बालको में नौकरी के लिए महिलाओं का संघर्ष

 

बालको में नौकरी के लिए महिलाओं का अंतहीन संघर्ष: क्या दिला पाएंगा उन्हें उनका वाजिक हक 


                                                कोरबा छत्तीसगढ़ से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट 

वह न क्रांतिकारी है। न एक्टिविस्ट। न ही उसे पता कि आंदोलन कैसे चलाया जाता है। वह साफ व स्पष्ट बात करती है। बिना लाग लपेट के। 


वह गृहणी है। साधारण। मैंने जब मिलने के लिए समय मांगा तो परेशान हो गई। मीडिया कर्मी को इंटरव्यू कैसे देगी?उसकी  चिंता यह थी। एक स्थानीय साथी की वजह से वह मिलने के लिए तैयार हो गई। 



यह तीन मंजिला एक जर्जर सा घर है। बहुत छोटा। इतना कि शुरू होेते ही खत्म हो जाता है। यहां परंपरा है, घर में प्रवेश से पहले जूते बाहर निकालने की। मैं भी अपने जूते बाहर निकाल साथी के साथ उनके घर गया। 


एक गृहणी हमारे सामने थी। कृष्णी राठौर यह नाम है, उस महिला का जो इन दिनों कोरबा बालको में महिलाअों को रोजगार का हक दिलाने की लड़ाई लड़ रही है। मैं विशेष तौर पर कृष्णी राठौर से मिलने छत्तीसगढ़ प्रदेश के कोरबा जिला मुख्यालय में पहुंचा था। यहां महिला बेरोजगार समिति के बैनर तले बड़ी संख्या में महिलाएं बालको में रोजगार के लिए आंदोलन कर रही है। समिति की प्रधान कृष्णी राठौर है। 



मैं जानना चाहता था कि आखिर एक गृहणी कैसे इतनी बड़ी कंपनी के सामने खड़ा होने का जज्बा जुटा सकती है। क्या है, इसकी वजह? कृष्णी से मिलने की दूसरी वजह यह थी कि आखिर क्यों वह चाहती है कि बालको में महिलाअों को काम मिले। 

मेरा पहला सवाल था, इस आंदोलन की वजह क्या है? क्या प्रेरित कर रहा है आंदोलन के लिए? 

उसका जवाब था, बेरोजगारी। हमें रोजगार चाहिए। यह हमारा हक है। 

मैंने पूछा, कैसे लगा कि रोजगार मांगना आपका हक है?

 


उन्होंने बताया कि क्यों हक नहीं है। बालको में इतने कर्मचारी काम करते हैं। यहां महिलाओं को रोजगार नहीं दिया जाता। इसलिए लगा कि इसे खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। बेरोजगार हूं, रोजगार मांगना गुनाह थोड़े  है। उसने बहुत ही सधे हुए अंदाज में जवाब दिया। 


क्यों महिलाअों को रोजगार नहीं दिया जाता? मैंने उनसे यह सवाल किया 

उन्होंने जवाब दिया, शायद बालको मैनेजमेंट को लगता है कि महिलाएं पुरूष से कम काम कर पाएगी। लेकिन उन्हें पैसे पूरे देने पड़ेंगे। इसलिए शायद वह महिलाओं को काम नहीं देते। 


कृष्णी राठौर ने बताया कि करीब 200 महिलाएं उनके साथ है। इसमें बहुत सी महिलाएं बेहद कम पढ़ी लिखी है। हम उन सभी की योग्यता के हिसाब से काम मांग रहे हैं। क्या महिलाओं को सम्मानजनक जिंदगी जीने का हक नहीं मिलना चाहिए? उन्होंने सवाल किया। 


मैं उनकी बातें सुन रहा था। सोच रहा था कि वह कितना वाजिब सवाल उठा रही है। लेकिन उनकी आवाज को अभी तक अनसुना किया जा रहा है। मेरेे मन में यह ख्याल चल रहा था, महिलाओं को बराबरी का हक देने की बात तो बहुत हो रही है,लेकिन जब बराबरी का हक देने की बारी आती है तो यह सब होता है। 


कृष्णी राठौर ने बताया कि उसने अकेले ही बालको के गेट पर ताला लगा दिया था। बाकी की महिलाएं कुछ देर के बाद मौके पर पहुंची थी। उन्हें आश्वासन मिला है कि मांगों को पूरा किया जाएगा। अभी तक तो पूरा नहीं किया गया। 

तो अब क्या करेंगे? इस सवाल पर उन्होंने जवाब दिया, आंदोलन। फिर दोबारा से करेंगे। 




उनकी साथी महिलाओं ने बताया कि अब तो हमने ठान लिया है, अपना हक लेकर ही रहना है। इसलिए हमने डीसी से लेकर यहां के स्थानीय विधायक, सरकार में श्रम व उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन को भी ज्ञापन दिया। 


उन्होंने बताया कि मंत्री ने कलेक्टर को पत्र लिख कर  इस बाबत उचित कार्यवाही के लिए लिखा है। अभी तक तो मंत्री के पत्र पर भी कुछ नहीं हुआ है। 

समिति की सदस्य महिला कीर्तन बरेठ ने बताया कि मंत्री के पत्र पर कलेक्टर ने अभी तक तो कोई ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने बताया कि पत्र की एक कापी यहां की सांसद ज्याोत्सना महंत को भी दी गई है। 


अभी तक तो उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। 

तो क्या उद्योग एवं श्रममंत्री का पत्र भी कलेक्टर और बालको मैनेजमेंट के लिए मायने नहीं रखता? मैंने उनसे सवाल किया? उन्होंने बताया कि पता नहीं। आपके सामने ही सारी स्थिति है। 


भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) भारत सरकार के खान मंत्रालय के अधीन भारत सरकार के स्वामित्व वाली एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी थी । 2000 में, भारत सरकार के खान मंत्रालय ने इसे वेदांत रिसोर्सेज को बेच दिया था। अब लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी वेदांता रिसोर्सेज द्वारा बालको को  अधिग्रहित किया गया था। 


प्रदर्शनकारी महिलाओं ने बताया कि बालको को वेदांता मैनेजमेंट चलाती है। उन्होंने सवाल किया कि वेदांता मैनेजमेंट आखिर कैसे महिलाओं के प्रति इस तरह की सोच रख सकती है। यह तो महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया ही है। 








 


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