फर्जी गेट पास कांड:-
फर्जी गेट पास कटवाने वाले आढ़तियों के लाइसेंस होंगे कैंसिल, 3 दिन में मिलेंगी फाइनल रिपोर्ट
प्राथमिक रिपोर्ट भेजी सरकार के पास
द न्यूज इनसाइडर, करनाल
फर्जी गेट पास मामला लगातार गहराता जा रहा है, जिसके चलते मार्केट कमेटी के अधिकारियों-कर्मचारियों संग आढ़तियों में खलबली मची हुई हैं। वहीं डीसी निशांत कुमार यादव ने फर्जी गेट पास मामले की प्राथमिक रिपोर्ट सरकार के पास भेज दी है, साथ ही गलत गेट पास मामले से सम्बधित आढ़तियों के लाइसेंस कैंसिल करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी हैं। डीसी ने दावा कि आगामी 2-3 दिनों में गलत गेट पास से संबंध में फाइनल रिपोर्ट मिल जाएगी। चूंकि एस.डी.एम. के नेतृत्व में बनी टीम मामले की गहनता के साथ छानबीन कर रहे हैं।
प्रशासनिक अधिकारियों की तीव्र कार्रवाई से आढ़तियों में बैचेनी बनी हुई है। पूरी अनाजमंडी में फर्जी गेट पास का मुद्दा छाया हुआ है, आढ़ती मामले की जानकारी लेने के लिए एक दूसरे से मिल रहे है साथ ही आगामी जानकारी लेने का प्रयास में जुटे हैं। फर्जी गेट पास मामले की जानकारियां हालांकि आढ़तियों को पहले से ही थी। कई आढ़तियों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि गेट पास 30 रुपए से लेकर 100 रुपए लेकर जारी किए गए। पैसे के बदले गेट पास देने का खेल कब से चल रहा था, इस बारे में तो फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। इतना जरुर है कि मामले की गूंज प्रदेश के मुखिया तक पहुंच चुकी हैं। हालांकि खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर समीर विशिष्ट की शिकायत के आधार पर पुलिस ने मंडी सचिव सुंदर सिंह सहित प्राइवेट कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं एफआईआर में आढ़तियों के नाम का जिक्र नहीं है जबकि गेट पास मामले में कई आढ़ती सीधे तौर पर जुड़े हुए है। एफआईआर में 6 नंबर के सामने मंडी के सम्बधित आढ़तियों का जिक्र किया गया है। सम्बधित आढ़ती कौन-कौन है। जैसे-जैसे पुलिस जांच का दायरा बढ़ाएगी, नाम उजागर होते चले जाएगे।
फाइल फोटो29 से परचेज बंद तो धान कहा गया
खाद्य आपूर्ति विभाग के डीएफएससी निशांत राठी ने बताया कि 29 अक्तूबर से उनकी खरीद नहीं हुई। इसलिए जो गेट पास 3 नवंबर को कटे है। उस धान की खरीद होने का तो सवाल ही नहीं उठता। जब खरीद ही बंद हो तो कैसे धान खरीदा जा सकता है। सवाल उठना लाजिमी है कि अगर गेट पास सही कटे है, जैसे कई आढ़ती दावा कर रहे है, तो फिर वो धान कहा गया। जिसके गेट पास कटे है। क्योंकि किसान धान को बेचे बिना तो मंडी से जाएगा नहीं। अगर धान बिका तो किसने खरीदा। लेकिन जैसा डीएफएससी कह रहे है कि परचेज बंद थी, तो उस धान की सरकारी खरीद होने का तो सवाल ही नहीं उठता। अगर धान नहीं बिका तो धान सम्बधित आढ़तियों के पास होना चाहिए। जो नहीं मिला। जिससे मामले में झोल होने का अंदेशा गहरा गया।
डीसी का दावा: 250 गलत गेट पास मिले
डीसी निशांत यादव ने वीडियो जारी कर बताया कि सूचना मिली थी कि गलत गेट पास काटकर धान मंडियों में लाया गया हैं। जांच के लिए जिले के सभी एसडीएम के नेतृत्व में टीम बनाकर मंडियों में जांच करवाई। जांच में करनाल अनाजमंडी में कुछ ऐसे गेट पास मिले, जिस समय गेट पास काटे गए थे, उस समय मंडी में कोई भी वाहन मंडी के अंदर नहीं आया। गेट नंबर एक ओर गेट नंबर 3 पर लगे सीसीटीवी के डीवीआर से डाटा निकाला तो पता चला कि जिस टाइम गेट पास काटे गए है। उस टाइम पर वाहनों की आवाजाही मंडी में नहीं पाई गई। जिससे पता चला कि जो गेट पास कटे है, वे गलत काटे गए है। इस प्रकार कुल 250 गेट पास संज्ञान में आए है। इनसे सम्बधित धान 20 हजार क्विंटल के करीब हैं। एसडीएम करनाल की प्रारंभिक जांच के आधार पर सिटी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज करवा दिए गए हैं। सम्बधित आढ़तियों के खिलाफ भी केस दर्ज करवा दिया है। साथ ही सम्बधित आढ़तियों के लाइसेंस कैंसिल करने की प्रकिया चल रही हैं।
फाइल फोटो
ऐसे हुई गड़बड़
मंडी में फर्जी गेट पास फर्जीवाड़ा बड़े शातिर तरीके से अंजाम दिया जा रहा था। गेट पास काटने वाले आढ़तियों के साथ मिलीभगत करके उन किसानों के नाम गेट पास थमा देते थे। जिनकी धान पोर्टल पर बची हुई थी। जबकि असली किसान मंडी में धान लेकर आया ही नहीं होता था। कई आढ़तियों ने आरोप लगाया कि ऐसा खेल 30 रुपए से लेकर 100 रुपए लेकर किया जा रहा था। अगर असली किसान धान लेकर मंडी में आया ही नहीं तो उसका कैसे गेट पास कट गया। अगर कटा तो धान कहा गया। जिस दिन जांच हुई तो उस दिन 5 बजकर 43 मिनट से लेकर 6 बजकर 51 मिनट तक करीब 62 गेट पास काट डाले यानि की हर एक मिनट में एक गेट पास काटा गया। जो संभव हीं नहीं हो सकता। इस प्रकार मात्र 68 मिनट में 62 गेट काट दिए। जो करीब 6 हजार 9 सौ 98 क्विंटल के बनते हैं। जो गेट पास गलत होने पर प्रश्न चिन्ह लगाने के लिए काफी हैं।
आढ़तियों के तर्क
नई अनाजमंडी के आढ़तियों ने तर्क दिए है कि किसान जब धान लेकर आया तो पोर्टल पर उसका डाटा दुरुस्त नहीं था। जिसका पता ही नहीं चलता था कि कब डाटा ठीक होगा। क्योंकि शुरूआत में पोर्टल सही प्रकार से नहीं चल रहा था। आकड़े भी सही गलत दिखा रहा था। किसान कब तक मंडी में धान लेकर पड़ा रहता। किसान अपना धान आढ़तियों के पास डालकर उसे बैग में भरवाकर चले जाते थे। सारी जिम्मेवारी आढ़तियों पर छोडक़र। आढ़तियों ने किसी तरह एडजेस्टमेंट करके किसानों का धान बिकवाया। अपने दूसरे किसानों के बातचीत करके, जिनका धान पोर्टल पर पैंडिग था। या यूं कहे कि अदला-बदली करके किसी तरह किसानों का धान बेचा। लेकिन अब उसके गलत मायने निकाले जा रहे है। जो सही नहीं है। धान की खरीद सही प्रकार से हुई हैं।
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