धान खरीद में गड़बड़झाला..
डिवीजन कमिश्रर निगरानी कमेटी के डिप्टी सुपरिडैटेंट ने किया नई अनाजमंडी का दौरा, खरीद एजेंसी अधिकारी कर रहे खरीद में झोल

किसानों को फसल बेचने के बाद भी नहीं मिली पैमेंट, मंडी के अटके करीब 425 करोड़

रमेश सरोए, द न्यूज इनसाइडर









करनाल। किसान समर्थन मूल्य न मिलने से आशंकित होकर सडक़ों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। वहीं सरकार दावा कर रही है कि किसानों को फसल का निर्धारित समर्थन मूल्य दिया जाएगा। करनाल की नई अनाजमंडी में धान खरीद में गड़बड़झाला शुरू हो चुका है। मंडी में फसल  बेचने आए किसान हताश-परेशान नजर आ रहे है। किसानों की परेशानी समझने के लिए डिवीजन कमिश्रर निगरानी कमेटी के सदस्यों ने मंडी का निरीक्षण किया। टीम का नेतृत्व निगरानी कमेटी के डिप्टी सुपरिडैंटेट मुकेश कुमार ने किया। उन्होंने मंडी में चल रही खरीद व्यवस्था का जायजा लिया, जिसे देखकर वे खुद हैरान रह गए। किसानों ने डिप्टी सुपरिडैंटेट के समक्ष अपना दर्द ब्यां किया। जिसे देखकर आसानी से पता लगाया जा सकता है कि मंडी के अंदर खरीद व्यवस्था में बड़ा झोल चल रहा है। समर्थन मूल्य सिर्फ कागजों में दिखाई दे रहा हैं। एक किसान ने डिप्टी सुपरिडैंटेट से कहा कि जब उन्होंने फसल की ढेरी पर नमी मपवाई तो वे 20 प्रतिशत से अधिक निकली। जबकि धान सुखा हुआ है, इसके बाद किसान धान लेकर मंडी सचिव कार्यालय पहुंचा और नमी मपवाई। नमी 16.2 प्वाइंट आई। जो बताने के लिए काफी है कि मंडी में कुछ तो गड़बड़ चल रही है। जिसे किसान तो आसानी से समझ रहे है, लेकिन प्रशासनिक विभाग के आला अधिकारियों को दिखाई नहीं दे रही। जिसका खामियाजा किसानों को झेलना पड़ रहा हैं।

एक आढ़ती ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि मंडी में सीधे तौर पर लूट चल रही है। खरीद एजेंसी के अधिकारियों ने मंडी के अंदर एक जगह बना ली है। जहां पर बैठकर पूरा कारोबार चलाया जा रहा हैं। उनके किसान की बी-ग्रेड की धान जिसका रेट 1850 रुपए निर्धारित है, वह करीब 17.25 रुपए में बिकी है। इस रेट ओर समर्थन मूल्य में बहुत फर्क है। अगर इस धान में नमी भी ज्यादा है तो क्यों इसे खरीदा गया। अगर धान सही है तो क्यों नहीं इसे समर्थन मूल्य पर खरीदा गया। चेक करने पर कागजों में धान का रेट 1850 ही अंकित होगा। लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं है। हालांकि इस बार पीआर-धान की वैरायटी पीआर-14 के रेट समर्थन मूल्य से ज्यादा रहे थे, लेकिन वे अब समर्थन मूल्य से नीचे आ चुके हैं। जिसको देखने वाला कोई नहीं।

नियमों के खिलाफ जाकर राइस मिलर खरीद रहे सरकारी धान
नियम अनुसार खरीद एजेंसी का इंसपेक्टर धान खरीदकर कोटे अनुसार राइस मिलर को देता है। लेकिन करनाल की मंडी में बिल्कुल अलग हो रहा है। डीएफएससी विभाग का इंसपेक्टर समीर एक जगह बैठा रहता है और राइस मिलर धान की खरीद करते है। शाम या जब भी उन्हें मौका मिलता है तब वे इंसपेक्टर को खरीदी गई धान नोट करवा देते है ओर इंसपेक्टर धान को सरकारी रिकार्ड में लिख लेता है। अगर ऐसा ही है तो मंडी में इंसपेक्टर की क्या आवश्यकता।

