गांव कोहली वाला व मांडेवाला की पंचायती जमीन में अवैध माइनिंग चीफ सेक्टरी को जांच के आदेश

 गांव कोहली वाला व मांडेवाला की पंचायती जमीन में अवैध माइनिंग चीफ सेक्टरी को जांच के आदेश 


यमुनानगर 

गांव कोहली वाला और मांडेवाला की पंचायती जमीन में अवैध खनन पर एनजीटी ने संज्ञान लेते हुए ,चीफ सेक्रेटरी को जांच के आदेश दिए हैं। कोहली वाला गांव के बलविंद्र की शिकायत पर एनजीटी ने यह आदेश दिए हैं। 


बलविंद्र ने एनजीटी को दी अपनी शिकायत में बताया कि पंचायत की कुल 156 एकड़ जमीन पर 2016 से अवैध माइनिंग की जा रही है। इस जमीन पर खैर के पेड़ थे।  वन विभाग के नियमों के मुताबिक यह संरक्षित श्रेणी में आते हैं। लेकिन माइनिंग के लिए इन पेड़ों को भी काट दिया गया है। 



शिकायत में बताया गया कि यहां लगातार अवैध खनन चला, शिकायत के बाद भी स्थानीय प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। क्योंकि इसमें स्थानीय नेता व मंत्री कंवर पाल के रिश्तेदार का भी स्क्रिनिट प्लांट था। इस वजह से खनन विभाग, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने खनन रोकने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। 


जब स्थानीय प्रशासन ने इस अोर ध्यान नहीं दिया तो शिकायतकर्ता ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपील की। 


ट्रिब्यूनल ने  मामले की  सुनवाई करते हुए अवैध खनन पर सख्त रूख अपनाते हुए जिला प्रशासन ने सवाल तलब किया। बताया जाता है कि एनजीटी ने डीसी कैप्टन मनोज यादव  से भी जवाब मांगा है। डीसी  सुनवाई के दौरान वर्चुअल पेश हुए, उन्होंने तर्क दिए,लेकिन एनजीटी इससे संतुष्ट नहीं हुई। 


एनजीटी ने अपने आदेश में कहा, कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी तय होनी चाहिए। इस केस में प्रशासन की ओर से एनजीटी में जो जवाब दिया गया,इससे एनजीटी ने असहमति जतायी है। 


अादेश में कहा कि पहली नजर में इस मामले में नजर आता है कि अधिकारियों की किसी ने किसी स्तर पर भूमिका संदिग्ध रही है। इसलिए चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिए गए कि एक माह के भीतर इस मामले की जांव व छानबीन करायी जाए। जिससे यह पता चल सके कि किस अधिकारी की क्या भूमिका इसमें शामिल रही है। 



बलविंद्र का आरोप मंत्री के रिश्तेदारों का है शिवालिक क्रशर 

इधर शिकायतकर्ता बलविंद्र ने आरोप लगाया कि कृषि मंत्री कंवर पाल के नजदीक रिश्तेदारों के नाम भी शिवालिक क्रशर है। इस क्रशर पर भी बड़ी मात्रा में अवैध खनन का पत्थर क्रश किया गया। आरोप यह भी लगाया गया कि क्योंकि बड़े लोगों की संलिप्ता इस मामले हैं,इसलिए जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही से पीछे हटते रहे हैं। यही वजह है कि शिकायतकर्ता को मामला एनजीटी में लेकर आना पड़ा। 


इधर जब जिला खनन अधिकारी से इस बाबत बातचीत की तो उन्होंने बताया कि शिवालिक नाम का क्रशर किसका है, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

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