शहर में अवैध कॉलोनियों का कारोबार..
बुढ़ाखेड़ा अवैध कॉलोनी का नाम सुनकर सरके डीटीपी, कहा जानकारी नहींद न्यूज इनसाइडर करनाल
करनाल। नगर निगम के अंतर्गत आने वाले बुढ़ाखेड़ी के पास लैंड माफिया धड़ाधड़ अवैध कॉलोनी काटने में जुटे है, वहीं डी.टी.पी.-नगर निगम अधिकारियों को जानकारी न होना समझ से परे हैं। जो अपने आप में गंभीर सवाल खड़ा करने के लिए काफी हैं। जहां लैंड माफिया अवैध कॉलोनी को काटकर करोड़ों में खेल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर शहर की तस्वीर बिगड़ रही है। ध्यान अवैध कॉलोनी को विकसित होने से रोकने के लिए न होकर लैंड माफियाओं को आशीर्वाद देना हैं। जिससे वे अवैध कॉलोनी धड़ाधड़ काट सके। अवैध कॉलोनी विकसित हो रही है, उसे रोकने के लिए जिम्मेवार अधिकारी कुछ न करे तो इसे क्या कहा जाए। ऐसा नहीं है कि अवैध कॉलोनी बुढ़ाखेड़ा के पास ही विकसित हो रही है।
क्या टाउन प्लालर व नगर निगम प्रशासन का तंत्र इतना कमजोर है कि उन्हें शहर में कट रही अवैध कॉलोनियों के बारे मे जानकारी न हो। अगर ऐसा है तो ये बहुत ही गंभीर प्रश्न हैं। क्योंकि अवैध कॉलोनियों को कटने से रोकने के दोनों ही विभागों के पास टीमें बनी हुई है। जिनका काम अवैध कॉलोनियों पर नजर रखना और उन्हें विकसित होने से रोकना हैं। लेकिन करनाल में ऐसा कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रहा।
सडक़े-नींव तोडक़र दिखा जाती है कार्रवाई
कार्रवाई का तरीका ऐसा कि सबको लगे कि विभागों द्वारा गंभीरता के साथ काम किया जा रहा हैं। लेकिन सच्चाई ऐसी नहीं होती। डीटीपी द्वारा हर माह लिस्ट बनाई जाती है, जहां-जहां पर तोडफ़ोड़ कार्रवाई करनी होती हैं। कार्रवाई के नाम पर सडक़े, नींव आदि को ढहा भी जाता है। इससे आगे कुछ नहीं होता। तोडफ़ोड़ वाली कॉलोनियां धीरे-धीरे आबाद हो जाती है। लैंड माफिया करोड़ों रुपए में खेलकर चले जाते है।
अवैध कॉलोनियों में तोडफ़ोड़ के बाद क्यों नहीं हो रही कार्रवाई
गंभीर प्रश्र है कि डीटीपी व नगर निगम की संयुक्त टीमें जब अवैध कॉलोनी का पता लगा लेती है। उसमें दिखावे के तौर पर तोडफ़ोड़ भी कर दी जाती है। फिर उसके बाद अवैध कॉलोनी आबाद कैसे हो जाती हैं, क्यों नहीं फिर उस अवैध कॉलोनी पर नजर रखी जाती। यही से खेल शुरू होता है। जिसको समझने की आवश्यकता हैं। करनाल में तो यही सब हो रहा हैं। सम्बधित विभागों के अधिकारी आंख मूंद कर बैठे हुए हैं।
क्यों नहीं होती अधिकारियों पर कार्रवाई
सवाल उठना लाजिमी है कि जब सरकार द्वारा विभागों की डयूटी लगाई हुई कि अवैध कॉलोनी किसी भी हालात में विकसित नहीं होनी चाहिए। सरकार की सख्त आदेशों के बाद भी अवैध कॉलोनी विकसित होना वाक्या में ही हैरान करने वाला हैं। जो बताने के लिए काफी है कि इस काम में बहुत बड़ा तंत्र लगा हुआ हैं। जो धीरे-धीरे अवैध कॉलोनियों को काटने की पूरी रूपरेखा बनाता हैं। अगर सरकार के निर्देशों की उल्लंघना के बाद भी अवैध कॉलोनियां कट रही है, प्लाट बेचे जा रहे है तो सीधे तौर पर सम्बधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी जिम्मेवार है। जिन पर सरकार द्वारा कार्रवाई करनी चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक अवैध कॉलोनियों को कटने से नहीं रोका जा सकता। साथ ही सरकार द्वारा निगरानी तंत्र बढ़ाना होगा, जिससे लैंड माफिया अवैध कॉलोनी न काट सके।
डीसी ने दी हुई चेतावनी
डीसी डॉ. निशांत यादव ने अवैध रूप से कॉलोनियां काटने वाले कथित कॉलोलाइजर को चेतावनी देने के साथसाथ जनता कसे अपील की थी कि वे किसी भी अवैध कॉलोनी में प्लाट या मकान ना खरीदे। मकान या प्लाट खरीदने से पहले तहसील कार्यालय, नगर निगम कार्यालय व डीटीपी कार्यालय से इसकी जानकारी ले ताकि उनकी मेहनत की कमाई से अवैध कॉलोनी में खरीदी गई प्रॉपर्टी को लेकर दिक्कत न आए ओर वे किसी भी तरह के झमेले में पडऩे से बच जाए। लेकिन यह नहीं बताया कि लापरवाही बरतने वाले सम्बधित विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
वर्जन
डीटीपी विक्रम सिंह ने अवैध कॉलोनी के बारे में स्पष्ट जवाब न देकर गोलमोल जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अभी मीटिंग में जाना है, मंगलवार तक ही जानकारी दे पाउंगा। वहीं तहसीलदार राजबक्श ने बताया कि अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री हो नहीं सकती।
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