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बालको में नौकरी के लिए महिलाओं का संघर्ष

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  बालको में नौकरी के लिए महिलाओं का अंतहीन संघर्ष: क्या दिला पाएंगा उन्हें उनका वाजिक हक                                                   कोरबा छत्तीसगढ़ से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट  वह न क्रांतिकारी है। न एक्टिविस्ट। न ही उसे पता कि आंदोलन कैसे चलाया जाता है। वह साफ व स्पष्ट बात करती है। बिना लाग लपेट के।  वह गृहणी है। साधारण। मैंने जब मिलने के लिए समय मांगा तो परेशान हो गई। मीडिया कर्मी को इंटरव्यू कैसे देगी?उसकी  चिंता यह थी। एक स्थानीय साथी की वजह से वह मिलने के लिए तैयार हो गई।  यह तीन मंजिला एक जर्जर सा घर है। बहुत छोटा। इतना कि शुरू होेते ही खत्म हो जाता है। यहां परंपरा है, घर में प्रवेश से पहले जूते बाहर निकालने की। मैं भी अपने जूते बाहर निकाल साथी के साथ उनके घर गया।  एक गृहणी हमारे सामने थी। कृष्णी राठौर यह नाम है, उस महिला का जो इन दिनों कोरबा बालको में महिलाअों को रोजगार का हक दिलाने की लड़ाई लड़ रही है। मैं विशेष तौर पर ...

वेदांता के एथेना थर्मल सिंधीतराई से ग्राउंड रिपोर्ट

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दो जून रोटी की तलाश में मौत के मुहाने पर खड़े गांव का संघर्ष  मैं छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के सिंधीतराई गांव में था।  य हां वेदांता एक कोल बेस थर्मल लगा रहा है। गांव से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर। वह महिला थर्मल में नौकरी के लिए संघर्ष कर रही है। वेदांता और आदिवासियों पर रिपोर्टिंंग के लिए मैं वहां गया था।   यह छोटा सा गांव है। कारपोरेट, सरकार, एक्टिवस्ट, एनजीओ, प्रदूषण पर हमारी चिंता, भूखमरी, बदहाली और मनी व मसल पावर के परपंच का यह गांव जंक्शन है।  थर्मल अभी शुरू नहीं हुआ। ग्रामीणों का संघर्ष जारी है। दो तरह का संघर्ष है। एक उनका जिनकी जमीन थर्मल के लिए अधिग्रहण हुई। इनमें से कई का आरोप है किउन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला। दूसरा उनका जो यहां नौकरी चाहते हैं।  दोनो अलग अलग लड़ रहे हैं। नौकरी चाहने वालों में महिलाएं व  युवा शामिल है। उम्रदराज लोग अपेक्षाकृत खुश है। क्योंकि दारू मुर्गे का जुगाड़ आराम से हो रहा है। लिहाजा उन्हें चिंता नहीं। गांव की महिला  सरपंच का पति  मुझे देख कर भड़क गया। मुझे उसने जाने के लिए बोला।  सरपंच पति  बस बोल ...