प्रति बैग तीन तीन रुपए वसूली का मामला: सीएम बोले कार्यवाही होगी, इधर चार दिन हो गए इंस्पेक्टर जांच के लिए अधिकारी के सामने पेश नहीं हुआ
करनाल के खाद्य आपूर्ति विभाग का एक इंस्पेक्टर की दबंगता का अंदाजा इसी से लग सकता है। सीएम मनोहर लाल वीरवार को करनाल में थें, उनसे जब इंस्पेक्टर की गड़बड़ी के मामले पर सवाल पूछा तो सीएम ने जवाब दिया, कार्यवाही होगी। लेकिन हकीकत यह है कि इस मामले की जांच डीसी निशांत यादव ने छह दिन पहले जेडए को सौंपी थी। डीसी ने जांच अधिकारी को आदेश दिए थे कि सात दिन के अंदर रिपोर्ट दें। लेकिन अभी तक इंस्पेक्टर जांच अधिकारी के सामने पेश तक नहीं हुआ। इंस्पेटक्टर पर आढ़ती आरोप लग रहे हैं कि उन्हें धमकी दी जा रही है। उन्हें बोला गया, या तो हक में गवाही दे, अन्यथा अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे। डरे हुए आढ़तियों की मांग है कि अब यदि इस मामले में सही जांच करनी है तो सबसे पहले इस इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया जाए। इसके बाद ही सही और निष्पक्ष जांच हो सकती है। यदि ऐसा नहीं किया हुआ तो वह जांच प्रभावित करने के लिए हर हथकंडा अपनाएगा। इससे निष्पक्ष जांच होना संभव नहीं होगा।
वीरवार को सीएम के खुलेदरबार में भी इंस्पेक्टर के भ्रष्टाचार के चर्चें थे। हालांकि सीएम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का स्पष्ट संदेश देकर भ्रष्टाचारियों को कड़ी चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि अनाजमंडी में आढ़तियों से वसूली करने का मामला उनके संज्ञान में आया है। मामले की जांच हालांकि डीसी द्वारा जोनल अधिकारी को सौंपी हुई है। इस पर सीएम ने डीसी को निर्देश देते हुए कहा कि मामले की जल्द से जल्द की जांच की जाए। मामला सीएम के संज्ञान में होने के बाद आढ़तियों को उम्मीद बंध गई है कि आरोपी इंसपेक्टर के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
आढ़तियों में इस बात को लेकर निराशा है कि जांच में इंसपेक्टर और आढ़तियों को एकसाथ शामिल करने के लिए बुलाया जा रहा है। जो गलत है। आढ़तियों की मांग है या तो इस मामले की विजिलेंस से जांच होनी चाहिए। यदि जांच जोनल अधिकारी ही कर रहे हैं तो फिर सभी के अकेले में बयान लेने चाहिए। क्योंकि इंस्पेक्टर के सामने आढ़ती कैसे अपनी बात जांच अधिकारी के सामने रख पाएंगे। जांच अधिकारी को चाहिए कि मामले की गंभीरता को समझे और जांच में आढ़तियों को इंसपेक्टर से अलग से समय दिया जाए ताकि वे अपनी बात को निष्पक्ष तरीके ओर बिना भय के रख सके। आढ़तियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मामले की गंभीरता के साथ जांच हो, अगर ऐसा नहीं हुआ तो मंडी में उनके लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा। आढ़तियों ने कहा कि इंसपेक्टर का यहां से तबादला होना चाहिए।
आरोप है कि इंसपेक्टर ने आढ़तियों पर दवाब बनाकर डराकर गेहूं खरीद में प्रति बैग तीन-तीन रुपए लिए है। कोरोना काल में आढ़तियों के पास इंसपेक्टर की बात मानने के सिवाए कोई चारा ही नहीं था। मामले की गंभीरता देखते हुए डीसी निशांत यादव ने मामले की जांच जोनल अधिकारी सुशील मलिक को सौंपकर सात दिनों में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए। हालांकि जोनल अधिकारी ने दोनों पक्षों को 25 जून को बुलाया था। लेकिन सीएम के करनाल आगमन को देखते हुए मामले में जांच आगे नहीं बढ़ पाई। इन सबके बावजूद आढ़तियों में डर बना हुआ है कि अवैध वसूली के बाद भी अगर इंसपेक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो अगले सीजन में आढ़तियों को सीधे तौर पर बदला लिया जाएगा। आढ़तियों का मंडी में काम करना मुश्किल हो जाएगा।
