खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर पर प्रति बैग 

3 रुपए वसूलने के आरोप
  डीसी ने बताया कि मामला उनकी जानकारी में भी आया है। इसकी जांच डीसी ने जेड-ए को सौंपी ,कहा स्वयं भी जांच का बारीकी से निरीक्षण करेंगे
द न्यूज इनसाइडर, करनाल

जहां देश प्रदेश कोरोना संकट से जुझ रहा है, वहीं दूसरी ओर खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर ने आढ़तियों से गेहूं को प्लेटियों पर रखवाने की एवज में प्रति बैग 3 रुपए हड़पने के गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि आढ़तियों पर प्रति बैग 3 रुपए देने के बाकायदा दवाब बनाया गया। प्रशासनिक अधिकारी के पास मौखिक शिकायत देकर मामला संज्ञान में लाया गया, लेकिन मौखिक शिकायत पर तुरंत कार्रवाई न होने से आढ़तियों द्वारा इंसपेक्टर को पैसे देने के लिए मजबूर होना पड़ा। 


इस बात को लेकर आढ़तियों में काफी रोष है। वहीं मामला डीसी डॉ. निशांत यादव के संज्ञान में आया तो मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का जिम्मा नई अनाजमंडी में कार्यरत जेड-ए सुशील मलिक को सौंप दिया। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगा सकते है कि डीसी स्वंय भी इस मामले पर पैनी नजर बनाए हुए है। जो आढ़तियों के लिए एक राहत की बात हैं।


मंडी के आढ़तियों में इस बात को लेकर भी तीव्र विरोध है कि जो गलत परंपरा तत्तकालीन डीसी जे. गणेशन व तत्तकालीन एसडीएम योगेश कुमार के संयुक्त प्रयासों से खत्म हो गई थी, वो गलत परपंरा खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर द्वारा फिर से चालू कर दी। नई परंपरा में फर्क सिर्फ इतना आया है कि पहले लोडिंग के लिए ट्रासपोर्ट पर प्रति बैग लेने के आरोप लगते थे। कई बार तो मामला हंगामेदार भी हो जाता था।

मंडी के आढ़तियों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि उन्हें प्रति बैग 3 रुपए देने के लिए बाकायदा दवाब बनाया गया, डराया गया। कहा कि अगर ऐसा नहीं किया तो उनका गेहूं रिजेक्ट कर दिया जाएगा। आढ़तियों ने इसी डर के मारे पैसे देने के लिए मजबूर होना पड़ा। क्योंकि इस बार फसल पर मौसम की मार तो पड़ी थी, साथ ही कोरोना का संकट भी गहरा था।

 जिसका फायदा इंसपेक्टर ने जमकर उठाया। हालांकि मामला डीसी के संज्ञान में है, फिर भी आढ़तियों ने कहा कि अगर मामले की जांच डीसी स्वयं या एसडीएम से करवाएं तो सच्चाई अपने आप बाहर आ जाएगी।

इंसपेक्टर पर पहले भी लगे थे आरोप
इससे पहले भी इसी इंसपेक्टर पर गेहूं में परखी मारने के आरोप लगे थे, साथ ही यहीं इंसपेक्टर धान के मामले में डिफाल्टर है। जिसके चलते पिछले सीजन में भी इंसपेक्टर की मंडी में डयूटी नहीं लगी थी। लेकिन कई गंभीर आरोप होने के बाद भी इंसपेक्टर की डयूटी में मंडी में लगना वाक्या में ही हैरान प
रेशान करने वाला हैं। वहीं आढ़तियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब सीएम के विधानसभा क्षेत्र की मंडी में ये सब चल रहा है तो अन्य मंडियों की क्या स्थिति होगी।

दो खरीद एजेसियों में से एक पर ही आरोप
नई अनाजमंडी में हैफेड व खादय आपूर्ति विभाग द्वारा गेहूं की खरीद की गई, लेकिन आरोप सिर्फ खाद्य आपूर्ति विभाग पर ही लगे है। आढ़तियों ने कहा कि हैफेड एजेंसी द्वारा सही प्रकार से काम किया गया, किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की गई। लेकिन खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर ने अपनी मनमर्जी से आढ़तियों से पैसे लिए हैं। इन सब के पीछे अकेले इंसपेक्टर ही नहीं इसी विभाग के अधिकारी भी हो सकते है। जो सब जांच के बाद ही पता चल सकेगा।

आढ़तियों ने कहा, हम सब जांच के में सहयोग को तैयार
कई आढ़तियों ने डीसी से मांग की है कि अगर वे स्वयं मामले की जांच करे तो स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगी। लेकिन उन्हें अकेले-अकेले ही कार्यालय में बुलाकर पूछताछ की जाए। वे इंसपेक्टर के बारे में पूरी स्थिति से पर्दा उठा सकते है। चूंकि उन्हें डर है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो इंसपेक्टर उन्हें परेशान कर सकता है, जो वे नहीं चाहते। यहीं उन्होंने डीसी से मांग की है कि इंसपेक्टर की प्लेटियों की जांच की जाए, क्योंकि प्लेटियों पर निर्धारित मात्रा से अधिक गेहूं पड़ा हुआ है, आढ़तियों से शॉर्टेज के नाम पर लिया गया।


डीसी डॉ. निशांत यादव ने बताया कि 3 रुपए प्रति बैग लेने का मामला उनके संज्ञान में है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच जेड-ए सुशील मलिक को सौंपी गई है। वे स्वयं भी मामले की तह तक जाएगे। अगर कुछ भी गलत लगता है तो यकीकन कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। मामले की जांच चल रही हैं।

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