इंस्पेक्टर समीर वशिष्ठ की निष्ठा पर उठे थे सवाल, उन्हें धान खरीद में लगाया करनाल मंडी में




कई राइस मिलर्स को मिलिंगमेटी से  ज्यादा कोटा दिया, गड़बड़ी का जिम्मेदार कौन? 

द न्यूज इनसाइडर ब्यूरो, चंडीगढ़ 
इंस्पेक्टर समीर वशिष्ठ की सरकारी कर्मचारी के तौर पर निष्ठा पर सवाल लगाया गया था। इसके बाद भी उन्हें सीएम मनोहर लाल के विधानसभा क्षेत्र करनाल की अनाज मंडी में धान सीजन में इंस्पेक्टर के तौर पर लगाया गया। यहां रहते हुए भी उन पर न सिर्फ अनियमितता के आरोप लगे, बल्कि कई राइस मिलर्स को तय कोटे से ज्यादा धान दिया था। यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि एक इंस्पेक्टर पर विभाग इतना मेहरबान क्यों है? उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक इनके खिलाफ क्यों कार्यवाही नहीं हो रही है। वह भी तब जब इस बार धान खरीद का मामला विधानसभा में उठा। सरकार ने इस पर उचित कार्यवाही व जांच का आश्वासन दिया। इसके बाद भी मामले में जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने का काम हो रहा है। इससे साफ है कि एक बड़ा फूड माफिया इसके पीछे काम कर रहा है।

इसलिए उठे थे समीर की सरकारी कर्मचारी के तौर पर निष्ठा पर सवाल 


रटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक समीर वशिष्ठ ने झज्जर के बेरी में अपने कार्यकाल के दौरान गेहूं खरीद के दस्तावेज भारतीय खाद्य निगम को तय अवधि में नहीं भेजे। इस वजह से विभाग को ब्याज के 1,05332 रुपए की हानि हुई। इंस्पेक्टर पर आरोप हैकि ब्याज की राशि जमा न करा कर लापरवाही की है। खाद्य नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता मामले निदेशालय के पत्र में बताया गया कि इसके लिए समीर को नियम सात के तहत आरोपित किया गया था।



करनाल मंडी में कैसे लगाया गया
ड़ा सवाल यह है कि रूल सात के तहत आरोपित किया जाने के बाद भी उन्हें करनाल मंडी में लगाया गया। यह नियुक्ति किसके आदेश पर और कैसे हुई? इसकी जांच के लिए एक पत्र निदेशालय को लिखा गया है।

इस बार कार्यवाही क्यों नहीं
 करनाल अनाज मंडी में समीर ने कई राइस मिलर्स को तय कोटे से ज्यादा धान देकर अनियमितता की है। मजे की बात तो यह है कि इस धान की गांरटी भी तब तक नहीं ली गयी थी। जबकि कायदे से इस तरह की गारंटी भी ली जानी चाहिए। 

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