रिश्वत के आरोपी इंसपेक्टर जसबीर का तबादला, अब तक वापस नहीं लिया स्टॉक का चार्ज
बड़ा सवाल, इतनी देर बाद कार्यवाही क्यों, क्या तबादला सजा है, सस्पेंड कर होनी चाहिए आरोपों की जांच आरोपी इंसपेक्टर पर लगे थे प्रति बैग 3 से 10 रुपए प्रति क्विंटल कट्टा लेने के आरोप

द न्यूज इनसाइडर करनाल





इस मामले में दबाव पड़ने के बाद आरोप लगाने वाले आढ़ती भी पीछे हट गए थे। लेकिन द न्यूज इनसाइडर ने मामला उठा कर रखा। इसके बाद अब कार्यवाही हुई। अब जांच यह भी होनी चाहिए कि पहले क्यों आढ़तियों ने इंस्पेक्टर पर आरोप लगाए, फिर आरोपों पर कैसे समझौता कर लिया? 


गेहूं उठान के एवज में आढ़तियों से प्रति कट्टा 3-10 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में खादय आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर जसबीर सिंह का तबादला तुंरत प्रभाव से चंडीगढ़ में कर दिया। आदेशों में इंसपेक्टर को तुरंत ही नई जगह ज्वाइनिंग करने को कहा गया है। वहीं आढ़तियों को अब भी डर है कि आरोपी इंसपेक्टर का तबादला तो कर दिया, लेकिन गेहूं का स्टॉक होने का बहाना बनाकर दूसरी जगह ज्वाइनिंग से बचने का प्रयास करेगा। यहीं नहीं आरोपी इंसपेक्टर विभाग के दूसरे अधिकारियों को भी गेहूं के स्टॉक का चार्ज नहीं संभालने के लिए दवाब बना सकता है। खाद्य आपूर्ति विभाग के नए डीएफएससी निशांत राठी ने इंसपेक्टर जसबीर के तबालने की पुष्टि करते हुए साफ कर दिया कि जब अधिकारी का तबादला हो गया है तो उनका चार्ज दूसरे इंसपेक्टर को सौंपा जाएगा ताकि काम बाधित न हो।
अब जबकि सरकार द्वारा आरोपी इंसपेक्टर जसबीर का तबादला चंडीगढ़ मुख्यालय में कर तो दिया, लेकिन जो आरोप आढ़तियों ने सीधे तौर पर इंसपेक्टर पर लगाए हुए है। उन आरोपों का क्या हुआ। आरोप अपने आप में काफी गंभीर है। आरोपों की जांच के लिए बाकायदा जैड-ए द्वारा जांच रिपोर्ट डीसी को सौंपी जा चुकी है। लेकिन रिपोर्ट में क्या हुआ, अब तक कुछ जानकारी नहीं लग सकी है। आरोपों को देखते हुए जब इंसपेक्टर का तबादला देर से ही सही कर दिया तो गेहूं के स्टॉक की भी जांच होनी चाहिए। क्योंकि इंसपेक्टर द्वारा आढ़तियों से शॉर्टेज के नाम पर सैकड़ों क्विंटल लूटा गया। अगर गेहूं के स्टॉक की जांच हो तो सैकड़ों क्विंटल अतिरिक्त मिलेगा।

आरोप गंभीर तो सस्पेंड क्यों नहीं?

इंसपेक्टर पर आरोप गंभीर होने के बाद भी सस्पेंड की कार्रवाई नहीं की गई, जबकि मंडी की दोनों पंचायतों द्वारा लिखित में शिकायत भी दी थी। अब तबादले की कार्रवाई देखकर लग रहा है कि ये सब मामले को शांत करने के लिए किया गया। अगर ऐसा नहीं होता तो आरोपी इंसपेक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाती। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। हालांकि आरोप लगाने के बाद आढ़ती अपने ब्यानों से भी पिछे हट गए। फिर भी आढ़तियों को उम्मीद थी कि उन्हें तो अपने ब्यान दर्ज कर दिए थे। बाद में दवाब बनाकर समझौतेवादी पत्र ले लिया। इसका अंदेशा तो उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत करवा दिया था।

आखिरकार आरोपी इंसपेक्टर पर इतनी मेहरबानी क्यों?

आरोपी इंसपेक्टर राजनीतिक रूप से भी काफी प्रभावशाली बताया जा रहा है, जिसके चलते नई अनाजमंडी के आढ़तियों द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद भी आरोपी इंसपेक्टर पर मेहरबानी बरसाई जा रही हैं। अब तक तो देखने में ऐसा ही लग रहा है। वहीं कई आढ़तियों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अगर इंसपेक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे हड़ताल पर जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

ये था मामला

मंडी के आढ़तियों ने खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर जसबीर पर प्रति कट्टा उठान के लिए  पैसे देने का दवाब बनाया। दवाब बनाकर उठान के लिए प्रति 3 से 10 रुपए वसूले है। जिस आढ़ती ने पैसे नहीं दिए, उनके द्वारा परचेज की गई गेहूं जून माह के अंतिम दिनों में उठी। जबकि 28 अप्रैल की खरीदी गई गेहूं का उठान दो माह में होना वाक्या ही इंसपेक्टर की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाने के लिए काफी हैं। गंभीर आरोप लगने के बाद डीसी न जांच मंडी में कार्यरत जोनल अधिकारी सुशील मलिक को सौंप दी थी। अब मामले की जांच चल रही है। जांच में क्या निकलेगा, ये तो जांच पूरा होने के बाद ही पता चल सकेगा।





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