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बच्चों के नाजुक कंधों पर बोझ: भारी स्कूल बैग और सेहत का सच

  बच्चों के नाजुक कंधों पर बोझ: भारी स्कूल बैग और सेहत का सच आज के दौर में बच्चों के लिए स्कूल जाना मतलब सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि रोज़ एक जंग लड़ना भी है—और यह जंग है भारी बस्तों से। सुबह-सुबह नन्हे कंधों पर टंगे बैग, जिनमें किताबों से ज्यादा बोझ दिखाई देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह बैग सिर्फ वजन ही नहीं बढ़ा रहा, बल्कि बच्चों की सेहत, पोस्चर और मानसिक संतुलन पर भी असर डाल रहा है? क्यों खतरनाक है भारी बैग? रीढ़ की हड्डी पर दबाव – ज्यादा वजन बच्चे की रीढ़ की हड्डी का संतुलन बिगाड़ देता है। गलत मुद्रा (पोस्चर) – बच्चे अक्सर झुककर चलते हैं, जिससे शरीर की शेप असमान्य होने लगती है। पीठ और कंधे का दर्द – लंबे समय तक बैग उठाने से मांसपेशियों पर तनाव रहता है। मानसिक असर – भारी बैग बच्चों में थकान, चिड़चिड़ापन और पढ़ाई से दूरी पैदा कर सकता है। बैग कितना भारी होना चाहिए? 👉 विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों का बैग उनके वजन का 10% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यानी अगर बच्चे का वजन 30 किलो है, तो बैग का वजन 3 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। छोटे बच्चों बनाम टीनएजर्स 5–10 साल के ...

लोकसभा में नया बिल: गिरफ्तारी पर मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का पद जाएगा

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मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी पर पद गंवाने का प्रावधान: लोकसभा में शाह ने रखे तीन अहम बिल भा रतीय राजनीति में अक्सर यह सवाल उठता रहा है कि जब कोई जनप्रतिनिधि, खासकर मुख्यमंत्री या मंत्री, गंभीर अपराधों में आरोपी होकर गिरफ्तार हो जाए तो क्या उसे पद पर बने रहने का अधिकार होना चाहिए? अब केंद्र सरकार ने इस पर निर्णायक कदम उठाते हुए लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश किए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने 20 अगस्त को लोकसभा में ये बिल रखे, जिन पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया। इन बिलों के अनुसार, यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री ऐसे अपराध में गिरफ्तार या 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहता है जिसकी सजा पांच साल या उससे ज्यादा हो सकती है, तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा। तीनों बिल और उनका मकसद 1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025 केंद्र शासित प्रदेशों के मौजूदा कानून (1963 का अधिनियम) में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी कि गंभीर अपराध में आरोपी और हिरासत में गए मंत्री को पद से हटाया जा सके। अब इस संशोधन से कानूनी प्रावधान जुड़ जाएगा, जिससे ऐसे मंत्री स्वतः पदमु...

मनीषा डेथ मिस्ट्री, CBI जांच कराएगी सरकार:तीसरी बार AIIMS से पोस्टमॉर्टम होगा; नए सैंपल लिए जाएंगे; पुलिस ने गांव सील किया

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मनीषा डेथ मिस्ट्री : इंसाफ की जंग और सत्ता पर सवाल 🔴 क्यों चर्चा में है मामला? लेडी टीचर मनीषा की मौत को लेकर दो बार पोस्टमॉर्टम हो चुका, दोनों में सुसाइड बताया गया। परिवार और ग्रामीणों का आरोप: यह हत्या है, साज़िश है। अब सरकार ने दबाव में आकर: CBI जांच सौंपने का ऐलान किया। AIIMS (दिल्ली) से तीसरा पोस्टमॉर्टम कराने की मंजूरी दी। ⚖️ इंसाफ बनाम सिस्टम: ग्रामीणों की मांग ✔️ एम्स के डॉक्टर आएं और नए सैंपल लें। ✔️ CBI जांच की लिखित गारंटी मिले। ✔️ तभी अंतिम संस्कार होगा। ✍️ मनीषा के पिता संजय बोले : “सरकार लिखित में सबूत दे दे, तभी हम धरना खत्म करेंगे। दबाव में नहीं हूँ।” 🚨 गांव में हालात गांव को पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया। हर रास्ता ग्रामीणों ने ईंट-पत्थर और पेड़ों से बंद कर दिया। महिलाएं व बुजुर्ग भी डंडा लेकर पहरे पर हैं। इंटरनेट बंद (भिवानी और चरखी दादरी में 21 अगस्त सुबह 11 बजे तक)। RAF, दंगा रोकू वाहन और 3 जिलों की पुलिस फोर्स तैनात। रास्ते खुलवाने के लिए JCB बुलाई गई। 🌾 किसान नेताओं की एंट्री गुरनाम सिंह चढूनी : “संस्...
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  बंसीलाल परिवार में टकराव —कांग्रेस रीबिल्ड बनाम भाजपा नैरेटिव ह रियाणा के प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों में शामिल स्वर्गीय चौधरी बंसीलाल के परिवार में चाची–भतीजे की तकरार एक बार फिर सुर्खियों में है। राज्यसभा सांसद किरण चौधरी —जो अब भाजपा में हैं—ने हरियाणा कांग्रेस के नए संगठन और अपने भतीजे अनिरुद्ध चौधरी (कांग्रेस जिला ग्रामीण अध्यक्ष) पर तंज कसा: “कांग्रेस पहले ही जीरो पर थी, अब भाई-भतीजावाद के कारण धरातल से भी नीचे जाएगी।” इसके जवाब में उनके भतीजे अनिरुद्ध ने भी पलटवार तेज रखते हुए कहा कि “चाची का गणित कमजोर है।” स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भिवानी के भीम स्टेडियम से निकला यह संवाद सिर्फ पारिवारिक तकरार नहीं, बल्कि हरियाणा की बदलती राजनीतिक का आईना भी माना जा रहा है। बंसीलाल परिवार की यह नई सियासी जंग सिर्फ घरेलू विवाद नहीं—यह हरियाणा की राजनीति में विरासत, वैचारिकता और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के त्रिकोण का प्रदर्शन है। आने वाले महीनों में यह कहानी तय करेगी कि नेरेटिव किसका , नेटवर्क किसके , और नतीजा किसके नाम । रिश्ते, विरासत और भावनाएँ बंसीलाल परिवार हरियाणा की राजनीति...

