वेदांता के खिलाफ आदिवासियों को मिला संयुक्त किसान मोर्चे का साथ
कालाहांडी : वेदांता के खिलाफ सिजिमाली के आदिवासियों को संयुक्त किसान मोर्चे के साथ से आंदोलन कितना मजबूत होगा
सिजिमाली की पहाड़ी:
पहाड़ पर अब हल्की सी सर्दी उतर रही है। बाहर से आए लोगों के लिए यहां का मौसम काफी सुहावना है। लेकिन यहां के आदिवासियों की आंखों में मौसम की चमक गायब है। इसकी जगह है, खौफ। अंधेरा होते ही छोटी सी आवाज भी उन्हें चौकन्ना कर देती है। कंपनी के लोग या पुलिस तो नहीं आ गई, यह भय उन्हें चैन से सोने नहीं देता। पूरा दिन भागते हुए बीतता है, रात छुपते हुए।
सिजिमाली की पहाड़ियों के यह वह आदिवासी है, जो वेदांता के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। इंग्लैंड बेस भारतीय कंपनी वेदांता ने ओड़िसा के लांजीगढं में एल्मूनियम रिफानइरी लगा रखी है।
रिफाइनरी के लिए कच्चा माल चाहिए। जो फिलहाल कंपनी बाहर से लेकर आ रही है। इस कच्चे माल का खजाना सिजिमाली,नियामगिरी की पहाड़ियों में भी छुपा हुआ है। वेदांता की नजर इस पर है। कारपोरेट कितना आगे की सोचते हैं? लांजीगढ़ की रिफाइनरी इसका उदाहरण है। कंपनी ने रिफाइनरी पहले लगा ली, जिससे यह माहौल बनाया जाए कि पहाड़ियों पर खनन का अधिकार मिल सके।
अभी तक तो कंपनी को इसमें सफलता नहीं मिली है। क्योंकि यहां के आदिवासी जी जान से पहाड़ियों को बचाने में जुटे हुए हैं। गड़बड़ी फैलाने के आरोप में पुलिस ने यहां कई आदिवासियों के खिलाफ मामला भी दर्ज किए हैं। आदिवासियों ने बताया कि पुलिस और प्रशासन की हर संभव कोशिश है कि उनकी आवाज को दबाया जाए।
आदिवासियों के पुलिस और प्रशासन के साथ साथ एक दूसरी चुनौती भी है। वह यह है कि उनकी आवाज पहाड़ी पर ही दब कर रह जाती है। स्थानीय मीडिया में कोई छोटी न्यूज आ जाए तो गनीमत है।
लेकिन अब उनकी हांक को हूंकार में तब्दील करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा आदिवासियों के साथ कंधे से कंधा मिल कर आगे आया है। संयुक्त किसान मोर्चे के प्रतिनिधियों ने वेदांता के खिलाफ आंदोलन कर रहे आदिवासियों के साथ एक बैठक की। सिजिमाली की पहाड़ियों के गांव पदमपुर में आयोजित इस बैठक में विशेष तौर पर केरल के पूर्व विधायक पीकृष्ण प्रसाद और यूपी के किसान नेता अफलातून ने भाग लिया।
बैठक में आदिवासी नेता लिंग राज आजाद ने कहा कि कंपनी यहां के आदिवासियों के हक पर डाका डाल रही है। कारपोरेट कंपनियो की नजर यहां की प्राकृतिक संपदा पर है। इस वज हसे आदिवासियों को यहां से बेदखल करने की कोशिश हो रही है।
उनके प्राकृतिक आवास को छीना जा रहा है। जंगलों को माइनिंग के लिए काटा जा रहा है। इस वजह से आदिवासियों को प्राकृतिक आवास खत्म हो रहा है। जलस्त्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। इसका असर खेती के साथ साथ यहां रहने वाले आदिवासियों पर भी पड़ रहा है।
कार्यक्रम में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बताया कि आदिवासियों की आवाज को अब हर संभव मंच पर उठाया जाएगा। उन्होंने बताया कि लांजीगढ़, सिजीमाली में जो रहा है, इसके बारे में पूरे देश को पता चलना चाहिए।
हम इसमें उनका साथ देंगे।
आदिवासी नेता लिंगराज आजाद ने बताया कि यहां खनन के लिए ग्राम पंचायत आयोजित होती है। उनका आरोप है कि कंपनी ने फर्जी तरीके से ग्राम सभाएं आयोजित कर ली है। उन लोगों के हस्ताक्षर कर लिए, जो यहां रहते ही नहीं। एक दो की तो मौत भी हो चुकी है।
इस तरह की ग्राम सभाओं में कंपनी के पक्ष में निर्णय लिया गया दिखाया गया है। यह गलत है। फिर भी हमारी बात नहीं मानी जा रही है। पुलिस यहां आदिवासियों पर गलत तरीके से मामले दर्ज कर उन्हें जेल में डाल रही है।
आंदोलन चला रहे कई आदिवासी रात में घर में सो नहीं पाते। वह जंगलों में रहने पर मजबूर हो रहे हैं। हर वक्त उन्हें डर लगा रहता है कि पुलिस पकड़ कर न ले जाए।
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