मोदीपुर अस्थाई मंडी खरीद मामला..
खरीद प्रक्रिया सवालों के घेरे में.. बिना रजिस्ट्रेशन कैसे खरीदा धानपांच दिन में खरीदा करीब 50 हजार क्विंटल धान
मोदीपुर में बनाई गई अस्थाई अनाजमंडी में हुई खरीद प्रक्रिया पर धांधली के आरोप लगे हैं। चूंकि फसल बेचने के लिए किसान के पास न मैसेज भेजा गया, न ही किसान ने फसल बेचने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर फसल का रजिस्ट्रेशन करवाया। क्योंकि पोर्टल खुला ही नहीं था। फिर भी खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर समीर विशिष्ट ने यूपी के किसानों से 50 हजार क्विंटल धान खरीद डाली। जिससे मंडी में हुई खरीद प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। खरीद एजेंसी ने ये देखने की जहमत नहीं उठाई कि जब पोर्टल पर यूपी के किसानों ने रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाया तो कैसे धान खरीद सकते है? करनाल में विपक्षी पार्टी के नेता सरदार तरलोचन सिंह ने भी मोदीपुर मंडी में की गई खरीद प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाकर जांच कि मांग की है। सवाल उठ रहा है कि जो धान खरीदा गया, वो उस समय किसका था। हालांकि खाद्य आपूर्ति विभाग के डीएफएससी निशांत राठी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया। लेकिन सवाल फिर भी वहीं का वहीं है। जब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया ही नहीं तो धान किसका खरीदा।
सरकार ने सीमांत प्रदेशों के किसानों का धान खरीदने के लिए पोर्टल 9 अक्तूबर को खोला, खरीद प्रक्रिया 19 से शुरू होनी थी यानि कि किसान 19 अक्तूबर से मंडी में धान लेकर आना था, लेकिन प्रक्रिया स्पष्ट थी। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने वाले किसानों के पास एक मैसेज जाएगा, मैसेज में किस दिन फसल लेकर आएगा। उसकी जानकारी होगी। 9 अक्तूबर तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। अस्थाई मंडी में 9 अक्तूबर तक मंडी प्रशासन द्वारा मैन्यूवल गेट पास थमा दिए। मैन्यूअवल गेट पास उन किसानों को जारी हो सकते है, जिन किसानों ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है। उन दिनों सर्वर डाउन था, इसलिए ऐसे गेट पास जारी किए गए ताकि बाद में उन्हें पोर्टल पर एंट्री कर सके। लेकिन मोदीपुर मंडी में ऐसा कोई भी नियम नहीं अपनाया गया।
अस्थाई खरीद केंद्र पर किसानों को धान खरीदने के लिए मंडी प्रशासन द्वारा 537 गेट पास जारी किए गए। इनमें 5 अक्तूबर को 20, छह अक्तूबर को 86, सात अक्तूबर को 144, आठ अक्तूबर को 166, नौ अक्तूबर को 121 गेट पास। इन गेट पास पर 50 हजार क्विंटल धान खरीदा गया। सवाल यही है कि जो गेट पास जारी किए गए, ये किन किसानों के थे। क्योंकि उन्होंने तो पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन ही नहीं?
पंचायत नई अनाजमंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रजनीश चौधरी ने बताया कि यूपी के किसानों को धान बेचने में कोई परेशानी न हो। इसलिए मुख्यमंत्री से मांग की गई थी कि आसपास मंडी खोली जाए। सीएम ने मंडी खुलवाने के आदेश दिए थे। लेकिन मंडी का लाभ किसानों को नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि जब यूपी के किसान पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर लेते, उसके बाद ही किसानों को मैसेज करने के बाद ही मंड़ी में खरीद शुरू करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मंडी 2-4 दिनों के लिए नहीं होती। सरकार ने जो नियम बनाए थे, यानि की जो प्रक्रिया हरियाणा के किसानों के लिए बनाई हुई है। उसी प्रकार की प्रक्रिया अस्थाई मंडी के लिए भी अपनाई जानी चाहिए थी। प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, इसलिए ही मंडी बंद करनी पड़ी होगी।
मंडी सचिव सुंदर काम्बोज ने बताया कि यूपी पुल पर जाम लगता था, जाम की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने 2 से 3 दिन के लिए अस्थाई मंडी खोली थी ताकि यूपी का किसान वहां पर जाकर फसल बेच सके। मंडी में 537 गेट पास काटे गए। खरीद प्रक्रिया को लेकर जो आरोप लगाए जा रहे है, वे निराधार है।
डीएफएससी निशांत राठी ने बताया कि मोदीपुर में मंडी 2 से 3 दिन के लिए खोली गई थी। पोर्टल बंद था, लेकिन किसानों के चलते यूपी पुल पर जाम लग रहा था। सरकार के आदेश पर अस्थाई खरीद सेंटर खोला गया था। 2 से 3 दिन ही खरीद हुई है बाकि तो लिफ्टिंग करने में समय लग गया। खरीद प्रक्रिया नियम अनुसार हुई हैं।
