वेदांता कंपनी का दोहरा करेक्टर दिल्ली मैराथन और जमीनी हकीकत

वेदांता की दोहरी चाल: एक ओर भुखे बच्चों और जानवरों को खाना देने के लिए मैराथन दूसरी ओर रेड मड से मर रहे जानवरों पर चुप्पी

भुवनेश्वर से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट


वेदांता कंपनी का करेक्टर का आंकलन यदि करना है तो दो घटनाएं देख लीजिए। एक ओर कंपनी दिल्ली में दिल्ली हाफ मैराथन 2024  #Vedanta Delhi Half Marathon 2024.से बच्चों और जानवरों के लिए 10 मिलियन भोजन जुटाने का दावा कर रही है। कंपनी का यह कार्यक्रम 20 अक्टूबर, 2024 को समाप्त हुआ। भारत में भूख और कुपोषण से लड़ने के मिशन में देश भर से 72,000 से अधिक लोगों को एकजुट किया गया। 



लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलु भी है। जो कंपनी के इस सामाजिक कार्यक्रमों पर सवाल खड़ा कर रहा है। कंपनी ओडिसा, छत्तीसगढ़, झारखंड समेत कई राज्यों में खनन कर रही है। इसके लिए वहां के आदिवासियों व स्थानीय लोगों को बेघर किया जा रहा है।


उनका प्राकृतिक आवास छीना जा रहा है। ओडिया का कालाहांडी जिला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां के आदिवासियों का आरोप है कि कंपनी उनका प्राकृतिक आवास छीन कर उन्हें भूखा मरने पर मजबूर कर रही है। अपना आश्रय बचाने के लिए यहां के आदिवासी कंपनी के खिलाफ एक लंबा आंदोलन चला रहे हैं।


आदिवासियों ने भिवानीपटना में एक प्रेस कॉंफ्रेंस कर आरोप लगाया कि




प्रशासन फर्जी ग्राम सभा आयोजित कर सिजमाली पहाड़ियों को हमने छीनने की कोशिश कर रहा है।

यह वन अधिकार अधिनियम, 2006 के साथ-साथ पेसा अधिनियम, 1996 का उल्लंघन है। आदिवासियों ने आरोप लगाया कि 8 दिसंबर, 2023 को ग्रामीणों की पर्यावरण मंजूरी के लिए जो बैठक आयोजित हुई थी, वह बैठकें झूठी और जबरदस्ती की गईं, लोगों को बिना सूचना दिए और सैकड़ों फर्जी हस्ताक्षर किए गए।


सभी ग्राम सभाओं ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर फर्जी ग्राम सभाओं की स्वतंत्र जांच कराने और इस प्रक्रिया में शामिल सरकारी अधिकारियों और कंपनी कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की मांग की है। लोगों की ग्राम सभाओं से निराश होकर, कंपनी के अधिकारी आदिवासियों के खिलाफ मनगढ़ंत आपराधिक आरोप दायर कर रहे हैं।




जो सिजमाली पहाड़ियों को बचाने के संघर्ष की अग्रिम पंक्ति में हैं। कालागांव और कंटामल गांवों में कई महिला नेताओं को भी इन झूठे मामलों में घसीटा गया है। मां माटी माली सुरक्षा मंच के युवा नेताओं में से एक कार्तिका नाइक को झूठे आपराधिक आरोपों में बिना किसी पूर्व सूचना या सूचना के उठा लिया गया और रायगढ़ा जेल भेज दिया गया।



दूसरी घटना : 15 सितंबर लांजीगढ़ जहां कंपनी के रेड मड पोंड टूटने से जहरीला पानी नदी व खेतों में फैल गया। इस वजह से बड़ी संख्या में जलचरों की मौत हो गई। बहुत सी बकरियां, गाय व भैंस और कॉफ जहरीले पानी की चपेट में आने से मर गए हैं।



 कई सरिसृप श्रेणी के जनवरों की मौत हो गई। अब सवाल यह उठ रहा है कि एक और तो जानवरों के लिए भोजन जुटाने की बात हो रही है। दूसरी ओर कंपनी के जहरीले पानी से जानवर मर रहे हैं। जानवरों की चिंता करने से पहले कंपनी अपने आस पास के क्षेत्र के जानवरों की सुरक्षा ही कर लें तो शायद काफी होगा। लेकिन कंपनी ऐसा नहीं करेगी। क्योंकि तब दिल्ली जैसे मेट्रो शहर में मीडिया की सुर्खिया थोड़ा मिलेगी।




अादिवासी नेता लिंगराज आजाद कहते हैं, वेदांता आदिवासियों और जानवरों को पहले भुखा मरने पर मजबूर करता है, फिर उनके लिए भोजन जुटाने दिल्ली में मैराथन आयोजित करता है।




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