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झारखंड में वेदांता के खिलाफ बीजेपी का आंदोलन

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बोकारा इएसएल विवाद:  बीजेपी ने खोला वेदांता के खिलाफ मोर्चा, रोड जाम कर जताया विरोध  बोकारो झारखंड पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा और अब बीजेपी ने बोकारो स्थित इएसएल वेदांता प्लांट प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वीरवार की सुबह ही बीजेपी नेता पूर्व  जिला अध्यक्ष  बोकारो अंबिका खवास के नेतृत्व में यहां मजदूरों व ग्रामीणों ने रोक जाम कर विरोध जताया। धरना स्थल पर  झारखंड के नेता प्रतिपक्ष  अमर कुमार बाउरी भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि वेदांता मैनेजमेंट मनमानी कर रहा है। इस वजह से बीजेपी को सड़क पर उतरना पड़ा है। पहले ही उन्होंने कंपनी को एक ज्ञापन देकर मांग की थी,लेकिन इस मांग की ओर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में वीरवार को उन्होंने रोड जाम कर दिया है।  इधर रोज जाम होता देख कर ट्रकों की लंबी कतार लग गई। अंबिका खवास ने बताया कि कंपनी के ट्रक से जो माल कंपनी में लेकर आता है, वह तुरंत ही बंद होना चाहिए। कच्चे माल के लिए माल गाड़ी का इस्तेमाल किया जान चाहिए। इससे मजदूरों को काम मिलेगा।  इसके साथ ही यह भी मांग की कि कंपनी में स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया ज...

ओडिसा के बाद अब झारखंड के बोकारो में वेदांता की मनमानी

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  बोकारो में वेदांता के खिलाफ जेएमएम की हुंकार, रोड जाम कर सड़क पर बैठे बोकारो झारखंड वेदांता के खिलाफ अब झारखंड में भी स्थानीय लोगों ने मोर्चा खोल दिया है। बोकारो में इएसएल कंपनी पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए जेएमएम झारखंड मुक्ति मोर्चा बोकारो जिला  समिति ने विजय रजवार के नेतृत्व में रोड जाम कर दिया। विजय रजवार ने आरोप लगाया कि कंपनी मनमानी कर रही है। उन्होंने बताया कि 90 लोगों को कंपनी में रोजगार दिया गया था। तब वादा किया था कि सभी को पक्की नौकरी पर रखेंगे। लेकिन बाद में उन्हें कांट्रेक्ट पर डाल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने जब 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को देने का नियम बनाया है, वेदांता कंपनी इसका भी पालन नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर उन्होंने इसी तरह की चार तारीख को कंपनी को एक ज्ञापन दिया था। लेकिन इसके बाद भी उनकी मांग की ओर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में उनके सामने रोड जाम करने के सिवाय कोई चारा नहीं रह गया है। उन्होंने दावा किया कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती तब तक वह इसी तरह से अांदोलन पर रहेंगे। उनके साथ अांदोलन पर बैठे सनाउल अंसारी...

लांजीगढ़ में भी भोपाल गैस कांड़ जैसा हादसा होगा, क्या तब ओडिसा सरकार वेदांता के खिलाफ एक्शन लेगी

