पचास हजार से पांच लाख रुपए में पूरा हो गया मिलों में धान का स्टॉक
द न्यूज इनसाइडर का स्टिंग, मिलों में अभी भी धान कम है, फिर भी टीम ने कर दिया पूरा
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सरकारी धान में घोटाला, फिर पीवी टीम ने किया जम कर भ्रष्टाचार
द न्यूज इनसाइडर चंडीगढ़
सरकारी धान में गड़बड़ी करने वालों की जड़ खासी गहरी है। सरकार ने जब स्पेशल पीवी (फिजिकल वैरिफिकेशन')कराने का निर्णय लिया तो जांच टीम में शामिल इंस्पेक्टर में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया। जिस भी मिल में धान का स्टाॅक कम मिला, इसे पचास हजार रुपए से पांच लाख रुपए लेकर लेकर पूरा कर दिया। द न्यूज इनसाइडर की टीम के स्टिंग में सामने आया कि अभी भी इन मिलों में धान का स्टॉक नहीं है। यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने इस संबंध में निदेशालय के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके दास को एक पत्र लिख कर जांच की मांग की है। अकेले करनाल में ही यह सरकारी धान में घोटाला नहीं हुआ। इसके अलावा तरावड़ी, नीलोखेड़ी, जुंडला, इंद्री व असंध, निसिंग में भी यह घोटाला हुआ है। लेकिन इस ओर तो सरकार ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
इन राइस मिलर्स की हुई पैसे देकर पीवी पूरी
पिंगली रोड स्थित शैलर से पीवी टीम ने पांच पांच लाख रुपए लिए है। इसके अलावा तरावड़ी और कुटेल, नगला मेघा, मोदीपुर और रसूलपुर के मिल में बासमती धान को पीवी टीम ने परमल में एकांउट किया है। जबकि बार बार यहीं बताया जा रहा है कि घोटालेबाज मिलर्स ने परमल धान की जगह सरकारी फंड से बासमती धान खरीदी है। पर्चे कटवाएं मोटी धान के, इसकी एवज में जो धन मिला इससे बासमती खरीदी और बाकी पैसे से बिहार और यूपी में पीडीएस में गया चावल सस्ते में खरीद कर एफसीआई को देने की तैयारी कर रखी है।
इन मिलों की क्षमता कम, दिया गया डबल धान
भगवती एग्रो फूड, मूलचंद राइस मिल, कमला राइस व जनरल मिल, बजरंगबली राइस मिल, सरस्वती एग्रोफूड, बीआर फूड, न्यू राइस इंडिया, रिद्धी सिद्धी ओवरसीज, एमएम ओवरसीज, डीआरएस ओवरसीज, आत्मा राज जगदीश चंद, गाबा राइस लैंड, गुप्ता इंडस्ट्री, मोदी राम एंड संस्, रामा इंडस्ट्रीज, रियल एग्रो, देवी इंडस्ट्री, आरएल फूड निसिंग, धनश्याम बदर्स, सोना फूड, शिव राइस एंड जनरल मिल, शिव शंकर राइस मिल, एकता राइस मिल, बुद्ध राम एंड संस्, बाला जी ओवरसीज, हरिओम एग्रो में माल कम था, फिर भी रहस्यमयी तरीके से इनका माल पूरा कर दिया गया है। इसमें कुछ मिल तो ऐसे है जो डी श्रेणी में आते हैं। लेकिन उन्हें भी एक एक लाख क्विंटल से भी ज्यादा धान दे दिया गया। इसमें कुछ तो किराए के मिल है, जिन्हें 40 हजार क्विंटल मिलनी चाहिए थी। लेकिन इन्हें 80 से 90 हजार क्विंटल धान दिया गया।
कैसे हुआ खेल
टीम में शामिल जांच अधिकारियों को पता था कि कैसे घोटालेबाज मिलर्स को बचाना है। इसके लिए टीम ने इस तरह से काम किया कि पता भी न चले, आैर जांच काम पूरा हो जाए। इसके लिए तीन तरीके अपनाए गए। पहला तो यह था कि बासमती धान को भी परमल धान दिखा कर रिकार्ड तैयार किया गया। दूसरा बिहार और यूपी से जिस चावल को खरीद कर मिलर्स लेकर आए, इसे भी मिलिंग स्टॉक मान लिया गया। जबकि यह चावल ही सबसे बड़ा घोटाला था। यदि जांच टीम इस चावल की ही सही से जांच कर लेती तो हरियाणा का यह सबसे बड़ा घोटाला सामने आ सकता था। चावल और धान कितना कितना मिला। सीजन खत्म हुए अभी एक माह भी नहीं हुआ। ऐसे में कोई मिल कितना चावल तैयार कर सकता है। क्या उनकी क्षमता की जांच हुई। उनके पास तो मिलिंग क्षमता से ज्यादा चावल है। यह चावल कहां से आया? इसकी जांच क्येां नहीं? यानी यह साफ इधारा है कि यह चावल चावल माफिया ने उपलब्ध कराया है। वह माफिया जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहा है।
लेकिन टीम ने जानबूझ कर घोटालेबाज मिलर्स का साथ दिया। तीसरा यह किया गया कि एक स्टॉक को कई कई मिलर्स ने अपना बता कर रिकार्ड करा लिया। टीम को पता था, लेकिन उन्होंने ऐसा जानबूझ कर किया। चौथा तरीका यह अपनाया गया कि बोरियों के माल को ही ज्यादा बता दिया गया। 37 किलो की जगह 50 किलो माल दिखा दिया गया।
तो अब क्या होना चाहिए
सेंटर से स्पेशल पीवी टीम आए तो यह गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है। जानकारों का कहना है कि इस खेल में डीएफएससी डिपार्टमेंट के कुछ कर्मचारियों व अधिकारियों की भूमिका खासी विवादस्पद है, इसलिए उन्हें इस टीम में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। जांच किसी निष्पक्ष जांच से वीडियो रिकार्डिंग के साथ की जानी चाहिए। क्योंकि यह ऐसी गड़बड़ी है, जिसमें सरकार की साख भी दांव पर लगी हुई है। यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि सरकार ने विधानसभा में वायदा किया था कि इस गड़बड़ी की जांच होगी। लेकिन यहां तो जांच के नाम पर भी गड़बड़ी हो रही है।
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