आढ़तियों की यह भी मांग है कि इस मामले में डीएफएससी की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। क्योंकि ऐसा नहीं हो सक ता कि इंसपेक्टर की इस नजायज वसूली का डीएफएससी को पता न हो। उन्हें मंडियेां में क्या चल रहा है, सब जानकारी होती है। आढ़तियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि डीएफएससी इंसपेक्टर को बचाने में लगा हुआ है।
पहले ही कोरोना संक्रमण के दौर में मंडियों में काम जान जोखिम में डालकर किया गया। बरसात की मार लगातार पड़ती रही। इन सबके बीच इंसपेक्टर ने उठान के लिए दवाब बनाकर तीन-तीन रुपए वसूल लिए। दवाब बनाया कि अगर पैसे नहीं दिए तो उठान के लिए मुसीबत उठानी पड़ेगी। आरोप है कि जिसके डर से आढ़तियों ने इंसपेक्टर को पैसे दिए। क्योंकि आढ़तियों को सीधे तौर पर डर था कि अगर गेहूं का उठान देरी से होगा तो गेहूं खुले में पड़े पड़े खराब हो जाएगा। क्योंकि मौसम भी लगातार खराब चल रहा था। जिसका फायदा इंसपेक्टर ने उठाया।
आढ़तियों ने इंसपेक्टर की कार्यप्रणाली के बारे में बताया कि एक आढ़ती के पास जैसे ही गेहूं आई, उसकी उसी दिन तुलवाई करवाकर उठान करवा दिया जबकि बाकी आढ़तियों के उठान एक माह में बड़ी परेशानी के साथ करवाया गया। जिसे इंसपेक्टर की बात मान ली, उसी का उठान करवाया गया। जो आढ़तियों के लिए पीड़ा से कम नहीं था। इंसपेक्टर की वजह से आढ़तियों को मानसिक पीढ़ा से गुजरना पड़ा। उन्होंने सीएम से मांग की है कि मामले की जांच करवाकर आरोपित इंसपेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाए। जब तक जांच चले इंसपेक्टर को संस्पेड किया जाए।
इंस्पेक्टर कितना दबंग है, इसी से लग सकता है अंदाजा, आढ़तियोें तक को धमकी दे चुका है, या तो हक में बयान दो, नहीं तो भुगतना होगा अंजामद न्यूज इनसाइडर करनाल
करनाल के खाद्य आपूर्ति विभाग का एक इंस्पेक्टर की दबंगता का अंदाजा इसी से लग सकता है। सीएम मनोहर लाल वीरवार को करनाल में थें, उनसे जब इंस्पेक्टर की गड़बड़ी के मामले पर सवाल पूछा तो सीएम ने जवाब दिया, कार्यवाही होगी। लेकिन हकीकत यह है कि इस मामले की जांच डीसी निशांत यादव ने छह दिन पहले जेडए को सौंपी थी। डीसी ने जांच अधिकारी को आदेश दिए थे कि सात दिन के अंदर रिपोर्ट दें। लेकिन अभी तक इंस्पेक्टर जांच अधिकारी के सामने पेश तक नहीं हुआ। इंस्पेटक्टर पर आढ़ती आरोप लग रहे हैं कि उन्हें धमकी दी जा रही है। उन्हें बोला गया, या तो हक में गवाही दे, अन्यथा अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे। डरे हुए आढ़तियों की मांग है कि अब यदि इस मामले में सही जांच करनी है तो सबसे पहले इस इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया जाए। इसके बाद ही सही और निष्पक्ष जांच हो सकती है। यदि ऐसा नहीं किया हुआ तो वह जांच प्रभावित करने के लिए हर हथकंडा अपनाएगा। इससे निष्पक्ष जांच होना संभव नहीं होगा।
वीरवार को सीएम के खुलेदरबार में भी इंस्पेक्टर के भ्रष्टाचार के चर्चें थे। हालांकि सीएम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का स्पष्ट संदेश देकर भ्रष्टाचारियों को कड़ी चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि अनाजमंडी में आढ़तियों से वसूली करने का मामला उनके संज्ञान में आया है। मामले की जांच हालांकि डीसी द्वारा जोनल अधिकारी को सौंपी हुई है। इस पर सीएम ने डीसी को निर्देश देते हुए कहा कि मामले की जल्द से जल्द की जांच की जाए। मामला सीएम के संज्ञान में होने के बाद आढ़तियों को उम्मीद बंध गई है कि आरोपी इंसपेक्टर के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
