एनओसी प्रक्रिया में फंसी जिम्मेदारों ने चलवा दी फार्मेलिन डिहाइड्रेंट यूनिट
एक यूनिट की तीन बार शिकायत के बावजूद भी स्थानीय अधिकारी नहीं कर रहे कार्यवाही
फार्मेलिन डिहाइड्रेंट चलाने के लिए सभी एलओसी जरूरी है। एनजीटी के यह निर्देश है। यूनिट संचालक सुप्रीम कोर्ट गए। वहां निर्णय दिया कि एक समय अवधि के दौरान एनओसी ले ली जाए। एनओसी की प्रक्रिया इतनी लंबी है कि अब इसमें उलझा कर वह यूनिट भी सरेआम चल रही है, जिनके पास सभी एनओसी नहीं है। पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था आकृति के अध्यक्ष अनुज सैनी ने बताया कि यह मामला जहरीली शराब से भी ज्यादा खतरनाक है।
क्योंकि जहरीली शराब में तो पीने वाले का नुकसान होता है। फार्मेलिन डिहाइड्रेंट से निकलने वाली गैस तो हर किसी को अपना शिकार बना रही है। इतने बडे़ स्तर पर प्रदूषण होने के बावजूद भी स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
इसलिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सवालों के घेरे में
अनुज सैनी ने बताया कि होना तो यह चाहिए कि यह यूनिट बिना एनओसी के चले ही नहीं। कोई एनओसी की प्रक्रिया इतनी लंबी है, जिसे पूरा करने में इतना लंबा समय लग रहा है। अब क्योंकि यूनिट चल रही है,इसलिए संचालकों को एनओसी की चिंता ही नहीं है। दूसरी ओर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसलिए संचालकों को मनमानी करने का पूरा मौका मिल रहा है। जिसका खामियाजा जिले के हर व्यक्ति को भुगतना पड़ रहा है।
कम से कम अब तो कार्यवाही करें बोर्ड के अधिकारी
पर्यावरण के लिए काम करने वाले स्वयंसेवी अंश बंसल ने बताया कि मान लीजिए बोर्ड के अधिकारियों की जानकारी के बिना यूनिट चल रही है। अब तो जानकारी मिल गई,अब कार्यवाही क्यों नहीं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से उम्मीद की जाती है कि वह पर्यावरण की रक्षा करेंगे। लेकिन इस मामले में ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।
जांच के नाम पर भी लटकाया जा रहा है मामला
पर्यावरणविदों का कहना है कि जांच के नाम पर भी मामले को लटका कर एनओसी न लेने वाले यूनिट संचालकों को लाभ पहुंचाने की कोशिश हो रही है। जितने उत्पादन की मंजूरी मिली,उससे ज्यादा उत्पादन हो रहा या नहीं,इसकी जांच के लिए इंडस्ट्री डिपार्टमेंट को लिखा जाएगा। हेड आफिस से कार्यवाही के बारे गाइड लाइन ली जाएगी। यह ऐसे दावे है, जो सुनने में तो अच्छे लग रहे हैं, लेकिन इनका कोई मतलब नहीं है। कब पत्र लिखे जाएंगे, कब उनका जवाब आएगा, कब जांच होगी? यानी मामले को लंबा खिंचने की सीधी सीधी कोशिश है।
हां शिकायत मिली है:
क्षेत्रीय अधिकारी इधर क्षेत्रीय अधिकारी ने स्वीकार किया कि उन्हें मानकपुर में चल रही यूनिट के बारे में सीएम विंडो की शिकायत मिली है। इस बारे में जांच की जा रही है। यदि कुछ भी अनियमित मिला तो कार्यवाही करेंगे।
टिप्पणियाँ