करनाल का ‘प्री-वेडिंग किडनैप केस’ शादी से पहले लड़की का अपहरण

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करनाल का ‘प्री-वेडिंग किडनैप केस ’ शादी से पहले लड़की का अपहरण  ह रियाणा के करनाल में मंगलवार दोपहर जनकपुरी की एक तंग गली में अचानक चीख-पुकार गूंज उठी। 18 वर्षीय अंजलि, जिसकी चार दिन बाद शादी होनी थी, को काले रंग की कार में जबरन घसीटकर ले जाया जा रहा था। गली में मौजूद लोगों ने लड़की को बचाने की कोशिश की। लेकिन अपहरणकर्ताओं ने बचाने आए लोगों से भी मारपीट की। वह पूरी तैयारी के लिए इस वारदात को अंजाम देने के लिए आए हुए थे। यह कोई अचानक हुआ अपराध नहीं था—हर कदम पहले से प्लान किया गया था। क्या बोले प्रत्यक्षदर्शी रामपाल (स्थानीय दुकानदार) बताते हैं— “लड़की चिल्ला रही थी, हम दौड़े, लेकिन उन्होंने हमें भी मारा और गाड़ी तेज़ी से भगा दी।” एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि कार का ड्राइवर पूरे समय इंजन चालू रखे था, जैसे सिर्फ इशारा मिलते ही निकल जाना हो। पारिवारिक आघात अंजलि की बुआ मंजू की आंखों में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। “12 नवंबर को शादी थी… घर में खुशी का माहौल था। उसने लाल चुनरी भी पसंद कर ली थी। अब नहीं पता वो किस हाल में है।” पुलिस की जांच – दबिश और गिरफ्तारी ...

नकली मावे का गोरखधंधा: त्योहारों की मिठास में जहर

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  नकली मावे का गोरखधंधा : त्योहारों की मिठास में जहर ह रियाणा के हिसार में रविवार सुबह जो दृश्य सामने आया, उसने त्योहारों की मिठास में मिलावट के इस काले कारोबार की असली तस्वीर दिखा दी। सीएम फ्लाइंग टीम ने ढाणी श्याम लाल गली नंबर 3 स्थित एक मकान में चल रहे नकली मावे के गोदाम पर छापा मारा और 7 क्विंटल नकली मावा बरामद किया। यह मावा गंदगी, बदबू और गंदे पानी के बीच रखा हुआ मिला। त्योहारों पर मिठाई की मांग बढ़ने के साथ-साथ नकली मावे का कारोबार भी अपने चरम पर पहुंच जाता है। यही वजह है कि तीज और रक्षाबंधन पर इस गोदाम से लगभग 35 क्विंटल मावा शहर की नामी दुकानों, जिनमें बीकानेर स्वीट्स का नाम भी शामिल है, पर सप्लाई हुआ। 150 रुपए किलो में खरीद, 500 में बिक्री छापे में गिरफ्तार आरोपी महावीर, जो राजस्थान के चुरू का रहने वाला है, ने कबूला कि मावा बीकानेर से लाया जाता था और हिसार, बरवाला, उकलाना समेत कई जगहों पर बेचा जाता था। दो तरह की क्वालिटी बनाई जाती — सुपर क्वालिटी (250 रुपए किलो) और लो क्वालिटी (150 रुपए किलो)। दुकानदार इसे शुद्ध बताकर 500 रुपए किलो तक बेचते थे। गंदगी और बदबू का अड...

NCERT के नक्शे पर हरियाणा-भरतपुर विवाद: इतिहास या षड्यंत्र?

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         NCERT के नक्शे पर हरियाणा-भरतपुर विवाद: इतिहास या षड्यंत्र? रेवाड़ी कक्षा 8 की NCERT सामाजिक विज्ञान की किताब के एक नक्शे ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। यूनिट-3 के पृष्ठ 71 पर दर्शाए गए मानचित्र में भरतपुर रियासत और हरियाणा को सन 1759 में मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताया गया है। रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने इसे "गलत और भ्रामक" बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई है। हुड्डा का कहना है कि ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार न तो हरियाणा और न ही भरतपुर कभी मराठा साम्राज्य का हिस्सा रहे। उनके मुताबिक 1755-1763 के बीच महाराजा सूरजमल भरतपुर के शासक थे और उस समय यह एक स्वतंत्र जाट रियासत थी। उन्होंने आरोप लगाया कि किताब में भरतपुर का नाम मिटाकर उसे मराठा साम्राज्य में दिखाना "इतिहास के साथ अन्याय" और "संभवतः एक सुनियोजित षड्यंत्र" है। ऐतिहासिक संदर्भ और बहस पानीपत की तीसरी लड़ाई (1761) में महाराजा सूरजमल मराठाओं के सहयोगी जरूर थे, लेकिन हार के बाद भी हरियाणा की भूमि ने मराठों को शरण दी। सांघी गांव में मराठा सेनापति सदाशिवराव भाऊ का अज्ञातवास और भरतपुर दर...