द न्यूज इनसाइडर करनाल
प्रति बैग तीन तीन रुपए वसूली के आरोपी इंस्पेक्टर के प्रति मार्केटिंग बोर्ड के जोनल अधिकारी जांच के नाम पर खानापूर्ति कर रहे हैं। डीसी ने आदेश दिए थे कि सात दिन के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट दी जाए। अब यह समय अवधि दो दिन पहले खत्म हो चुकी है। इसके बाद भी जेडए वहीं पुराना राग अलाप रहे हैं। उनका कहना है कि कोई भी पक्ष बयान देने के लिए नहीं आ रहा है।
अब सवाल यह उठ रह है कि यदि जेडए की जांच में आरोपी इंस्पेक्टर शामिल नहीं हो रहा है तो फिर यहीं रिपोर्ट जांच अधिकारी डीसी को सौंप क्यों नहीं रहे हैं। क्या वह बार बार इंस्पेक्टर को समय देकर उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि आढ़ती लगातार आरोप लगा रहे हैं कि इंस्पेक्टर उन पर दबाव बना रहा हैकि वह उसके पक्ष में बयान दें।
इतना ही नहीं इंस्पेक्टर ने आढ़तियों को चेतावनी भी दे रखी है है कि यदि ऐसा नहीं किया तो उनका काम करना मुश्किल हो जाएगा। इस वजह से आढ़ती खासे परेशान है। आढ़तियों के डर का आलम यह है कि वह खुल कर सामने आने से भी बच रहे हैं।
इसकी वजह भी है, अब इंस्पेक्टर पर आरोप लगे। मामला डीसी के संज्ञान में हैं। जांच जेडए पर है, लेकिन होता कुछ नहीं। यह पूरी स्थिति आढ़तियों को भीतर तक डरा रही है।
क्यों नहीं जेडए से जांच लेकर विजिलेंस या अन्य विभाग को सौंप दी जाए। इस बाबत यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवाेकेट राकेश ढुल ने बताया कि इस मामले में तो ऐसा लग रहा हैकि डीसी ने जेडए को जांच देकर सही नहीं किया। जेडए की अभी तक की भूमिका उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रही है। जो जांच अधिकारी आरोपी व आरोप लगाने वालों को जांच के लिए बुला ही नहीं पा रहा है, वह जांच कैसे करेंगे? क्या इस तरह का अधिकारी निष्पक्ष जांच कर सकता है। एडवोकेट ढुल ने बताया कि प्रति कट्टा तीन तीन रुपए का मामला सीएम मनोहर लाल के करनाल प्रवास के दौरान जनसुनवाई में भी उठा था। तब सीएम ने भी मामले की जांच की बात बोली थी। इसके बाद भी इस दिशा में कुछ ठोस होता नजर नहीं आ रहा है।
एडवोकेट ढुल ने बताया कि डीसी को चाहिए कि इस मामले की जांच किसी अन्य अधिकारी को सौंप दें। एसडीएम या एडीसी भी जांच कर सकते हैं। इसके अलावा विजिलेंस से भी जांच करायी जा सकती है। खाद्य आपूर्ति विभाग का विजिलेंस भी जांच कर सकता है। इसलिए डीसी की एेसी कोई मजबूरी नहीं कि जांच जेडए को ही दी जाए।
बताया जा रहा है कि ढीली जांच से परेशान कुछ आढ़ती सोमवार को डीसी से मिले थे। डीसी ने जांच का आश्वासन भी दिया है।
इधर इंस्पेक्टर अब बचाव की मुद्रा में नजर आ रहा है।
अंतिम परचेज 28 अप्रैल हुई थी, इसका उठान आज किया गया। आढ़तियों का कहना है कि गेहूं उठान की यह देरी भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई है। लेकिन डीएफएससी अनिल कुमार ने बताया कि गेहूं खराब हो सकती है। इसलिए उठान में देरी हुई। उन्होंने इंस्पेक्टर का बचाव करते हुए दावा किय कि सूखा कर गेहूं लिया गया होगा। यदि फिर भी आढ़ती के पास उठान में भ्रष्टाचार का कोई तथ्य है तो वह जांच करा लेंगे।
ये है मामला
नई अनाजमंडी में खाद्य आपूर्ति विभाग के इंसपेक्टर को खरीद की जिम्मेवारी दी गई थी। आढ़तियों ने इंसपेक्टर पर प्रति बैग उठान के लिए तीन-तीन रुपए वसूलने के गंभीर आरोप लगाए है। हालांकि आढ़तियों ने सीधे तौर पर लिखित शिकायत किसी प्रशासनिक अधिकारी को नहीं दी। लेकिन मौखिक तौर पर प्रशासनिक अधिकारी को अवगत कराया गया। जिसके बाद मामला डीसी निशांत यादव के संज्ञान में आया। डीसी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की मार्केटिंग बोर्ड के जोनल अधिकारी सुशील मलिक को सौंपकर सात दिनों में रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन अब तक जांच शुरु भी नहीं हो पाई। हालांकि इस बारे में जब जोनल अधिकारी का पक्ष जाना गया तो उन्होंने कहा था कि जांच में दोनों पक्षों को बुलाया गया था, लेकिन कोई भी पक्ष जांच में शामिल नहीं हो रहा है।
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