फर्जी गेटपास मामला:-
16 आढ़तियों के लाईसेंस सस्पेंड.. तो अन्य को क्यों बख्शा
क्या मार्केट बोर्ड सचिव कार्रवाई से डरे?
द न्यूज इनसाइडर करनाल
नई अनाजमंडी में मार्केट बोर्ड के सचिव हकीकत सिंह की कार्रवाई संशय के घेरे में आ गई है, जहां फर्जी गेट पास मामले में 16 आढ़तियों को आरोपित बनाकर उनके लाइसेंस तक सस्पेंड कर दिए। वहीं मामले में अधिकांश आढ़तियों को बख्श दिया गया। मार्केट बोर्ड सचिव मामले में आरोपित अन्य आढ़तियों को बचाने में लगे हुए है। अगर ऐसा नहीं होता तो सचिव फर्जी गेट कटवाने वाले अन्य आढ़तियों के लाईसेंस भी अभी तक सस्पेंड कर देते। सचिव ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया। जिससे मार्केट बोर्ड सचिव की कार्यवाही पर सवालिया निशान लग गए हैं।
मार्केट बोर्ड सचिव की कार्रवाई पर सवालिया निशान इसलिए लग रहा है, जब एक ही मामले में 16 आढ़तियों के लाईसेंस सस्पेंड कर दिए तो अन्य आढ़तियों पर ऐसी ही कार्रवाई क्यों नहीं की। जिन 16 आढ़तियों के लाईसेंस सस्पेंड किए गए है, ये वो आढ़ती है, जिन पर आरोप है, उनकी फर्मों के नाम पर सुबह 5.43 मिनट से लेकर 6 बजकर 51 मिनट तक 62 गेट पास कटे है। जबकि इस समय पर मंडी में धान आया ही नहीं। जिसकी पुष्टि एस.डी.एम. आयुष सिन्हा अपनी रिपोर्ट में कर चुके हैं। मंडी सचिव हकीकत सिंह ने बताया कि अभी तक केवल 16 आढ़तियों के ही लाइसेंस सस्पेंड किए है, अन्य पर कार्रवाई का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।
तो..232 गेट पास कटवाने वालों के लाईसेंस सस्पेंड क्यों नहीं
6.51 मिनट से 11 बजे तक 232 गेट पास, जिन फर्मों के नाम कटे है तो उन फर्मों के लाइसेंस अब तक सस्पेंड क्यों नहीं किए गए। क्या मार्केट बोर्ड सचिव इन आढ़तियों पर कार्रवाई करने से डर रहे है। क्या सचिव को इन आढ़तियों पर कार्रवाई करने से किसी अधिकारी ने रोका है? सवाल उठ रहा है कि एक मामले में अलग-अलग कार्रवाई क्यों।
इधर जांच के नाम पर.. बचाने का खेल
पुलिस की इकनॉमिक सैल द्वारा करीब एक माह बीत जाने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई। जिससे पता चलता है कि जांच के नाम पर आरोपियों को बचाया जा रहा हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो अब तक मामले में आरोपित सभी आढ़तियों व उन किसानों के ब्यान हो जाते। जिनके नाम पर गेट पास काटे गए हैं। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। क्योंकि मामला एसडीएम की जांच रिपोर्ट में बिल्कुल साफ नजर आ रहा हैं। जब मंडी में किसान धान लेकर आया ही नहीं तो गेट पास क्यों काटे गए। अगर किसान तर्क दे रहे है कि गेट पास सही है तो जब वे धान लेकर आए थे, उन्होंने किन किसानों के नाम पर धान को बेचा? ओर जिस किसान के नाम पर धान बेचा गया तो उन किसानों ने किन किसानों के नाम पर धान बेचा।
जानकारों का ये है कहना..
मामले के जानकारों का कहना है कि मंडी में किसानों का धान औने पौने दामों पर खरीदा गया और उस धान को सरकारी खरीद में बेचने के लिए उन किसानों के नाम पर गेट पास काटे गए। जिनका धान पोर्टल पर दिखा रहा था। ऐसा करके ही किसानो की फसल को लूटने का काम किया गया। फर्जी गेट पास मामले में तत्तकालीन सचिव, प्राइवेट कर्मचारी, आढ़ती ओर खरीए एजेंसी के अधिकारी मिले हुए हैं।
इनके हुए लाइसेंस सस्पेंड..
-बलजीत सिंह एंड संस- दुकान नंबर 327
-ओमप्रकाश राजकुमार-336
-सोना ट्रेडर्स-174
-सतपाल सिंह एंड संस-303
-सतपाल सिंह जोगिंद्र सिंह-539
-ओम प्रकाश ट्रेडिंग कंपनी-155
-करनाल ट्रेडर्स-324
-जयश्री बालाजी ट्रेडिंग कंपनी-299
-सुलतान एंड संस-286
-श्री गणेश ट्रेडिंग कंपनी-152
-सुरेंद्र कुमार संदीप कुमार-232
-अमित विक्रम इंटरप्राइजिज-378
-ओमबीर सिंह रणबीर सिंह-517
-बलराज लाठर एंड संस-222
-विनोद कुमार शिवकुमार-454
-उमा शंकर ट्रैडिंग कंपनी-480
नोट- ये लिस्ट मार्केट बोर्ड की हैं।
ये है मामला
3 नवम्बर को डीसी निशांत यादव के निर्देश पर एसडीएम आयुष सिन्हा ने मंडी में निरीक्षण किया था। गेट पास चेक किए थे। जांच के दौरान एसडीएम को ऐसे गेट पास मिले, जो गलत तरीके से काटे हुए थे। जिस समय गेट पास काटे थे, उस समय कोई किसान, किसी भी वाहन में धान लेकर नहीं आया था। करीब 294 गेट पास पकड़ में आए थे, जो करीब 28 हजार क्विंटल से अधिक थे। मामले की रिपोर्ट डीसी को सौंपी गई। डीसी ने एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर समीर विशिष्ट की शिकायत पर मंडी के तत्कालीन सचिव सुंदर सहित, प्राइवेट कर्मचारियों व सम्बधित आढ़तियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया था।
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