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जहरीले पानी से सुबह के दो बजे जो कहर ढाया ,  फसल तबाह, पांव पानी में रखा तो पड़ गए छाले  लांजीगढ़ ओडिसा  अभी दिन निकलने में वक्त था। लेकिन लांजीगढ़ वेदांता कंपनी के साथ लगते गांव बनपड़ा के निवासी सोम साहूं की नींद अचानक एक आवाज से के साथ खुल गई। क्या हुआ, वह जानने के लिए झोपड़ी से बाहर आए। लेकिन कुछ नजर नहीं आ रहा था।  तभी उनका पांव पानी में पड़ गया। यह क्या, देखते ही देखते उनके पांव में इतनी खुजली हुई कि दिन निकलने तक वह पांव को खुजाते रहे। सुबह जब रोशनी आई तो देखा कि गंदे पानी की वजह से पांव में छाले पड़ गए हैं।  सोम साहूं यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि हुआ क्या? उन्हें लग रहा था कि शायद उनका पांव किसी कैमिकल पर पड़ गया। लेकिन सुब होते होते जब कई आदिवासियों ने इसी तरह की शिकायत की तो पता चला कि माजरा क्या है? वेदांता कंपनी के तालाब का जहरीला पानी बाढ़ की तरह गांवों में आ गया। इससे कम से कम दो हजार एकड़ फसल बर्बाद हो गई। 20 से अधिक लोगों को त्वचा संबंधी रोग हो गए। आखिर शनिवार की रात हुआ क्या था? यह जानने के लिए जब गांव का दौरा किया तो पता चला कि वेदांता कंपनी ल...

रेणू बाला गुप्ता के समर्थन से क्या भाजपा प्रत्याशी जगमोहन की राह होगी आस...

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नियामगिरी आंदोलन:3 आदिवासियों की जीत को सरकार ने यूं हार में तब्दील कर दिया

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जिन पहाड़ियों को खनन से आदिवासियों ने बचाया , उन्हें फिर से वेदांता को खनन के लिए ठेका दे दिया गया नियामगिरी ने मनोज ठाकुर की रिपोर्ट दस साल पहले, 18 अप्रैल, 2013 को, ओडिशा के कालाहांडी के रायगडा में एक आदिवासी समूह डोंगोरिया कोंध ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक ऐतिहासिक कानूनी लड़ाई जीती थी। उड़ीसा माइनिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड बनाम पर्यावरण और वन मंत्रालय मामले में, न्यायालय ने वेदांता कंपनी के बॉक्साइट के लिए पहाड़ियों में खनन की मंजूरी को खत्म कराया था। यह एक ऐसी लड़ाई थी,जिसका उदाहरण देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिया जाता रहा है। होना तो यह चाहिए था कि ओडिसा सरकार इस प्रस्ताव को मान कर चुप रहती। लेकिन ऐसा हो न सका। इस निर्णय के तीन साल के बाद फिर से पहाड़ियों में खनन के लिए सरकार ने काम करना शुरू कर दिया। वेदांता ने फरवरी 2023 में ओडिशा के कालाहांडी और रायगढ़ा जिलों में सिजिमाली बॉक्साइट रिजर्व खनन की बोली जीत ली थी। इस साल फरवरी में, अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली वेदांता लिमिटेड ने सिजिमाली बॉक्साइट रिजर्व के खनन के लिए बोली जीती, जो कालाहांडी और राय...

नियामगिरी बचाने को आदिवासियों को आंदोलन : 2

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जंगली जानवर हमारे साथी, उनसे खतरा नहीं... डराती तो हमें रेल सड़क और फैक्टरी है नियामगिरी की पहाड़ियों से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट पहाड़ पर शाम थोड़ा जल्दी आती है। अंधेरा तो देखते देखते हो जाता है। पुलिस का भी भय यहां लगातार बना रहता है। माओवादियों की मौजूदगी भी यहां है। ऐसे में अंधेरा होते ही हमें अपना सफर रोकना पड़ा। हम रात्रि विश्राम के लिए पहाड़ की तली में बसे एक गांव में रूकते हैं। यह इंतजाम भी साथी ने कराया था। मेजबान के पास चारपाई नहीं थी। लिहाजा सभी को नीचे सोना था। लेकिन मुझे जमीन पर नींद नहीं आ रही थी। इस गांव में बिजली नहीं है। गर्मी और उमस थी। बीच बीच में हवा का झौंका आ जाता था तो थोड़ी राहत मिलती थी। मुझे छोड़ कर बाकी सभी गहरी नींद में थे। आदिवासियों की सुबह थोड़ी जल्दी हो जाती है। आवाज सुन कर मैं भी उठ गया। प्लास्टिक के कप में काली चाय और इसके साथ चावल के मुरमुरे नाश्ते में खाकर हमने पहाड़ की चढ़ाई शुरू कर दी। आठ घंटे हम जीप से चले। जैसे ही उतरे तो लगा कि हम आसमां के बीच में हैं। बादल हमारे सिर के आस पास घूम रहे थे। पहाड़ की चोटी पर यह समतल जगह काफी सुंदर थी।...

