धान खरीद में अनियमितताओं से विवादों में आए समीर के खिलाफ क्या निदेशालय करेगा कार्यवाही



धान खरीद में अनियमितताओं से विवादों में आए समीर के खिलाफ क्या निदेशालय करेगा कार्यवाही 

विवादस्पद इंस्पेक्टर, तरावड़ी मंडी में गेहूं  परखी कांड में भी आया था नाम, तब भी बचा   लिया था चहेतों ने 
द न्यूज इनसाइडर ब्यूरो, चंडीगढ़

सरकारी धान खरीद में अनियमितताओं से विवाद में आए फूड सप्लाई विभाग के इंस्पेक्टर समीर कुमार पर क्या निदेशालय कार्यवाही करेगा? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अक्सर विवादों में रहने वाला समीर हर बार साफ बच कर निकल जाता है। इस बार सरकारी धान खरीद घोटाला कोई पहला मामला नहीं है। गेहूं खरीद के दौरान तरावड़ी मंडी में बोरियों से परखी मार कर गेहूं निकालने के कारण वह चर्चा में आए थे। इतना ही नहीं एक  ओर जहां मिलर्स की फिजिकल वैरिफिकेशन हो रही है, पुलिस मिल परिसर में तैनात कर दी गयी है। लेकिन अभी तक खरीद प्रक्रिया में लगे इंस्पेक्टर की भूमिका की जांच नहीं हो रही है। हालांकि जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि उन्होंने इस बाबत एक रिपोर्ट निदेशालय में भेज दिया है। अब जो भी कार्यवाही होगी, निदेशालय से होगी। दूसरी ओर खादय् आपूर्ति निदेशालय के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पीके दास ने बताया कि उन्हें आज ही यहां कार्यभार मिला है,इसलिए अभी तो इस संबंध में कुछ नहीं बताया जा सकता है, लेकिन मामले को देखेंगे। अनियमितता मिली तो हर हालत में कार्यवाही होगी।



नाटकिय तरीके से हुई थी समीर की करनाल मंडी में नियुक्ति 

धान सीजन में क्योंकि करोड़ों की हेराफेरी होती है। करनाल मंडी में समीर ने लगने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। एक बार उनका नाम कट गया था, लेकिन बाद में निदेशालय में बैठे उनके चहेते अधिकारियों ने उन्हें दोबारा से यहीं लगवा दिया। इसके बाद समीर ने अनियमितताओं के सारे रिकार्ड तोड़ दिए। द न्यूज इनसाइडर टीम ने निदेशालय से धान खरीद के जो तथ्य जुटाए, इससे पता चल रहा है कि समीर ने कुछ राइस मिलर्स को खूब नवाजा है।  मिलिंग कमेटी ने जितना धान उन्हें अलॉट किया था, इससे ज्यादा धान मिलर्स को दिया गया।

अब तक का सबसे बड़ा घोटाला

यूथ किसान संघ के  प्रदेशाध्यक्ष प्रमोद चौहान ने बताया कि यह अभी तक का सबसे बड़ा घोटाला है। इसकी विजिलेंस से जांच होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी मार किसानों पर पड़ी है। क्योंकि समर्थन मूल्य के बाद भ्ज्ञी  धान की वाजिब कीमत तक नहीं मिली। धान की रिकार्ड खरीददारी होने की वजह से सरकार ने आगे धान नहीं खरीदी। किसानों को औने पौने दाम धान बेचनी पड़ी। चौहान ने बताया कि समीर जैसे इंस्पेक्टर ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ ठोस कार्यवाही होनी चाहिए।


क्या निदेशालय में फेरबदल इसी का हिस्सा है 

इधर सरकारी धान खरीद घोटाले के बीच ही बड़ा फेरबदल हो गया है। एसीएस एसएन राय की जगह अब पीके दास को यह जिम्मेदारी दी गयी है। उनके आने से अब न सिर्फ जांच में तेजी आएगी, बल्कि गड़बड़ी करने वालों की पहचान भी तेजी से हो सकती है। यहीं माना जा रहा है कि निदेशालय में जो फेरबदल हुआ, इसकी एक वजह धान खरीद की गड़बड़ी की सही सही जांच है। जिससे यह पता चल सके कि गड़बड़ी जिला स्तर पर है, या फिर निदेशालय के कुछ अधिकारी भी इसमें शामिल है।

पीवी में मिली कम धान 

इधर फिजिकल वैरिफिकेशन के दौरान कई राइस मिल में धान कम मिली है। इस संबंध में एक रिपोर्ट जिला स्तर पर तैयार की जा रही है। हालांकि मिलर्स का तर्क है कि नमी सूखने की वजह से धान का वजन कम हो गया है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि धान कागजों में खरीदा गया है। यहीं वजह है कि मिल में स्टॉक कम है। कुछ राइस मिल तो ऐसे हैं, जिनके पास धान का स्टॉक बेहद कम है।

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