सरकारी धान खरीद घोटाला: जिन्हें बासमती व मोटी धान में फर्क करना नहीं आता, वह कर रहे पीवी
मदनपुर,कुटेल, तरावड़ी और निसिंग में एक्सपोर्ट करने वाले मिलर्स ने ली की धान की फर्जी खरीदद न्यूज इनसाइडर रिसर्च टीम, चंडीगढ़
करनाल में सरकारी धान खरीद में घोटाले को पकड़ने के लिए फिजिकल वैरिफिकेशन ( पीवी) कर रही टीम में वह अफसर शामिल हैं, जिन्हें बासमती और मोटी धान में अंतर ही नहीं पता है। इसका फायदा उठाते हुए धान की फर्जी खरीद करने वाले एक्सपोर्टर ने टीम को गुमराह कर दिया। टीम को पता ही नहीं कि ऐसे मिलर्स के पास परमल धान की मिलिंग करने की मशीन ही नहीं है। इस बार सरकारी धान में घोटाला यह हुआ कि मिलर्स ने खरीदा तो बासमती धान, लेकिन सरकारी दस्तावेज में इसे परमल धान दिखाया गया। इस तरह से सरकार को दोहरा नुकसान हुआ। एक तो यह कि जिस समर्थन मूल्य का लाभ किसानों को मिलना चाहिए था, वह पैसा मिलर्स के पास चला गया। दूसरा नुकसान यह हुआ कि बासमती धान खरीद का जो टैक्स था, वह बच गया। द न्यूज इनसाइडर को मिले दस्तावेज के मुताबिक कुटेल, तरावड़ी, निसिंग मदनपुर इलाके में 99 प्रतिशत मिलों में यहीं खेल हुआ। इसमें मंडी कमेटी, खरीद एजेंसियां, आढ़ती और मिलर्स ने बड़ा रोक प्ले किया।
तो क्या होना चाहिए
पीवी कमेटी में एक्सपर्ट होना चाहिए। जिसे बासमती और परमल धान में अंतर करना आता। इसके अलावा गोदामों की जांच होनी चाहिए। मशीनरी की जांच होनी चाहिए। इससे यह पता चल जाएगा कि क्या वह राइस मिल मोटी धान को मिलिंग कर सकता है या नहीं। इसके साथ ही अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए। यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि अभी भी खरीद प्रक्रिया में लगे अधिकारी सरकार को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मांग जायज है, मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। क्योंकि भ्रष्ट खरीद सिस्टम की वजह से इस बार धान उत्पादक किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।उनकी फसल के खरीददार ही नहीं थे।
कई मिलों में स्टॉक ही नहीं, फिर भी पीवी में कोई गड़बड़ सामने नहीं आ रही है
करनाल में मिलों की पीवी चल रही है। लेकिन इसमें किसी तरह की गड़बड़ अभी तक सामने नहीं आ रही है। इसकी दो वजह है। एक तो यह है कि पीवी करने वाली टीम में एक्सपर्ट ही नहीं है। दूसरी वजह यह है कि टीम को मैनेज कर लिया गया है। इस वजह से गड़बड़ी होते हुए भी टीम इसे पकड़ नहीं रही है।
यह मिल जिसका स्टाक बेहद कम
घनश्याम ब्रदर मिल में स्टाक नहीं है। इसी तरह से महादेव राइस मिल और सरस्वती राइस मिल में भी स्टॉक बेहद कम है। इसके बाद भी टीम इनके कम स्टॉक को मैनेज करने में लगी हुई है। द न्यूज इनसाइडर ने पहले ही बता दिया था कि गड़बड़ी करने वाले मिलर्स पीवी कमेटी को साधने की कोशिश में जुट गए हैं। इसके लिए प्रत्येक मिल से एक लाख से दो लाख रुपए लिए जा रहे हैं। जिससे कमेटी पीवी के वक्त सही रिपोर्ट दे। अभी तक पीवी की रिपोर्ट से यह आशंका सही भी साबित होती जा रही है।
हम हर चीज देख रहे हैं, गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ उचित कार्यवाही होगी
दूसरी ओर खाद्य आपूर्ति अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि सरकार के स्तर पर मामले को देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने तो करनाल में इस पद पर धान खरीद सीजन के आखिरी में किया था। खरीद की सारी व्यवस्था उनसे पहले के अधिकारियों ने की थी। इस स्तर पर वह कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस राइस मिल में धान के स्टॉक की अनियमितता की बात हो रही है, वहां की जांच कर कर लेंगे, यदि दिक्कत आई तो उचित कार्यवाही की जाएगी।
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