द न्यूज इनसाइडर करनाल
मोदीपुर में बनाई गई अस्थाई अनाजमंडी में हुई खरीद प्रक्रिया पर धांधली के आरोप लगे हैं। चूंकि फसल बेचने के लिए किसान के पास न मैसेज भेजा गया, न ही किसान ने फसल बेचने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर फसल का रजिस्ट्रेशन करवाया। क्योंकि पोर्टल खुला ही नहीं था। फिर भी खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर समीर विशिष्ट ने यूपी के किसानों से 50 हजार क्विंटल धान खरीद डाली। जिससे मंडी में हुई खरीद प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। खरीद एजेंसी ने ये देखने की जहमत नहीं उठाई कि जब पोर्टल पर यूपी के किसानों ने रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाया तो कैसे धान खरीद सकते है? करनाल में विपक्षी पार्टी के नेता सरदार तरलोचन सिंह ने भी मोदीपुर मंडी में की गई खरीद प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाकर जांच कि मांग की है। सवाल उठ रहा है कि जो धान खरीदा गया, वो उस समय किसका था। हालांकि खाद्य आपूर्ति विभाग के डीएफएससी निशांत राठी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया। लेकिन सवाल फिर भी वहीं का वहीं है। जब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया ही नहीं तो धान किसका खरीदा।
पोर्टल खुला 9 अक्तूबर को
सरकार ने सीमांत प्रदेशों के किसानों का धान खरीदने के लिए पोर्टल 9 अक्तूबर को खोला, खरीद प्रक्रिया 19 से शुरू होनी थी यानि कि किसान 19 अक्तूबर से मंडी में धान लेकर आना था, लेकिन प्रक्रिया स्पष्ट थी। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने वाले किसानों के पास एक मैसेज जाएगा, मैसेज में किस दिन फसल लेकर आएगा। उसकी जानकारी होगी। 9 अक्तूबर तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। अस्थाई मंडी में 9 अक्तूबर तक मंडी प्रशासन द्वारा मैन्यूवल गेट पास थमा दिए। मैन्यूअवल गेट पास उन किसानों को जारी हो सकते है, जिन किसानों ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है। उन दिनों सर्वर डाउन था, इसलिए ऐसे गेट पास जारी किए गए ताकि बाद में उन्हें पोर्टल पर एंट्री कर सके। लेकिन मोदीपुर मंडी में ऐसा कोई भी नियम नहीं अपनाया गया।
5 दिन में 537 गेट पास किए जारी
अस्थाई खरीद केंद्र पर किसानों को धान खरीदने के लिए मंडी प्रशासन द्वारा 537 गेट पास जारी किए गए। इनमें 5 अक्तूबर को 20, छह अक्तूबर को 86, सात अक्तूबर को 144, आठ अक्तूबर को 166, नौ अक्तूबर को 121 गेट पास। इन गेट पास पर 50 हजार क्विंटल धान खरीदा गया। सवाल यही है कि जो गेट पास जारी किए गए, ये किन किसानों के थे। क्योंकि उन्होंने तो पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन ही नहीं?
वर्जन
पंचायत नई अनाजमंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रजनीश चौधरी ने बताया कि यूपी के किसानों को धान बेचने में कोई परेशानी न हो। इसलिए मुख्यमंत्री से मांग की गई थी कि आसपास मंडी खोली जाए। सीएम ने मंडी खुलवाने के आदेश दिए थे। लेकिन मंडी का लाभ किसानों को नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि जब यूपी के किसान पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर लेते, उसके बाद ही किसानों को मैसेज करने के बाद ही मंड़ी में खरीद शुरू करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मंडी 2-4 दिनों के लिए नहीं होती। सरकार ने जो नियम बनाए थे, यानि की जो प्रक्रिया हरियाणा के किसानों के लिए बनाई हुई है। उसी प्रकार की प्रक्रिया अस्थाई मंडी के लिए भी अपनाई जानी चाहिए थी। प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, इसलिए ही मंडी बंद करनी पड़ी होगी।
वर्जन
मंडी सचिव सुंदर काम्बोज ने बताया कि यूपी पुल पर जाम लगता था, जाम की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने 2 से 3 दिन के लिए अस्थाई मंडी खोली थी ताकि यूपी का किसान वहां पर जाकर फसल बेच सके। मंडी में 537 गेट पास काटे गए। खरीद प्रक्रिया को लेकर जो आरोप लगाए जा रहे है, वे निराधार है।
वर्जन
डीएफएससी निशांत राठी ने बताया कि मोदीपुर में मंडी 2 से 3 दिन के लिए खोली गई थी। पोर्टल बंद था, लेकिन किसानों के चलते यूपी पुल पर जाम लग रहा था। सरकार के आदेश पर अस्थाई खरीद सेंटर खोला गया था। 2 से 3 दिन ही खरीद हुई है बाकि तो लिफ्टिंग करने में समय लग गया। खरीद प्रक्रिया नियम अनुसार हुई हैं।
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