मंडी में गेट पास का फर्जीवाड़ा..

जांच में सैकड़ों आढ़तियों के नाम होंगे शामिल, आढ़तियों में मचा हडक़ंप

मंडी में बिना धान आए ही काटे गए थे 294 गेट पास


द न्यूज इनसाइडर करनाल




पुलिस को भेजी गई शिकायत की फ़ोटो

 फर्जी गेट पास कांड में सैकड़ों आढ़तियों के नाम ओर शामिल होंगे। क्योंकि जांच में 3 नवम्बर को 11 बजे तक सभी गेट पास की जांच को शामिल किया हैं। जिसके चलते आढ़तियों में हडक़ंप मचा हुआ हैं। आढ़तियों को गिरफ्तारी का डर सता रहा है। मामले में पहले ही मंडी प्रशासन द्वारा 20 आढ़तियों को नोटिस जारी कर लाइसेंस सस्पेंड कर चुकी है, जिनके फर्म के नाम गेट पास काटे गए थे। प्रशासनिक अधिकारी-पुलिस अधिकारी जांच कर रहे है कि 6 बजकर 51 मिनट से लेकर 11 बजे तक काटे गए करीब 232 गेट पास किन-किन फर्मा के नाम पर है। इन गेट पास कटवाने में आढ़तियों की क्या भूमिका हैं। वहीं पुलिस की इकनॉमिक सैल जल्द ही सम्बधित आढ़तियों को जांच के लिए बुलाएगा ताकि जांच को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके। फिलहाल पुलिस उन किसानों को जांच में शामिल कर रही है, जिन किसानों के नाम पर गेट पास काटे गए थे।

कई आढ़तियों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि जब एसडीएम ने जांच कर फर्जीवाड़ा पकड़ लिया है। पुलिस ने मंडी कर्मचारियों, बिना नाम के आढ़तियों के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया है। फिर आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा? क्या एसडीएम ने जांच गलत की थी, जो एक बार फिर जांच को करवाया जा रहा है? जब मंडी में 3 नवम्बर को धान आया ही नहीं, फिर भी गेट पास काट दिए? ये फर्जीवाड़ा नहीं तो क्या है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच ही चल रही हैं?  3 नवम्बर को 294 गेट पास काटकर 28 हजार क्विंटल की खरीद कर डाली, वो भी तब जब कोई किसान मंडी में धान लेकर आया ही नहीं। सवाल उठ रहा है कि जांच के नाम क्यों लीपापोती की जा रही हैं।













एस डी एम की जांच की कॉपी


आढ़तियों का पक्ष, एडजैस्टमेंट कर बिकवाई धान


इस मामले में आढ़ती एसोसिएशन-राइस मिलर्स एसोसिएशन मिलकर डीसी को सीएम के नाम ज्ञापन भी दे चुकी हैं। सही प्रकार से जांच की मांग कर चुकी हैं। उनका तर्क कि एडजैस्टमेंट करके किसानों का धान बिकवाया। लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं, जब मंडी में 3 नवम्बर को कोई किसान धान लेकर आया ही नहीं तो कैसे गेट पास कटवा लिए। किसकी धान बेची? एक आढ़ती ने बताया कि ऐसा केवल 3 नवम्बर को ही नहीं बल्कि हर दिन हो रहा था। फर्जी गेट पास काटने के लिए 30 से 100 रुपए लिए जाने के आरोप भी मंडी कर्मचारियों पर लगे हैं। जो डाका किसानों की जेब पर ही पड़ रहा था। क्या हो सकता है कि कोई आढ़ती अपनी जेब से पैसे देकर गेट पास कटवाए। ऐसी किस्मत किसान की कहां। गेट पास न होने के चलते किसानों का धान समर्थन मूल्य से कम पर खरीदा गया।


फ़ाइल फोटो

गेट पास के नाम पर उठाया किसानों की मजबूरी का फायदा


मंडियों में किसानों का धान कागजों में तो समर्थन मूल्य पर बिका, लेकिन हकीकत कुछ ओर थी। किसानों का धान समर्थन मूल्य से 150 रुपए तक कम पर खरीदा गया, लेकिन कागजों में धान समर्थन मूल्य पर खरीदा हुआ दिखाया गया। गेट पास की दिक्कत के चलते किसानों का धान औने-पौने दामों पर खरीदा गया। गेट पास किसानों के लिए बेबेसी बन गया। जिसका फायदा मंडी कर्मचारियों से लेकर आढ़तियों, राइस मिलरों सहित खरीद एजेंसियों के अधिकारियों ने उठाया। क्योंकि बिना गेट पास धान समर्थन मूल्य पर बिक नहीं सकती, लेकिन प्राइवेट बेचने पर कोई पाबंदी नहीं है। गेट पास समय पर मिला नहीं, इस पर किसानों ने मजबूरी में धान को कम कीमत पर बेचने के लिए बाध्य होना पड़ा।

वर्जन


इकनॉमिक सैल  इंचार्ज संदीप ने बताया कि मामले की गहनता के साथ जांच की जा रही हैं। जल्द ही आढ़तियों ो जांच में शामिल किया जाएगा। फिलहाल उन किसानों को जांच के लिए बुलाया जा रहा है। जिन किसानों के नाम पर गेट पास काटे गए हैं।


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