फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने राइस मिलर्स से चावल लेने से किया मना , लिखा पत्र


फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने राइस मिलर्स से चावल लेने से किया मना , लिखा पत्र



धान घोटाले पर द न्यूज इनसाइडर ने उठाया था मामला, अब एफसीआई ने लिया संज्ञान

द न्यूज इनसाइडर चंडीगढ़
फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने मिलर्स से लेवी का चावल लेने से मना कर दिया है। इस संबंध में कारपोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से एक पत्र लिख दिया गया है। द न्यूज इनसाइडर ने सरकारी धान में हो रहे घोटाले को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद सरकार ने जहां प्रदेश भर के सभी राइस मिलर्स के यहां पुलिस तैनात कर दी थी, वहीं स्पेशल फिजिकल वैरिफिकेशन भी करायी। इसमें पाया गया कि अकेले करनाल में 40 राइस मिल में धान कम मिली है। इसकी रिपोर्ट अब सरकार को भेज दी गयी है। दूसरी ओर एफसीआई ने संभावित गड़बड़ी को देखते हुए तय किय कि आगामी आदेश तक मिलर्स से चावल लेने की प्रक्रिया कुछ समय के लिए बंद कर दी जाए।


अब आगे क्या हो सकता है
एफसीआई के उच्च अधिकारियों के अनुसार इस बार प्रदेश सरकार से लिखित में आश्वासन चाहिए कि धान का भुगतान आढ़ती की बजाय सीधे किसान को होना चाहिए। तभी धान की सरकारी खरीद में चल रहे घोटाले को रोका जा सकता है। सरकार जब तक लिखित में यह आश्वासन नहीं देगी तब तक एफसीआई चावल नहीं लेगा।


तो सरकार के पास चारा क्या है
ऐसे में सरकार के पास अब कोई चारा नहीं रह गया। क्योंकि पंजाब में इस तरह का प्रावधान पहले ही किया जा चुका है। सरकारी धान खरीद की यहीं प्रक्रिया अब हरियाणा में भी अपनायी जा सकती है। यदि ऐसा हुआ तो बड़े पैमाने पर हो रही गड़बड़ी को रोका जा सकता है। क्योंकि अभी तक धान खरीद में भुगतान आढ़ती का जाता है। यदि सीधे किसान को जाना शुरू हो गया तो इससे कोई सरकारी पैसे में गड़बड़ी नहीं कर सकता।



किसानों को होगा लाभ
यदि यह प्रावधान लागू हो जाता है तो इसका सबसे बड़ा फायदा किसानों को होगा। क्योंकि उन्हें समर्थन मूल्य पर ही भुगतान होगा। कोई उनके साथ किसी तरह की गड़बड़ी नहीं कर सकता। लेकिन दिक्कत यह है कि इसके लिए आढ़ती तैयार नहीं है। क्योंकि वह तर्क देते हैं कि किसान उनसे पहले ही एडवांस में पैसे ले लेते हैं। यदि पैसा भी उनके खाते में जाना शुरू हो गया तो इस पैसे की रिकवरी कैसे होगी? इसी को आधार बना कर आढ़ती हर बार विरोध करते आ रहे हैं।




इस बार घोटाले ने तोड़ दिए सारे रिकार्ड
इस बार तो धान घोटाले ने सारे रिकार्ड ही तोड़ दिए हैं। यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि प्रदेश में सरकारी धान का यह घोटाला कम से कम पांच सौ करोड़ रुपए का है। धान की फर्जी खरीद हुए। इस वजह से किसानों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि होना यहीं चाहिए कि धान की सरकार खरीद का पैसा आढ़ती की बजाय किसानों के खाते में ही जाना चाहिए।



हर स्तर पर थम जाएगी गड़बड़ी
यदि ऐसा हुआ तो फिर खाद्य आपूति विभाग के इंस्पेक्टर भी धान खरीद में गड़बड़ी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि तब वह धान की फर्जी खरीद नहीं दिखा सकते। ऐसे में मंडी लेने के लिए इंस्पेक्टर जो मोटी रकम लेते हैं, उसका सिस्टम भी खुद ब खुद बंद हो जाएगा। धान की सरकारी खरीद की गड़बड़ी यहीं से शुरू होती है।



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