कोरोना खतरा: कल्पना चावला मेडिकल कालेज में हर स्तर पर बरती गयी लापरवाही

संक्रमण की चपेट में आये व्यक्ति के बेटे ने आरोप लगाया कि यहां का  
स्टाफ कोरोना को लेकर गंभीर नहीं था। इस वजह से पिता के कोरोना पॉजिटिव होने का पता लगने में इतनी देरी हुयी। 

द न्यूज इनसाइडर ब्यूरो करनाल 
कल्पना चावला राजकीय मैडिकल कॉलेज से रैफर किया गया कोरोना वायरस के  मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव  आई है, जिसके बाद मेडिकल  कॉलेज में हडक़ंप मच गया। चूंकि जिस समय संदिज्ध मरीज कॉलेज में एडमिट रहा, उस दौरान संदिध मरीज के ईलाज में घोर लापरवाही बरती गई। लापरवाही का आरोप स्वयं कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति  के बेटे ने मैडिकल कॉलेज के डॉक्टरों पर लगाएं हैं। जो आरोप लगाए गए है, वे काफी गंभीर तो है ही साथ ही सीधे तौर पर लापरवाही की ओर इशारा करने के लिए काफी है। चूंकि पीडि़त के परिजनों की माने तो मरीज 25 मार्च को एडमिट हुआ था, लेकिन 31 मार्च तक मरीज के सैंपल तक नहीं लिए गए। मरीज के सैंपल एक अप्रैल को लिए गए, उसी दिन मरीज की तबीयत बिगडऩे के चलते उसे चंडीगढ़ पीजीआई में रैफर कर दिया। जहां पर डॉक्टरों ने मरीज में कोरोना के लक्षणों को देखते हुए सैंपल लिए, रिर्पोट पॉजिटिव आई। जो दर्शाता है कि मैडिकल कॉलेज में किस कदर लापरवाही हुई। मरीज के एडमिट-रैफर होने के बीच तक लगातार लापरवाहियां होती रही। इस दौरान क्यों नहीं संदिज्ध मरीज के सैंपल लिए गए? जिसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया। या यूं कहे कि डॉक्टर कोरोना के लक्षणों को समझने में नाकाम रहे। जब समझे तब तक स्थिति पूरी तरह से भयावह हो चुकी थी।
जिसका नतीजा यह हुआ है कि मरीज को इलाज से लेकर सैंपल लेने वाले डॉक्टर-स्टाफ पर कोरोना के संक्रमण का वायरस घुमने लगा हैं। इस दौरान कोरोना के संदिज्ध मरीज के परिजन डॉक्टरों-स्टाफ व अस्पताल में कार्यरत अन्य लोगों के संपर्क में तो आए ही होंगे साथ ही ये लोग फिर अपने परिवार या अन्य लोगों के। जिसके चलते जिले में कम्यूनिटी ट्रासमिशन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। चेन कितनी लम्बी होगी, इसका पता तो आने वाले 2 से 3 दिनों में ही लगेगा। लेकिन लापरवाही की जिम्मेवारी किसकी है। इसका पता तो निष्पक्ष जांच के बाद ही पता चल सकेगा।

क्या है प्रोटोकॉल

शासन-प्रशासन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में लगा है, जिसकी बदौलत करनाल में अब तक एक भी कोरोना वायरस से संक्रमित कोई मरीज नहीं आया था। लेकिन मैडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा बरती गई लापरवाही के चलते कोरोना के मरीजों के लम्बी चैन बन जाए, ऐसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। नियम अनुसार तो होना ये चाहिए कि कोरोना के संदिज्ध मरीजों को डॉक्टर तक लाने के लिए अलग से रूट होना चाहिए था ताकि मरीज अन्य लोगों या मरीजों के संपर्क में न आ सके, यहां तक की टैस्ट लेने वालों को भी पूरा साजो सामान मुहैया करवाया जाना चाहिए। इसके अलावा अस्पताल के डॉक्टरों को घर जाने की मनाही हो, डॉक्टरों की व्यवस्था मैडिकल कॉलेज में ही की जाए। लेकिन यहां पर डॉक्टर आराम से घर जा रहे हैं। ये आरोप डॉक्टरों से ज्यादा मैडिकल कॉलेज प्रबंधन पर है। क्योंकि प्रोटोकॉल बनाने की जिम्मेवारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की होती हैं।

परिवार के सदस्यों को मैडिकल कॉलेज में रखा गया क्वारटाइन में

अब पीडि़त परिवार के सदस्यों को मैडिकल कॉलेज में क्वारटाइन में रखा गया हैं। इन संदिज्धों के भी सैंपल लिए जाएगे। अगर इन मरीजों में से किसी की भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो ये बड़ी बात होगी, इससे भी बड़ी बात ये होगी कि कौन से डॉक्टर-स्टाफ मरीज के संपर्क में आए होंगे। उन्हें क्वारटाइन में रखा जाएगा। उनके भी सैंपल लिए जाएगे। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो स्थिति भयावह हो सकती है, जो चैन बन जाए तो शासन-प्रशासन को इस चैन को रोकने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी साथ ही अब तक किए गए प्रयासों पर काफी हद तक पानी फिर जाएगा।


जनता से अपील

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सभी जन घरों में ही रहे, घरों से बाहर नहीं निकले। सरकार बार-बार जो अपील कर रही है, उसकी पूरे तौर पर पालना की जाए ताकि कोरोना के संक्रमण को खत्म किया जा सके। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जो गाइडलाइन जारी की है, उनको अनिवार्य तौर पर माना जाए। 

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