फिर दाव पर नियामगिरी : एक तरफ सरकार प्रशासन पुलिस पैसा और वेदांता की अर्थमुविंग मशीन, दूसरी तरफ आदिवासी

                         नियामगिरी की पहाड़ियों से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

फिर दाव पर नियामगिरी : एक तरफ सरकार प्रशासन पुलिस पैसा और  वेदांता की अर्थमुविंग मशीन, दूसरी तरफ आदिवासी

नियामगिरी ओडिशा

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने नियमगिरी की पहाड़ियों पर खनन पर रोक लगा दी थी। यह रोक यूं ही नहीं लग गई थी। आदिवासियो को एक लंबा संघर्ष करना पड़ा था। तब भी उन्होंने एक आशंका जताई थी। लांजीगढ़ में जब तक वेदांता कंपनी रहेगी, तब तक नियामगिरी की पहाड़ियां खतरे में रहेगी। उनकी यह आशंका ठीक 9 साल बाद फिर सही साबित हो रही है। 


ओडिसा के जाने माने पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफूल सामंतरा नियमगिरी को बचाने के लिए के लिए चलाए जा रहे आंदोलन में भाग लेते हुए 

ओडिसा सरकार ने  सिजिमाली व कुटरूमाली  पहाड़ को वेदांता ग्रुप को बॉक्साइट की खुदाई के लिए लीज पर दिया है। फरवरी 2023 में कंपनी ने यह पहाड़ लीज पर लिए हैं।  यह पहाड़ रायगढ़ा और कालाहांडी जिलों में स्थित है। करीब 18 गांव खुदाई की वजह से विस्थापित होने हैं। पिछले साल की 16 अक्टूबर को जनसुनवाई हुई। इससे पहले यहां खनन का विरोध कर रहे आदिवासियों का जम कर दमन किया गया।  100  लोगों के खिलाफ नाम से व करीब 200 लोगों अज्ञात लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। 


विवाद की वजह क्या है 

नियामगिरी की पहाड़ियां यहां रहने वाले आदिवासियों के लिए जीने का जरिया है। वह पहाड़ से अलग होने की कल्पना भर से सिहर जाते हैं। खनन यहां की हवा, पानी जल, जंगल जमीन को दुषित कर देगा। यह डर उन्हें भीतर तक कंपकपा देता है। पहाड़ उनका भगवान और देवता है। वह इसे किसी भी कीमत पर खत्म नहीं होने देना चाहते हैं। 

यही वजह थी कि 2014 में भी उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी थी। अब फिर से यहां एक लंबाई की बुनियाद पड़नी शुरू हो गई है। आदिवासियों ने बताया कि 

आदिवासियों की पूरी दिनचर्या पहाड़ से जुड़ी है। ऐसे में यदि पहाड़ उनसे छीन लिया गया तो वह बेसहारा हो जाएंगे। आदिवासियों का आरोप है कि गलत तथ्य लेकर पहाड़ की लीज वेदांता ने ली है। इसमें प्रशासन और सरकार ने भी कंपनी की मदद की है। 

ग्राम सभा में आदिवासियों का विरोध दर्ज नहीं कियाा गया 


पहाड़ पर पर्यावरण के नुकसान को कम करके बताया गया है। सामाजिक प्रभाव को लेकर आयोजित जनसभा में भी कंपनी के लोगों को शामिल किया गया। आदिवासियों के विराेध को दर्ज नहीं किया गया। 

जो आदिवासी ज्यादा आवाज उठा रहे हैं, उनके खिलाफ अलग अलग धाराओं में मामले दर्ज कर रहे हैं। कंपनी के लोग विरोध करने वाले आदिवासियों को अपने साथ मिलाने के लिए पैसे की भी मदद ले रहे हैं। 

पुलिस भी पूरी तरह से कंपनी के साथ ही काम कर रही है। 


अभी तक क्या क्या हुआ 

आदिवासी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। भुवनेश्वर में भी आंदोलन किया। आदिवासी वेदांता कंपनी के लोगों को पहाड़ पर घुसने नहीं देते। वह उनकी अर्थमुविंग मशीनों के रास्ते रोक देते हैं। इस वजह से कंपनी को अपनी मशीन वापस ले जानी पड़ रही है। 

मई में आदिवासियों ने बड़ी बैठक की थी। इसके बाद हर सप्ताह बैठक आयोजित कर आगे की रणनीति बना रहे हैं।  16 जून को सुबह कुटुरमाली गांव में बड़ी जनसभा का आयोजन किया गया।  कंपनी के विरोध के लिए गांव गांव में जागरूक अभियान चलाया जाएगा। शपथ ली जाएगी कि कंपनी के साथ नहीं जाएंगे, चाहे कंपनी कितना भी लालच दे।

नियामगिरी आंदोलन को कवर करने के लिए मनोज ठाकुर ओडिसा में एक माह से भी ज्यादा समय से आदिवासियों के बीच रह रहे हैं। 





 


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