मंडी में प्रति बोरी तीन तीन रुपए वसूली मामला: दबंग इंस्पेक्टर नहीं हुआ जांच अधिकारी के सामने पेश
जांच की तय समय अवधि खत्म। डीसी ने सात दिन के भीतर मार्केट बोर्ड के जोनल अधिकारी को सात दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने के लिए बोला था। सीएम ने करनाल प्रवास के दौरान दावा किया था जांच होगी। लेकिन इंस्पेक्टर है कि जांच में शामिल ही नहीं हो रहा है।
द न्यूज इनसाइडर करनाल
सीएम मनोहर लाल अक्सर दावा करते हैं कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा। भ्रष्टाचार के आरोप में कई सरकारी कर्मचारी सस्पेंड भी किए गए। लेकिन उनके अपने विधानसभा क्षेत्र में खाद्य आपूर्ति विभाग का इंस्पेक्टर सीएम के दावों को तार तार करता नजर आ रहा है। इस पर आरोप है कि गेहूं खरीद में उसने करनाल के आढ़तियों से प्रति बोरी तीन तीन रुपए की अवैध वसूली की है। मामला डीसी के संज्ञान में हैं। जांच जेडए को सौंपी गयी। लेकिन इंस्पेक्टर इस जांच में शामिल ही नहीं हुआ है। जांच अधिकारी पूरा दिन इंस्पेक्टर का इंतजार करता रहा।
जोनल अधिकारी सुशील मलिक ने बताया कि उन्होंने इंसपेक्टर को दो बार बुलवाया। लेकिन वह आए ही नहीं। उन्होंने यह भी बताया कि आढ़तियों को भी बुलाया गया था। वह भी नहीं आ रहे हैं। ऐसे में वह जांच क्या करें? शु्क्रवार को जांच के लिए डीसी निशांत यादव की ओर से तय सात दिन की अवधि पूरी हो गई है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि इंस्पेक्टर क्यों जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हो रहा है। दूसरा सवाल यह है कि अब जांच अधिकारी क्यां करेगे? हालांकि उन्होंने इस बारे में अभी कुछ नहीं बताया है। लेकिन बताया जा रहा है कि इंस्पेक्टर को कुछ उच्च अधिकारी बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। यहीं वजह है कि इंस्पेक्टर जांच में शामिल नहीं हो रहा है।
वहीं आरोपी इंसपेक्टर पर आढ़ती सीधे तौर पर दवाब बनाने के आरोप पहले ही लगा चुके है। जो इस बात की पुष्टि करने के लिए काफी है कि आढ़ती किस प्रकार से इंसपेक्टर से डरे हुए है। जो डर के मारे जांच अधिकारी के पास नहीं जा रहे। लेकिन आढ़तियों ने कहा कि अगर जांच अधिकारी उन्हें अलग टाइम देकर बुलाएगा तो वे पूरी सच्चई जांच अधिकारी के समक्ष रख सकते हैं। इंसपेक्टर जांच में इसलिए शामिल नहीं हो रहा, क्योंकि उसे शासन-प्रशासन का डर नहीं है। जिस तरह पिछले सीजन में इंसपेक्टर गेहूं में परखी मारने के आरोप से सीधे तौर पर बच निकला था, इस बार भी इंसपेक्टर को ऐसी ही उम्मीद है। लेकिन उन्होंने डीसी की जांच पर पूरा भरोसा है। उन्हें न्याय की पूरी उम्मीद है। अगर जांच ऐसे ही रही तो आरोपी इंसपेक्टर के हौंसले बुलंद हो जाएगे, जिसके चलते आढ़तियों का मंडी में काम करना मुश्किल हो जाएगा।
डीसी द्वारा जांच जैड-ए को सौंपने के बाद भी जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई। आढ़तियों के आरोप है कि ऐसा जानबूझ कर किया जा रहा हैं ताकि मामले को लम्बा खींचा जा चुके। इससे आरोपी इंसपेक्टर द्वारा आढ़तियों पर दवाब बना लेना, जिससे वे जांच में शामिल नहीं हो पाएगे। आढ़तियों ने कहा कि अगर आरोपी इंसपेक्टर जांच में शामिल नहीं हो रहा तो आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाए। उन्होंने मांग की कि जब तक जांच चल रही है तब तक इंसपेक्टर का तबादला अन्य जगह पर कर दिया जाए ताकि जांच प्रभावित न हो सके।
आढ़तियों ने प्रशासनिक अधिकारी काे मौखिक शिकायत की थी कि खाद्य आपूर्ति विभाग का इंसपेक्टर गेहूं के प्रति बैग उठाने की एवज में 3-3 रुपए ले रहा है। लेकिन मौखिक शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। डर के मारे आढ़तियों ने इंसपेक्टर की डिमांड को पूरी करते हुए गेहूं का उठान करवाया। आढ़तियों ने आरोप लगाया कि अगर वे ऐसा नहीं करते तो उनका गेहूं मंडी व अन्य खरीद प्वाइंटों पर पड़े पड़े खराब होता रहता।ऊपर से मौसम लगातार खराब चल रहा था। जिसका फायदा इंसपेक्टर न उठाया। इसी दौरान मामला डीसी के संज्ञान में आया और डीसी ने आरोपी इंसपेक्टर पर लगे आरोपों की जांच करवाने का निर्णय लिया और जांच जैड-ए को सौंप दी। आढ़तियों ने कहा कि विभाग के इंसपेक्टर पर पहले भी कई आरोप लगे हुए है,लेकिन विभाग के अधिकारी इसंपेक्टर को बचाने में लगे हुए हैं।
