाला किया। 

बड़ा सवाल टीम क्यों नहीं पकड़ रही भ्रष्ट मिलर्स को 
पीवी टीम में क्योंकि बार बार स्थानीय अधिकारियों को शामिल किया जा रहा है। जबकि होना यह चाहिए कि टीम में विजिलेंस की टीम होनी चाहिए। यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष  एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि टीम में सीनियर अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए थी। टीम में खरीद सिस्टम् से जुड़े अधिकारी नहीं होने चाहिए थे। क्योंकि खरीद सिस्टम में ही भ्रष्टचार हुआ, जिससे यह नौबत आयी। अब गलत अधिकारियों को बचाने के लिए ही पीवी करने वाली टीम मिलों में घोटाले को पकड़ने से बच रही है।

सिस्टम में काम कर रहा बड़ा माफिया 
पीडीएस में एक माफिया काम कर रहा है। जिसकी जड़ हरियाणा, यूपी, बिहार और पंजाब तक फैली हुई है। यह माफिया धान की फर्जी बिलिंग कर बाद में गरीबों के लिए सरकार की ओर से दिया गया चावल सस्ते दाम पर वापस घूम कर मिलों में पहुंच जाता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डेढ़ माह से सीएमआर शुरू हुई है, लेकिन करनाल के कई मिलर्स ऐसे है, जिन्होंने 50 से 60 वैगन एक माह में एफसीआई के गोदामों में लगा दिए। जबकि इन मिलर्स की मिलिंग क्षमता बेहद कम है। यदि यह मिलर्स मिलिंग करते तो इनता चावल सप्लाई करने के लिए दो से ढाई माह का समय लगता। इससे साफ है कि यहीं मिलर्स भ्रष्टाचार को बढा़वा दे रहे हैं।  मिलर्स पुराने चावल को प्रोसेस कर वापस दे रहे हैं। एफसीआई की टैक्निकल टीम के कुछ अधिकारी भी भ्रष्ट मिलर्स के साथ मिले हुए हैं।  इस बार जब भी करनाल के मिलर्स पीडीएस के लिए जो भी चावल लेकर आ रहे हैं, इस चावल की टैक्निकल स्टाफ से चैकिंग करायी जानी चाहिए। इससे यह पता चल जाएगा कि इसमें कितना चावल पूराना है। यदि यह खुलासा हो जाता है तो भ्रष्टाचार करने वालों का पर्दाफाश हो सकता है। 

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