आढ़तियों में इस बात को लेकर निराशा है कि जांच में इंसपेक्टर और आढ़तियों को एकसाथ शामिल करने के लिए बुलाया जा रहा है। जो गलत है। आढ़तियों की मांग है या तो इस मामले की विजिलेंस से जांच होनी चाहिए। यदि जांच जोनल अधिकारी ही कर रहे हैं तो फिर सभी के अकेले में बयान लेने चाहिए। क्योंकि इंस्पेक्टर के सामने आढ़ती कैसे अपनी बात जांच अधिकारी के सामने रख पाएंगे। जांच अधिकारी को चाहिए कि मामले की गंभीरता को समझे और जांच में आढ़तियों को इंसपेक्टर से अलग से समय दिया जाए ताकि वे अपनी बात को निष्पक्ष तरीके ओर बिना भय के रख सके। आढ़तियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मामले की गंभीरता के साथ जांच हो, अगर ऐसा नहीं हुआ तो मंडी में उनके लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा। आढ़तियों ने कहा कि इंसपेक्टर का यहां से तबादला होना चाहिए।
आरोप है कि इंसपेक्टर ने आढ़तियों पर दवाब बनाकर डराकर गेहूं खरीद में प्रति बैग तीन-तीन रुपए लिए है। कोरोना काल में आढ़तियों के पास इंसपेक्टर की बात मानने के सिवाए कोई चारा ही नहीं था। मामले की गंभीरता देखते हुए डीसी निशांत यादव ने मामले की जांच जोनल अधिकारी सुशील मलिक को सौंपकर सात दिनों में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए। हालांकि जोनल अधिकारी ने दोनों पक्षों को 25 जून को बुलाया था। लेकिन सीएम के करनाल आगमन को देखते हुए मामले में जांच आगे नहीं बढ़ पाई। इन सबके बावजूद आढ़तियों में डर बना हुआ है कि अवैध वसूली के बाद भी अगर इंसपेक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो अगले सीजन में आढ़तियों को सीधे तौर पर बदला लिया जाएगा। आढ़तियों का मंडी में काम करना मुश्किल हो जाएगा।
आढ़तियों की यह भी मांग है कि इस मामले में डीएफएससी की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। क्योंकि ऐसा नहीं हो सक ता कि इंसपेक्टर की इस नजायज वसूली का डीएफएससी को पता न हो। उन्हें मंडियेां में क्या चल रहा है, सब जानकारी होती है। आढ़तियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि डीएफएससी इंसपेक्टर को बचाने में लगा हुआ है।
पहले ही कोरोना संक्रमण के दौर में मंडियों में काम जान जोखिम में डालकर किया गया। बरसात की मार लगातार पड़ती रही। इन सबके बीच इंसपेक्टर ने उठान के लिए दवाब बनाकर तीन-तीन रुपए वसूल लिए। दवाब बनाया कि अगर पैसे नहीं दिए तो उठान के लिए मुसीबत उठानी पड़ेगी। आरोप है कि जिसके डर से आढ़तियों ने इंसपेक्टर को पैसे दिए। क्योंकि आढ़तियों को सीधे तौर पर डर था कि अगर गेहूं का उठान देरी से होगा तो गेहूं खुले में पड़े पड़े खराब हो जाएगा। क्योंकि मौसम भी लगातार खराब चल रहा था। जिसका फायदा इंसपेक्टर ने उठाया।
आढ़तियों ने इंसपेक्टर की कार्यप्रणाली के बारे में बताया कि एक आढ़ती के पास जैसे ही गेहूं आई, उसकी उसी दिन तुलवाई करवाकर उठान करवा दिया जबकि बाकी आढ़तियों के उठान एक माह में बड़ी परेशानी के साथ करवाया गया। जिसे इंसपेक्टर की बात मान ली, उसी का उठान करवाया गया। जो आढ़तियों के लिए पीड़ा से कम नहीं था। इंसपेक्टर की वजह से आढ़तियों को मानसिक पीढ़ा से गुजरना पड़ा। उन्होंने सीएम से मांग की है कि मामले की जांच करवाकर आरोपित इंसपेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाए। जब तक जांच चले इंसपेक्टर को संस्पेड किया जाए।
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