आखिर वहीं हुआ.. जिसकी आढ़ती आशंका जता रहे थे
इंसपेक्टर समझौते का पत्र लेने में हो गया कामयाब

द न्यूज इनसाइडर करनाल

आखिर वहीं हुआ जिसका आढ़तियों को डर था। आरोपी इंसपेक्टर आढ़तियों पर दवाब बनाकर समझौते का पत्र लेने में कामयाब हो गया। अगर शासन-प्रशासन आढ़तियों की बात पर पहले ही मान लेता तो आरोपी इंसपेक्टर आढ़तियों पर दवाब बनाकर समझौते के लिए विवश नहीं कर सकता था। यहां पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। प्रशासनिक अधिकारियों की हीला हवाली के चलते आरोपी इंसपेक्टर ने अपना पूरा तंत्र लगाकर स्थिति को अपने पक्ष में करने में सफल हो गया। हालांकि आढ़तियों द्वारा इंसपेक्टर पर लगाए गए आरोपों की जांच रिपोर्ट मार्केटिंग बोर्ड के जोनल अधिकारी सुशील मलिक द्वारा डीसी को सौंप दी है। अब सबकी निगाह डीसी की तरफ लगी है, डीसी जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपी इंसपेक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई करते है या नहीं।
आढ़तियों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि जब उन्होंने खुलकर अपनी बात लिखित में जोनल अधिकारी को दे दी, बावजूद इसके आरोपी इंसपेक्टर उन पर तरह-तरह से दवाब बनाता रहा। ये बात प्रशासन के भी संज्ञान में लाई गई। लेकिन कुछ नहीं हुआ। जांच अधिकारी द्वारा जांच में देरी की गई, जिससे जांच की मंशा पर सवाल उठना लाजिमी है। अगर आरोपी इंसपेक्टर को आशीर्वाद न मिलता तो क्या आरोपी इंसपेक्टर आढ़तियों पर दवाब डालकर समझौते का पत्र ले सकता था। इंसपेक्टर को करनाल से तबादला नहीं किया गया। जबकि ये काम जांच शुरू होने से पहले ही होना चाहिए था। ऐसा न करके आढ़तियों को पहले ही अल्टीमेटम दे दिया था कि ऐसी शिकायतों से कुछ होने वाला नहीं है। फिर भी आढ़तियों ने हिम्मत करके जांच में न केवल शामिल हुए बल्कि मंडी की दोनों पंचायतों ने लिखित में इंसपेक्टर जसबीर के खिलाफ शिकायत भी दी। लेकिन अब नतीजे सबके सामने हैं। जिसका डर आढ़तियों को पहले से ही थी, वहीं हो गया है। अब ऐसी शिकायत ओर जांच का क्या औचित्य। जब आढ़तियों की बात ही नहीं सुनी गई।




आखिर आढ़तियों ने लिखित में क्यों दिया?

ये जांच का विषय हो सकता है कि आखिर आढ़तियों पर किस तरह से दवाब बनाया गया, जिससे डरे आढ़ती समझौते पर विवश हुए। सवाल ये भी है कि अगर आढ़तियों ने जो आरोप लगाए थे, उनके बारे में माफीनामा दिया है, तो क्या आढ़तियों ने जो आरोप लगाए थे, वे सभी निराधार थे। अगर आरोपों में सच्चाई थी तो अब तक आरोपी इंसपेक्टर के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। जब मामला सीएम के संज्ञान में भी आ चुका है।








मामले में प्रशासन की भूमिका पर लगा सवालिया निशान

जब आरोपी इंसपेक्टर के खिलाफ कार्रवाई चल रही थी, वहीं आरोपी इंसपेक्टर आढ़तियों पर दवाब डालकर समझौते के लिए विवश कर रहा था। मामला प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में भी लाया गया। लेकिन प्रशासन द्वारा आरोपी इंसपेक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि आढ़ती चाहते थे कि जब तक मामले की जांच हो तब तक इंसपेक्टर का तबादला अन्य जगह कर दिया जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जो जांच का विषय हो सकता हैं।

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