जमकानी: कोल माइनस से ट्रक चला अपनी जीत को पुख्ता करने में जुटा वेदांता प्रबंधन
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यह जमीन उनकी थी। कभी पहले। घर उनके थे। आंगन और पेड़ उनके थे। अब नहीं। अब वह विस्थापित है। जमीन पर कोई हक नहीं। खेत से विस्थापित होते ही हाथ से कुदाल छीन ली। सिर से छत को छीन लिया गया।
विस्थापन की त्रास्दी यदि महसूस करनी है, तो जमकानी आना होगा। यहां बैठा एक एक प्रदर्शनकारी इस त्रास्दी को ब्यां कर रहा है। इनकी मांग इतनी भर है कि सिर को एक छत और हाथ का कोई एक काम दे दीजिए।
लेकिन यह मांग वेंदाता कंपनी, सिस्टम और सत्ता के लिए बहुत बड़ी है। जिसे वह पूरा नहीं करना चाहते। जिनकी जमीन को खनन के लिए लिया गया, उन्हें यहां से दूर हटाना चाहते हैं।
एक माह से भी ज्यादा समय हो गया, वह यहां बैठे हैं। अपनी मांगों को लेकर। विरोध जताने के बस कंपनी के ट्रकों को रोका था। लेकिन कंपनी कोर्ट में चली गयी तो ऑर्डर कंपनी के हक में आ गया।
कोर्ट के आदेश के बाद जमकानी कोल माइनस से अब वेदांता के ट्रकों की आवाजाही शुरू हो गई है। ऑर्डर की कापी हाथ में आते ही कंपनी के स्थानीय प्रबंधन ने रात में ट्रक चला कर अपनी जीत को पुख्ता करने का ऐलान किया।
रात के अंधेरे में हुंकार भर रहे ट्रक का ईंजन मानो ग्रामीणों को ललकार रहा है। उड़ती धूल और इसके साथ ही कॉर्बन से कणों से सना काले धुंए का एक झौका साइड में बैठे प्रदर्शनकारियों की आंखों और मुंह में घुसता है।
इससे बचने के लिए प्रदर्शनकारी मुंह को बाजू से ढांपने की कोशिश करते हैं। लेकिन वह हकीकत और हालात से मुंह नहीं फेर रहे हैं। वह डटेंगे। उन्होंने बताया पीछे हटने का सवाल ही नहीं है।
अब क्योंकि कोर्ट के ऑर्डर है,इसलिए प्रदर्शनकारी ट्रकों को रोक तो नहीं पाएंगे। यूं भी यह प्रदर्शनकारी शांतपूर्वक तरीके से अपनी मांगों को रख रहे हैं। हालांकि पहले तय यह किया गया गया था कि खान से बाहर आने वाले ट्रकों को रोका जाएगा।
इस पर वेदांता कंपनी कोर्ट में चली गई। कोर्ट ने आदेश दिया कि ग्रामीणों को प्रदर्शन करने का अधिकार है। लेकिन वह कंपनी के ट्रक व कर्मचारियों को काम से न रोके।
कोर्ट के आदेश से ग्रामीण थोड़े से मायूस तो हैं। फिर भी उनके हौसले बुलंद है।
फौरी तौर पर भले ही वेदांता के स्थानीय प्रबंधन ऑर्डर को अपनी जीत मान रहा हो,लेकिन ग्रामीणों का विरोध जब तक शांत नही होगा तब तक यहां स्थिति तनावपूर्ण रहेगी। जमकनी और आस पास के गांव के यह वह लोग है,इनकी जमीन और घर कोल माइन में आ गए हैं। वेदांता इन माइनस को चला रहा है। बेघर ग्रामीण एक अद्द छत और रोजगार की मांग कर रहे हैं।
वह धरना दे रहे हैं। अब उन्हें दबाने की कोशिश हो रही है। लकिन प्रदर्शनकारियों के हौसले बुलंद है। उनका कहना है कि वह अपने अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष करने को तैयार है।
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