जांच की तय समय अवधि खत्म। डीसी ने सात दिन के भीतर मार्केट बोर्ड के जोनल अधिकारी को सात दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने के लिए बोला था। सीएम ने करनाल प्रवास के दौरान दावा किया था जांच होगी। लेकिन इंस्पेक्टर है कि जांच में शामिल ही नहीं हो रहा है।
द न्यूज इनसाइडर करनाल
सीएम मनोहर लाल अक्सर दावा करते हैं कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा। भ्रष्टाचार के आरोप में कई सरकारी कर्मचारी सस्पेंड भी किए गए। लेकिन उनके अपने विधानसभा क्षेत्र में खाद्य आपूर्ति विभाग का इंस्पेक्टर सीएम के दावों को तार तार करता नजर आ रहा है। इस पर आरोप है कि गेहूं खरीद में उसने करनाल के आढ़तियों से प्रति बोरी तीन तीन रुपए की अवैध वसूली की है। मामला डीसी के संज्ञान में हैं। जांच जेडए को सौंपी गयी। लेकिन इंस्पेक्टर इस जांच में शामिल ही नहीं हुआ है। जांच अधिकारी पूरा दिन इंस्पेक्टर का इंतजार करता रहा।
जोनल अधिकारी सुशील मलिक ने बताया कि उन्होंने इंसपेक्टर को दो बार बुलवाया। लेकिन वह आए ही नहीं। उन्होंने यह भी बताया कि आढ़तियों को भी बुलाया गया था। वह भी नहीं आ रहे हैं। ऐसे में वह जांच क्या करें? शु्क्रवार को जांच के लिए डीसी निशांत यादव की ओर से तय सात दिन की अवधि पूरी हो गई है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि इंस्पेक्टर क्यों जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हो रहा है। दूसरा सवाल यह है कि अब जांच अधिकारी क्यां करेगे? हालांकि उन्होंने इस बारे में अभी कुछ नहीं बताया है। लेकिन बताया जा रहा है कि इंस्पेक्टर को कुछ उच्च अधिकारी बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। यहीं वजह है कि इंस्पेक्टर जांच में शामिल नहीं हो रहा है।
वहीं आरोपी इंसपेक्टर पर आढ़ती सीधे तौर पर दवाब बनाने के आरोप पहले ही लगा चुके है। जो इस बात की पुष्टि करने के लिए काफी है कि आढ़ती किस प्रकार से इंसपेक्टर से डरे हुए है। जो डर के मारे जांच अधिकारी के पास नहीं जा रहे। लेकिन आढ़तियों ने कहा कि अगर जांच अधिकारी उन्हें अलग टाइम देकर बुलाएगा तो वे पूरी सच्चई जांच अधिकारी के समक्ष रख सकते हैं। इंसपेक्टर जांच में इसलिए शामिल नहीं हो रहा, क्योंकि उसे शासन-प्रशासन का डर नहीं है। जिस तरह पिछले सीजन में इंसपेक्टर गेहूं में परखी मारने के आरोप से सीधे तौर पर बच निकला था, इस बार भी इंसपेक्टर को ऐसी ही उम्मीद है। लेकिन उन्होंने डीसी की जांच पर पूरा भरोसा है। उन्हें न्याय की पूरी उम्मीद है। अगर जांच ऐसे ही रही तो आरोपी इंसपेक्टर के हौंसले बुलंद हो जाएगे, जिसके चलते आढ़तियों का मंडी में काम करना मुश्किल हो जाएगा।
डीसी द्वारा जांच जैड-ए को सौंपने के बाद भी जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई। आढ़तियों के आरोप है कि ऐसा जानबूझ कर किया जा रहा हैं ताकि मामले को लम्बा खींचा जा चुके। इससे आरोपी इंसपेक्टर द्वारा आढ़तियों पर दवाब बना लेना, जिससे वे जांच में शामिल नहीं हो पाएगे। आढ़तियों ने कहा कि अगर आरोपी इंसपेक्टर जांच में शामिल नहीं हो रहा तो आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाए। उन्होंने मांग की कि जब तक जांच चल रही है तब तक इंसपेक्टर का तबादला अन्य जगह पर कर दिया जाए ताकि जांच प्रभावित न हो सके।
आढ़तियों ने प्रशासनिक अधिकारी काे मौखिक शिकायत की थी कि खाद्य आपूर्ति विभाग का इंसपेक्टर गेहूं के प्रति बैग उठाने की एवज में 3-3 रुपए ले रहा है। लेकिन मौखिक शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। डर के मारे आढ़तियों ने इंसपेक्टर की डिमांड को पूरी करते हुए गेहूं का उठान करवाया। आढ़तियों ने आरोप लगाया कि अगर वे ऐसा नहीं करते तो उनका गेहूं मंडी व अन्य खरीद प्वाइंटों पर पड़े पड़े खराब होता रहता।ऊपर से मौसम लगातार खराब चल रहा था। जिसका फायदा इंसपेक्टर न उठाया। इसी दौरान मामला डीसी के संज्ञान में आया और डीसी ने आरोपी इंसपेक्टर पर लगे आरोपों की जांच करवाने का निर्णय लिया और जांच जैड-ए को सौंप दी। आढ़तियों ने कहा कि विभाग के इंसपेक्टर पर पहले भी कई आरोप लगे हुए है,लेकिन विभाग के अधिकारी इसंपेक्टर को बचाने में लगे हुए हैं।
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