बच्चों के नाजुक कंधों पर बोझ: भारी स्कूल बैग और सेहत का सच
बच्चों के नाजुक कंधों पर बोझ: भारी स्कूल बैग और सेहत का सच आज के दौर में बच्चों के लिए स्कूल जाना मतलब सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि रोज़ एक जंग लड़ना भी है—और यह जंग है भारी बस्तों से। सुबह-सुबह नन्हे कंधों पर टंगे बैग, जिनमें किताबों से ज्यादा बोझ दिखाई देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह बैग सिर्फ वजन ही नहीं बढ़ा रहा, बल्कि बच्चों की सेहत, पोस्चर और मानसिक संतुलन पर भी असर डाल रहा है? क्यों खतरनाक है भारी बैग? रीढ़ की हड्डी पर दबाव – ज्यादा वजन बच्चे की रीढ़ की हड्डी का संतुलन बिगाड़ देता है। गलत मुद्रा (पोस्चर) – बच्चे अक्सर झुककर चलते हैं, जिससे शरीर की शेप असमान्य होने लगती है। पीठ और कंधे का दर्द – लंबे समय तक बैग उठाने से मांसपेशियों पर तनाव रहता है। मानसिक असर – भारी बैग बच्चों में थकान, चिड़चिड़ापन और पढ़ाई से दूरी पैदा कर सकता है। बैग कितना भारी होना चाहिए? 👉 विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों का बैग उनके वजन का 10% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यानी अगर बच्चे का वजन 30 किलो है, तो बैग का वजन 3 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। छोटे बच्चों बनाम टीनएजर्स 5–10 साल के ...