नई अनाजमंडी फर्जी गेट पास..

तत्तकालीन सचिव सुंदर सिंह को किया जांच में शामिल, आढ़तियों के रिकार्ड की होगी छानबीन

मंडी में अधिकारियों-कर्मचारियों ने काट दिए थे 28 हजार क्विंटल धान के फर्जी गेटपास

द न्यूज इनसाइडर करनाल।

फर्जी गेट पास मामले में जांच का दायरा धीरे-धीरे आगे बढ़ चुका है, जांच में तत्तकालीन सचिव सुंदर सिंह को जांच के लिए बुलाया जा चुका है। वहीं अब आढ़तियों के रिकार्ड को चेक करने की प्रक्रिया आगे बढ़ी है। अगर रिकार्ड में गड़बड़ी मिली तो आने वाले दिनों में आढ़तियों सहित मंडी अधिकारियों-कर्मचारियों की मुसीबतें बढ़ सकती है। फिलहाल जिसकी संभावना ज्यादा नजर आ रही हैं। इॅकनॉमिक सैल अधिकारी ने बताया कि जो आढ़ती मामले में शामिल है, उनमें से कुछ के ब्यान लिए जा चुके है, अन्य को जल्द ही जांच के लिए बुलाया जाएगा। हालांकि जांच अधिकारी ने ये नहीं बताया कि आढ़तियों से रिकार्ड में क्या-क्या लिया है, लेकिन मंडी की सीसीटीवी फूटेज को जांच में शामिल कर लिया हैं। जिसके आधार पर आगामी कार्रवाई आगे बढ़ रही हैं। सीसीटीवी फूटेज के साथ-साथ एसडीएम जांच रिपोर्ट ही जांच का मुख्य आधार है। जिसके आधार पर तत्तकालीन मंडी सचिव सुंदर सिंह, मंडी में कार्यरत प्राइवेट कर्मचारियों सहित आढ़तियों पर केस दर्ज हुआ हैं। मामले की जांच पुलिस की इकनॉमिक सैल को सौंपी हैं।

वहीं मंडी के कई आढ़तियों ने 3 नवम्बर से पहले जो गेट पास मंडी में काटे गए है, उनकी जांच की मांग उठाई है। जब 3 नवम्बर को ही गेट पास मामले में सीधे तौर पर गलत दिखाई दे रहा है तो पिछले दिनों में क्या-क्या हुआ होगा। इसका पता तो जांच के बाद ही पता चल सकता हैं। आढ़तियों ने आरोप लगाते हुए बताया कि 3 नवम्बर ही क्या इससे पहले भी धड़ल्ले से 30 रुपए प्रति क्विंटल लेकर गेट पास काटे गए हैं। ये सब निष्पक्ष जांच के बाद ही पता चल सकता हैं। लेकिन सिर्फ 3 नवम्बर की ही क्यों जांच की जा रही है। आढ़तियों ने आरोप लगाया कि जब 3 नवम्बर को ही बिना धान आए ही गेट पास काटे जा सकते है, तो क्या 3 नवम्बर से पहले वाले दिनों में गेट पास नहीं कटे होंगे। वहीं आढ़ती-राइस मिलर एसोसिएशन मिलकर डीसी को मामले की निष्पक्ष जांच को लेकर ज्ञापन सौंप चुकी हैं।




फाइल फोटो:- डीसी को ज्ञापन सौंपते आढ़ती-राइस मिलर।

ये था मामला

3 नवम्बर को एस.डी.एम. आयुष सिन्हा ने डीसी निशांत यादव क निर्देश पर मंडी में गेट पास को लेकर चैकिंग की थी। चैकिंग के दौरान एस.डी.एम. ने पाया कि मंडी में बिना धान आए ही करीब 294 गेट पास काट दिए, जो करीब 28 हजार क्विंटल के थे। एस.डी.एम. ऐसे गेट पास देखकर आश्चर्यचकित रह गए। जब एसडीएम ने इस सम्बंध में कारण पूछा तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। जो गेट पास कटे थे, उनकी धान भी मंडी में आढ़तियों की दुकानों के आगे नहीं मिली थी। एस.डी.एम. ने पूछा कि जब मंडी में धान आया ही नहीं, न ही जिस समय गेट पास काटे गए है, उस समय कोई वाहन धान लेकर आया, तो क्यों गेट पास काटे। मामले की छानबीन करने के बाद रिपोर्ट डीसी को सौंपी गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर समीर की शिकायत पर मंडी सचिव सुंदर सिंह, सहित करीब दर्जनों आढ़तियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था। लेकिन एफआईआर में आढ़तियों के नाम शामिल न होना वाक्या सभी को हैरान कर रहा हैं।




फाइल फोटो:- खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपैक्टर समीर विशिष्ट द्वारा शिकायत की फोटो कॉपी।

आखिरकार 232 गेट कटवाने वालों पर कब होगी कार्रवाई

आढ़तियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जांच में 62 गेट पास में जिन आढ़तियों के नाम शामिल थे, उनके खिलाफ तो एफआईआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन बाकी 232 गेट पास, उनसे सम्बधित आढ़तियों पर क्यों रहम बरता जा रहा हैं। फर्जीवाड़ा केवल 294 गेट पास से सम्बधित नहीं है, ये तो पकड़ में आ चुका है, जबकि फर्जीवाड़ा तो लाखों एकड़ धान का है, जो बिना धान आए ही कागजों में बिक गया? इसकी भी जांच होनी चाहिए।

जांच में घेरे में शामिल आढ़तियों का तर्क

जांच में शामिल आढ़तियों का तर्क है कि धान एडजस्टमेंट करके पहले ही बेचा जा चुका है, अगर ऐसा नहीं करते तो किसानों का धान बिक ही नहीं पाता। मतलब कि कई आढ़तियों ने जुगाड़ का सहारा लेकर धान को बिकवाया हैं। सवाल उठ रहा है कि जो धान बिकवाया है, वो सही तरीके से था, अर्थात गेट पास नियम से कटवाएं थे। उस धान का उठान भी हो चुका है तो 3 नवम्बर को जो गेट पास कटवाएं। उनका क्या लॉजिक है। क्योंकि बिना गेटपास के धान नहीं बिक सकता, जो धान खरीदा जा चुका है, उसका ही उठान हुआ होगा। लेकिन 3 नवम्बर को बिना धान आए ही गेट पास काटे गए हैं।

अगर मान भी ले तो.. एडजैस्टमैंट से बिका धान?

अगर एक बार आढ़तियों की बात पर यकीन कर भी लिया जाए कि अदला-बदली गेटपास करके ही धान बिका है। फिर जब 3 नवम्बर को जिन किसानों के नाम गेट पास आढ़तियों ने कटवाए थे। उन किसानों का धान कहां पर हैं। नियम से तो गेट पास उन किसानों के पास होने चाहिए थे, जिनके नाम से काटे है ओर गेट पास के साथ ही उनका धान भी। लेकिन यहां पर न तो किसान थे, ओर नहीं उनका धान, जो सीसीटीवी फूटेज में देखकर आसानी से पता चल सकता हैं। एसडीएम द्वारा डीसी को सौंपी जांच से प्रथम दृष्टया यही लग रहा कि गेटपास काटने में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ हैं।


वर्जन

एसडीएम आयुष सिन्हा ने बताया कि उन्होंने अपनी जांच पहले ही डीसी को सौंप दी है। अब आगे क्या कार्रवाई चल रही है। इस बारे में डीसी निशांत यादव ही बता सकते हैं। 


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