चलता है करोड़ों का खेल

राइस मिलर समर्थन मूल्य से कम पर धान खरीदता है ओर उसे इंसपेक्टर उसे समर्थन मूल्य पर खरीदा हुआ लिख लेता हैं। उदाहरण के तौर पर किसान से राइस मिलर ने धान 17.50 रुपए क्विंटल पर खरीदा, लेकिन उसका मूल्य 1850 रुपए है। इस रेट में प्रति क्विंटल 100 रुपए का अंतर है। ये पैसा किसकी जेब में जाता है, इसे आसानी से समझा जा सकता हैं। यही सब हेराफेरी की जड़ हे, इसी को हड़पने के लिए जद्दोजहद होती हैं।









मोदीपुर मंडी बंद, पड़ा 15 हजार क्विंटल धान


सरकार द्वारा यूपी के सीमांत किसानों की फसल खरीदने के लिए बनाई गई मोदीपुर मंडी को तीसरे दिन ही बंद कर दिया। मंडी में करीब 37 हजार क्विंटल धान खरीदे जाने के दावे किए जा रहे हैं। सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्यों तीसरे दिन ही मंडी को बंद कर दिया। मंडी बंद की गई, इसमें क्या कमी रही, कहां पर गड़बड़ हुई है। इस बारे में कुछ नहीं बताया गया। लेकिन मंडी में 15 हजार क्विंटल धान बिकने के लिए पड़ा हुआ हे। एक किसान ने कहा कि उसका धान पड़ा है, राइस मिलर करीब 16 सौ से लेकर 17 सौ में खरीदने की बात कर रहे है। उनकी मजबूरी का फायदा उठाने की फिराक में राइस मिलर व खरीद एजेंसी के इंसपेक्टर लगे हुए है। सरकार को किसानों की सूध लेनी चाहिए।










अटके 425 करोड़, किसान आर्थिक रूप से परेशान

धान की सरकारी सुचारू रूप से शुरू हुए करीब 10 से 12 दिन हो चुके है, लेकिन अब तक किसान द्वारा बेची गई फसल का एक भी पैसा किसान को नहीं मिला है। किसान आढ़तियों के पास पैसे के लिए चक्कर काट रहा है। लेकिन आढ़ती अपने आपको बेबस पा रहा हैं। मंडी में करीब 425 करोड़ रुपए की पैमेंट अटक चुकी है। डीएफएससी इंसपेक्टर व अन्य एजेंसियों द्वारा अब तक आई फार्म कम्यूटर में एंट्री नहीं की है। एंट्री कब होगी, कोई कुछ नहीं बता सकता। इन दिनों में सिर्फ एक ही दिन की आई फार्म अपलोड किए हैं। पैमेंट मिलना तो दूर किसानों को अब तक फसल बेचने के बाद भी आनलाइन गेट पास नहीं मिले है, पैमेंट कब होगी, किसी के पास कोई जानकारी नहीं है। लेकिन सम्बधित एजेंसियों के अधिकारी बड़े आराम से अपने कारनामों को अंजाम देने में जुटे हैं।









वर्जन

इंसपेक्टर समीर ने कहा कि किसानों का धान समर्थन मूल्य पर ही खरीदा जा रहा है। निगरानी कमेटी के समक्ष एक किसान आया था। नमी को लेकर जो अंतर की बात की जा रही है। नमी को कोई भी किसान तीन एजेंसियों के मीटर से चेक करवा सकता है। उन्होंने कहा कि मोदीपुर मंडी को सरकार के आदेश पर बंद कर दिया है। जो धान मंडी के अंदर आ चुका है, उनके गेट पास कट चुके है। उन्हें खरीदा जाएगा।

वर्जन
डिवीजन कमिश्रर निगरानी कमेटी के डिप्टी सुपरिडैटेंट मुकेश कुमार ने कहा कि वे मंडी में खरीद व्यवस्था को चेक करने के लिए आए है। चैकिंग का उनका दूसरा दिन है। वे रिपोर्ट बना रहे है। रिपोर्ट को डिविजनल कमिशनर को सौंपेंगे। रिपोर्ट के बारे में कुछ नहीं बताया जा सकता। लेकिन जो गलत होगा, उस पर कार्रवाई जरुर होगी।




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