फर्जी गेट पास घोटाला:-

धान आए बिना ही काट दिए 28 हजार क्विंटन धान के काटे फर्जी गेट पास, मार्केट कमेटी सचिव सहित 12 से अधिक पर केस दर्ज

एसडीएम आयुष सिन्हा ने किया था मंडी में निरीक्षण

द न्यूज इनसाइडर करनाल

करनाल। नई अनाजमंडी में बिना धान आए ही मार्केट कमेटी के सचिव-कर्मचारियों व आढ़तियों ने मिलीभगत कर फर्जी गेट पास काटकर 28 हजार क्विंटल से अधिक धान खरीद को अंजाम दे दिया। मामले की परत खुलने पर एसडीएम आयुष सिन्हा ने उपरोक्त के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दे डाले। पुलिस ने खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर समीर विशिष्ठ की शिकायत पर मार्केट कमेटी के तत्कालीन सचिव, कर्मचारियों व  सम्बधित आढ़तियों के खिलाफ केस दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी। सवाल उठना लाजिमी है कि जब ई-खरीद पोर्टल से उस किसान को ही गेट पास मिल सकता है, जिस किसान ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा रखा हो। वह भी तब जब किसान मंडी में फसल लेकर आया हो। फिर कैसे मंडी के कर्मचारियों ने आढ़तियों के साथ मिलीभगत करके फर्जी गेट काटकर फर्जीवाड़े को अंजाम दे दिया। क्या संभव है कि पोर्टल पर छेडख़ानी हो सकती है? अगर ऐसा नहीं  तो कैसे फर्जी गेट पास काटे गए। ये तो जांच का विषय हो सकता हैं। अगर एसडीएम की रिपोर्ट पर गौर करे तो प्रथम दृष्टि में फर्जीवाड़ा नजर आ रहा हैं। मंडी में कब से फर्जी गेट पास काटे जा रहे थे, अब तक कितने फर्जी गेट काटे गए। फर्जी गेट पास कांड में मंडी सचिव के अलावा क्या खरीद एजेंसियों के अधिकारी-कर्मचारी शामिल है? ये सब तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। लेकिन इन सबके बाद नई अनाजमंडी के आढ़तियों का तर्क है कि मंडी में कोई फर्जी गेट पास फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है, अगर इसे फर्जी गेट पास के नाम पर फर्जीवाड़ा कहा जा रहा है तो किसानों की धान ही नहीं बिक पाती। आढ़तियों ने एडजस्टमेंट करके किसानों की धान बिकवाई है। सभी को पता है कि पोर्टल पर क्या स्थिति हैं। किसी किसान की पोर्टल पर किसान की धान रजिस्ट्रेशन होने के बाद भी पोर्टल से कम एकड़ के ही गेट पास मिल रहे थे। तो क्या किसानों को धान मंडी में पड़े रहने दिया जाता। अगर ऐसा नहीं होता तो किसान मंडी में धान ही नहीं बेच पाते।






ये है पूरा मामला


3 नवम्बर को एसडीएम करनाल द्वारा मंडी में आनलाइन गेट पास जारी करने को लेकर निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान पाया कि मंडी में धान आए बिना ही करीब 294 गेट पास जारी कर कर करीब 28 हजार 794 क्विंटल धान खरीद लिया। जबकि मंडी में धान आया ही नहीं था। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम ने जांच रिपोर्ट में तत्कालीन सचिव सुंदर सिंह सहित प्राइवेट कर्मचारी जो सचिव द्वारा ही लगाए गए थे। उनके खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दे दिए। एसडीएम द्वारा रिपोर्ट अनुसार  ई-खरीद पोर्टल व गेट कीपर आईडी से संबंधित आईडी व पासवर्ड तत्कालीन सचिव सुंदर सिंह के पास थे। रिपोर्ट में पाया गया कि गेट नंबर 1 पर विनोद,सन्नी,तुषार ओर बलबीर ओर गेट नंबर 3 पर प्रिंस, निखिल, अंकुश ओर अमित जो कि तत्कालीन सचिव सुंदर सिंह द्वारा ही लगाए गए थे। इन सभी अधिकारियों व प्राइवेट कर्मचारियों ने आईडी व पासवर्ड का गलत इस्तेमाल करके धान मंडी में आए बिना ही फर्जी गेट पास जारी कर दिए। एसडीएम की रिपोर्ट में मंडी के तत्कालीन सचिव, प्राइवेट कर्मचारी व सम्बधित आढ़तियों द्वारा बिना धान आए बिना ही धान खरीदने व सरकार को हानि पहुंचाने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए गए। पुलिस द्वारा इंसपेक्टर समीर विशिष्ट की शिकायत पर उपरोक्त के खिलाफ केस दर्ज आगामी कार्रवाई शुरू कर दी।


आढ़तियों का तर्क

नई अनाजमंडी के आढ़तियों ने कहा कि फर्जी गेट पास कैसे कट सकते है। क्योंकि पोर्टल पर जिन किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है। उनको ही गेट पास जारी होता है। मान लिजिए किसी किसान ने पोर्टल पर दस एकड़ फसल का रजिस्ट्रेशन करवा दिया। लेकिन पोर्टल पर उसका रजिस्ट्रेशन 2 एकड़ का दिखा रहा है तो क्या किसान 8 एकड़ की धान नहीं बेच सकता। किसान अपनी बाकी फसल मंडी में लेकर आएगा और बेचने के लिए कितने दिनों तक मंडी में पड़ा रहेगा। किसान तो आढ़ती के पास धान तुलवाकर बेचकर चला जाएगा। अगर किसान मंडी में पड़ा रहेगा तो धान नहीं बिक पाएगा। आढ़तियों ने जब तक उक्त किसान की फसल पोर्टल पर  ठीक नहीं हुई तब तक आढ़तियों ने अन्य किसान जिनकी पोर्टल पर पूरी फसल शो कर रही थी, उन किसानों के नाम से गेट पास लेकर मंडी में आए किसानों की धान बेच दी। ऐसा एडजेस्टमेंट करके ही किसानों की फसल बेची है। अगर ऐसा नहीं होता तो किसानों का धान बिक ही नहीं पाता। सरकार को पोर्टल को दुरुस्त करना चािहए था, बेवजह ही आढ़तियों पर ही आरोप लगाए जा रहे हे। जो सरासर गलत हैं। इस बारे में आढ़ती एकत्रित होकर डीसी करनाल से मिलेंगे और उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराएगे।


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