भारत में हार्ट फेल्यर के लगभग 10 मिलियन मरीज: डॉ. एच.के. बाली

द न्यूज इनसाइडर, करनाल

सर्दियां आते ही हार्ट फेल होने के मामले भी बढऩे लगे है, यूं तो इन मामलों में अधिकतर मरीज बुजुर्ग है। लेकिन युवाओं में भी हार्ट फेल होने के मामले अब आम तौर पर सामने लगे हैं। चिंता का विषय है कि हार्ट फेल होने के बारे में ओर इसके लक्षणों के बारे में लोगों में जागरूकता का स्तर बेहद नीचे हैं। पारस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के कार्डियक साइंसेज के चेयरमैन डॉक्टर एचके बाली के मुताबिक देश में हार्ट फेल्यर से मरने वालों की तादाद बढ़ रही है। यह इसलिए भी हो रहा है कि आमतौर पर लोगों को हार्ट फेल होने ओर हार्ट अटैक में अंतर नहीं पता। लोगों में हार्ट फेल होने के लक्षणों के प्रति जागरूकता नहीं हैं।

ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बाली को ह्दय रोगों के इलाज का 30 सालों को अनुभव है, वे अब तक करीब 15 हजार से अधिक दिल की गंभीर ओर जटिल बीमारियों के इलाज के लिए इंटरवेंशन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि हार्ट फेल्यर से बचाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पारस अस्पताल ने एक विशेष हार्ट फेल्यर क्लिनिक की शुरूआत की है। यह क्लिनिक हर वीरवार को काम करेगा ओर हार्ट फैल्यर या उसके खतरे के दायरे में आने वाले मरीजों को विशेष समुचित इलाज मुहैया कराएगा। यह हार्ट फेलियर के मरीजों के लिए एक ऐसा स्टॉप सॉल्यूशन है, जहां मरीजों का मूल्यांकन किया जाता है ओर एआईईसीडी, सीआरटी-डी, सीआरटी-पी जैसे थैरेपी दी जाती हैं। इस संबंध में आज एक प्रेस कांन्फ्रैंस को संबोधित करते हुए डॉ. एचके बाली ने बताया कि  हार्ट फेल्योर एक मैडिकल स्थिति है, जहां ह्दय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है ओर शरीर को कुशलता से रक्तपंप नहीं कर पाती।  उन्होंने कहा कि भारत में हार्ट फेल्यर के लगभग 10 मिलियन मरीज है। हाल ही में एक स्टडी से पता चलता है कि देश में हार्ट फेल होने का डायज्नोज होने के एक साल के भीतर करीब 23 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है। यह दर दुनिया भर में हार्ट फेल्यर के रोगियों की तुलना में बहुत अधिक है। 

डॉक्टर बाली ने बताया कि हार्ट फेल्यर के मुख्य कारणों में अक्सर कोरोनरी आर्टरी रोग, हार्ट वाल्व खरब होने, हदय की मांसपेशियों का कठोर हो जाना, जन्मजात बीमारी, गठिया, हाई ब्लड प्रेशन ओर इन्फेक्शन आदि शामिल हैं। हार्ट फेल होने के सामान्य लक्षण सांस फूलना, सांस की कमी ओर लगातार थकान बने रहना है। इसके अलावा दिल की अनियमित धडक़न, पैरों में सूजन, लगातार खांसी, भूख की कमी ओर शरीर में फल्यूड रिटेंशन हो जाना आम लक्षण हैं।

डॉक्टर बाली ने बताया कि हार्ट फेल्यर के इलाज में लाइफ स्टाइल बदलाव के अलावा नमक के इस्तेमाल में कमी, नियमित व्यायाम वजन में कमी, बीपी ओर ब्लड गलूकोज पर कंट्रोल ओर कोलेस्ट्रोल, बीटा ब्लॉकर्स, डायूरेटिक्स जैसी नई दवाएं शामिल की जाती हैं। दिल में रूकावट होने पर एआईसीडी, सीआरटी पी ओर सीआटी-डी जैसी डिवाइस थेरेपी भी शामिल की जाती है। हार्ट फेल्यर की वजह रूकावट होने पर बैलून एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी भी की जाती हैं। डॉक्टर बाली ने बताया कि हालांकि हार्ट फेल्यर में विशेष ओर समुचित इलाज के लिए डेडिकेटेड हार्ट फेल्यर क्लीनिक पश्चिमी देशों में सामान्य है, लेकिन अपने देश में इसकी कमी है। भारत में हार्ट फेल्यर के 50 प्रतिशत से कम रोगियों को एक्सक्लुसिव ट्रीटमेंट मिल पाता है। प्रेस कांन्फ्रैंस में पारस सुपर स्पेशियिलिस्ट अस्पताल के कार्डियोलोजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर अनुराग शर्मा, वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर कपिल क्षत्रिय ओर सलाहकार डॉक्टर गगनदीप सिंह भी मौजूद रहे।


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