बड़ा सवाल, क्या धान घोटाले में गठित कमेटी पीवी सही तरह से कर पाएगी?
बड़ा सवाल, क्या धान घोटाले में गठित कमेटी पीवी सही तरह से कर पाएगी?
द इंसाइडर रिसर्च ब्यूरो , चंडीगढ़
आखिरकार सरकार ने धान खरीद घोटाले को देखते हुए फिजिकल वैरिफिकेशन के लिए कमेटी गठित कर दी है। अब इस कमेटी में सदस्यों को लेकर खूब जोड़तोड़ चल रहा है। गड़बड़ी करने वाले इंस्पेक्टर की कोशिश है कि कमेटी में ऐसे अधिकारियों को शामिल करा लिया जाए जो उनकी जान पहचान के हो, ताकि घोटाले का पर्दाफाश न हो। करनाल के लिए जो नाम कमेटी में फाइनल किए गए हैं, इसमें ऐसे कुछ अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं, जो करनाल मंडी के इंस्पेक्टर समीर के नजदीकी बताए जा रहे हैं।
ऐसे में क्या कमेटी सच सामने लाएगी
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या कमेटी सच सामने ला पाएगी। हर बार कमेटी पीवी करती है। इसके बाद भी धान खरीद घोटाला हर बार हो रहा है। ज्यादातर राइस मिलर्स को कमेटी क्लीनचिट दे देती है। यहीं वजह है कि इस बार भी कमेटी को लेकर राइस मिलर्स ज्यादा चिंतित नहीं है। यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि कमेटी में विजिलेंस के अधिकारी शामिल होने चाहिए। इतना ही नहीं यह भी होना चाहिए कि यदि कमेटी की जांच रिपोर्ट गलत मिलती है तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए।
कमेटी के लिए जुटाए जा रहे हा फंड
दूसरी ओर राइस मिल एसोसिएशन हर राइस मिलर्स से फंड ले रही है। दावा किया जा रहा है कि यह पैसा कमेटी में शामिल अधिकारियों को दिया जाएगा। ताकि वह मिलर्स के मुताबिक रिपोर्ट दे। कई राइस मिलर्स ने इ इंसाइडर ब्यूरो की टीम को बताया कि उनसे भी पैसे की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि हर बार पीवी से पहले इस तरह का फंड उनसे लिया जाता है।
निकाला जा रहा है टाइम
दूसरी ओर मिलर्स और अधिकारियों की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा समय निकाला जाए। इसी बीच मिलर्स यूपी और बिहार से सस्ता चावला लाकर एफसीआई में जमा करा दें। ताकि पीवी के वक्त वह दावा कर दें कि उन्होंने तो सरकारी धान का चावल तैयार कर सरकार को सप्लाई कर दिया है।
बड़ा सवाल : तय कोटे से ज्यादा धान देने पर अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं
इधर सवाल यह उठ रहा है कि धान के तय कोटे से ज्यादा धान देने पर संबंधित इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। करनाल अनाज मंडी में इंस्पेक्टर समीर ने कई राइस मिलर्स को तय कोटे से ज्यादा धान अलॉट किया है। ऐसा उन्होंने क्यों किया? इस दिशा में भी अभी तक जांच का काम नहीं हुआ है। जबकि होना तो यह चाहिए कि समीर के खिलाफ विभाग को तुरंत पुख्ता कदम उठाने चाहिए थे।
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