नियामगिरी बचाने को आदिवासियों को आंदोलन : 1

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पहाड़ हमारा देवता है, जिंदगी है, हमने मत छीने, इसके बिना जिंदा कैसे रहेंगे?  नियामगिरी पहाड़ कुछ ऐसा दिखता है,इस पहाड़ की तलहटी में बसे इस गांव में मेरा पहला पड़ाव था नियामगिरी ओडिया  मुझे जब काला हांडी की असाइनमेंट मिली तो मेरे मन में पहला ख्याल आया, भूख से लड़ते किसान।  बदहाल क्षेत्र । बंजर जमीन। वह इलाका जिसके बारे में मैं अक्सर सुनता रहा हूं। वहां मुझे जाने को बोला गया था।  मैं तो तुरंत तैयार हो गया।  मैंने दिल्ली से रायपुर छत्तीसगढ़ के लिए फ्लाइट ली। यहां रेल और बस का सफर तय कर मैं  भिवानी पटना पहुंचा। रात हो गई थी। होटल की तलाश में मैं इधर उधर भटक रहा था। एक होटल मिल गया। मैंने रात गुजारी।  सुबह मेरे मित्र ने एक एक्टिविस्ट को तैयार किया था, जो मेरे साथ पहाड़ पर जाने को तैयार थें। हम कोई नौ बजे  जीप से निकलने। साथी ने कहा कि पार्सल ले लेते हैं। मुझे लगा कि कोई सामान होगा। लेकिन जब वह आए तो खाने का खासा सामान साथ में था।  इसे वह पार्सल बोलते थे। मैंने पूछा काला हांडी कहां है? उन्होंने बताया कि भिवानी पटना को ही काला हांडी कहते हैं।  ...

फिर दाव पर नियामगिरी : एक तरफ सरकार प्रशासन पुलिस पैसा और वेदांता की अर्थमुविंग मशीन, दूसरी तरफ आदिवासी

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                         नियामगिरी की पहाड़ियों से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट फिर दाव पर नियामगिरी : एक तरफ सरकार प्रशासन पुलिस पैसा और  वेदांता की अर्थमुविंग मशीन, दूसरी तरफ आदिवासी नियामगिरी  ओडिशा 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने नियमगिरी की पहाड़ियों पर खनन पर रोक लगा दी थी। यह रोक यूं ही नहीं लग गई थी। आदिवासियो को एक लंबा संघर्ष करना पड़ा था। तब भी उन्होंने एक आशंका जताई थी। लांजीगढ़ में जब तक वेदांता कंपनी रहेगी, तब तक नियामगिरी की पहाड़ियां खतरे में रहेगी। उनकी यह आशंका ठीक 9 साल बाद फिर सही साबित हो रही है।  ओडिसा के जाने माने पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफूल सामंतरा नियमगिरी को बचाने के लिए के लिए चलाए जा रहे आंदोलन में भाग लेते हुए  ओडिसा सरकार ने  सिजिमाली व कुटरूमाली  पहाड़ को वेदांता ग्रुप को बॉक्साइट की खुदाई के लिए लीज पर दिया है। फरवरी 2023 में कंपनी ने यह पहाड़ लीज पर लिए हैं।  यह पहाड़ रायगढ़ा और कालाहांडी जिलों में स्थित है। करीब 18 गांव खुदाई की वजह से विस्थापित...